Friday, March 30, 2007

तुझ बिन ना होगा मेरा गुज़ारा



सजना यह कैसा है प्यार हमारा
ना दुनिया की परवाह है यह जाग से न्यारा

हर पल है बस एक ही आरज़ू दो दिलो की
की मिल जाए कही तो इस दिल को किनारा

कभी ना सोचा था होगा ऐसा
यूँ लूटा बेतेंगे हम चैन हमारा

देखे थे कभी जो स्तरागी सपने इस दिल ने
तेरी आँखो से, बोलो से वोह छलके रंग सारा

मिलता होगा सकूँ किसी को उस खुदा की इबादत से
मेरे होंठो पर जाप तेरा सीने में सुलगे ताप तुम्हारा

एक बार भर ले मुझे अपनी बाहों में सजना
तभी शायद मेरी बेचैन रूह को मिले सहारा

जब मिले तुझसे नयना तब जाना मेरे दिल ने
की सबसे अनमोल है यह प्यार का दिलकश नज़ारा

शायद तुझे कभी चाहा ना हो मेरी अपनी ज़िंदगी में
पर तेरे बिन अब ना होगा मेरे एक पल भी गुज़ारा

Sunday, March 25, 2007

ज़िंदगी भर जो होता साथ हमारा........


ज़िंदगी भर जो होता साथ हमारा
तो मेरा दिल यूँ ना होता बंजारा

यूँ ही राहो मैं ना भटकता यह मन
ना ही अंगो में दहकता यूँ फ्लाश वन

यूँ ही अपने आँसू हम ख़ुद ना पीते
प्यासी इन चाहतो के सपने यूँ धुआँ ना होते

ज़िंदगी भर का जो होता साथ हमारा
तो पथरीली राहो का सफ़र भी होता प्यारा

तब ज़िंदगी की सुलगती धूप भी चाँदनी लगती
हँसने वाली मुस्कारहट, यूँ रूलाने ना लगती

बस प्यार ही प्यार का होता नज़ारा
जीवन भर को मिल जाता जीने का सहारा

ज़िंदगी भर जो होता साथ हमारा
तो मेरा दिल यूँ ना होता बंजारा
- रंजू ----रंजना

Wednesday, March 21, 2007

एक छोटा सा ख्वाब


रात भर मेह टप-टप टपकता रहा
बूँद-बूँद तुम याद आते रहे
एक गीला सा ख़वाब मेरी आँखो में चलता रहा
काँपती रही मैं एक सूखे पत्ते की तरह
तेरे आगोश कि गर्मी पाने को दिल मचलता रहा
चाँद भी छिप गया कही बदली में जा के
मेरे दिल में तुझे पाने का सपना पलता रहा
था कुछ यह गीली रात का आलम
कि तुम साथ थे मेरे हर पल
फिर भी ना जाने क्यूं तुम्हे यह दिल तलाश करता रहा !!


ranju

Saturday, March 17, 2007

मेरे जीवन का दिन ना बीते बिन तुम्हारे


उड़ जाउं दूर कही आसमा में.
पंख फैलाए अपने साथ तुम्हारे,
देखे चाँद को छूकर ,बदलो पर चलकर..
और गोदी में भर लू सारे सितारे''

साथ सदाए हो खुदा की
ना कोई बंदिश हो ना ही हो कोई पहरा
और सामने रहे मेरे सिर्फ़ तुम्हारा चेहरा

देखती रहूं उसे में यूँ ही ,जब तक जब तक ना हो मौत का सवेरा
तेरी बाहों में मरने को इस मौसम में दिल चाहता है अब यह मेरा

गुलो से एह महका सा समा करता है क्या इशारे
अब कोई भी मेरे जीवन का दिन ना बीते बिन तुम्हारे

Wednesday, March 14, 2007

उनके बिना ****


दिन वीराना था ,रात मेरी सुनसान थी
बोझील सी बह रही कुछ हवा भी आज थी

दिल को यह ज़िद थी की तू आ जाए ख्वाबो में
और आँखो में तेरे बिना नींद न आने की आस थी

देर तक आँखो में चुभती रही तारों की रोशनी
न तुम आए न ही मेरे पास ख़वाबों की बारात थी

सुलगता रहा मेरा तन-मन तेरी यादों से
तरस गया दिल तेरे एक झलक को, बस इतनी सी बात थी

बहुत दूर से एक आवाज़ देती रही सदा मुझको
शायद यह मेरी रूठी हुई नींदों की बरसात थी!!


ranju

Sunday, March 11, 2007

दे दो कुछ शब्द अपने प्यार के,


दे दो कुछ शब्द अपने प्यार के,
अपना विस्तार अब मुझे करना है

अपने आँसू चुनने को नही कहती अब तुझसे,
क्यूँकी अब मुझे सिर्फ़ हसंना और मचलना है

तेरी आँखो में मुझे दिखता है क्या.....?
तेरी बाहों में मुझे मिलता है क्या.......?
यही आ के तेरे कानो में मुझे कहना है
सच कहती हूँ बस..........
अब मुझे तुमसे प्यार, प्यार और प्यार ही करना है

दे दो कुछ शब्द अपने प्यार के....
अपना विस्तार अब मुझे करना है

नदिया मिले जा कर सागर में,
सागर चूमे साहिल को.......
तू है अब मेरा आकाश......
और तेरी ही धरती मुझे बनाना है

दे दो कुछ शब्द प्यार के
अपना विस्तार अब मुझे करना है

Wednesday, March 07, 2007

तुम याद आए


तुम याद आए आज फिर_

सुबह उठते ही गरम चIय के साथ,

जब जीभ जल गयी थी,

पेपरवाले ने ज़ोर से फेंका अख़बार जब,

मुह्न पर आकर लगा था ज़ोर से,

बाथरूम मैं जाते वक़्त,

जब मेरा पैर भी दरवाज़े से उलझ गया था,

फिर सब्ज़ी काटते वक़्त जब उंगली काट बेठbethi थी,

नहाते वक़्त उसी कट kati अंगुली में जब साबुन लगा था,

हाँ याद आए तुम तभी, प्रेस ने भी हाथ जला दिया था.

और बरसात से अकड़ा दरवाज़ा भी बंद नही होता था,

स्कूटी की किक्क भी मार गयी थी झटका,

तुम याद आए______________

हर चुभन के साथ.....

हर टूटन के साथ...........

हर चोट के साथ...........

दे गये ना जाने कितने और ज़ख़्म

याद दिलाने को अपनी

हर ज़ख़्म में उठती टीस के साथ.,...

ना नही--.

मेरी टीस से डरना मत

मेरी चुभन को सहलाना मत.

मेरे ज़ख़्मो को छूना मत

फिर तुम याद कैसे आओगे?

यूँ ही आते रहो मेरे ख़्यालो मैं

देते रहो नये ज़ख़्म,

पुराने को करो हरा,

बनेने दो इन्हे नासूर,

इनसे उठता दर्द, दिलाते रहे याद

तुम्हारी, यूँ ही हर सुबह..................

Saturday, March 03, 2007

मोहब्बत बिखरी है दुनिया में मगर यह दिल फिर भी तरसता है*!*!


"""यह दिल अब भी जलता है उनकी याद की आरज़ू ले कर
जो दिल में बस गया है मेरे एक तमन्ना बन कर

मोहब्बबत बिखरी हुई हैं फ़िज़ाओ में एक ख़ुश्बू की तरह'
वो उतर रहा है दिल में मेरे एक प्यारा सा ख्वाब बन कर !!!! ""


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ज़मीन कही पर सूखी है बादल कही और बरसता है
मोहब्बत बिखरी है दुनिया में मगर यह दिल फिर भी तरसता है

मिलती हैं नज़रे तो दिल क्यूं धड़कता है
वोह नाम लेते हैं वहाँ पर हमारा और दम यहाँ पर निकलता है

कभी तो बहेगी इश्क़ की हवा इस तरफ़ भी थोड़ी
अब देखते हैं की मोसाम का मिज़ाज़ कब फिर से बदलता है

बिखेरगी कभी मेरे अंधेरे रास्तों पर रोशनी भी
इंतज़ार है उस पल का "एक दीप प्यार का" कब मेरी दुनिया में जलता है

खिले हैं फूल बहारो के बाग़बाँ में ना जाने कितने
अब देखना है की यह इश्क़ का फूल कब यहाँ महकता है

कब तक उठा के घुमेंगे हम इन बेनाम से रिश्तो का बोझ
कब तलक कोई आँसू मेरी इन पलको पर ठहराता है

यूँ तो बाक़ी है अभी ना जाने कई ऐसे सवाल मेरे ख़्यालो की दुनिया में
आ के बेठो जो तुम पहलू में तो आँखो में कोई ख्वाब उतरता है !!!