कम्पोज़ की गोली वह बिचोलिया है जो अक्सर मेरी नींद और मेरे सपनो का मेल करवा देती है
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सो रही है रात
जाग रही आँखे
जैसे मंजिल से दूर बेनाम सा कोई रास्ता ............
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दिवार पर छेद करती ड्रिल मशीन
भुरभुरा कर गिरती लाल मिट्टी
न जाने क्यों एक सी लगी मुझे
तेरे और अपने होने की ....
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कैसे हो होती हैं पल पल मेरी ज़िन्दगी भी ठीक उस सांवली रात की तरह ..
जो सूरज से
मिलने की तड़प की इन्तजार में सिसक सिसक कर दम तोड़ देती है |
और यूँ ही उम्र तमाम होती जाती है भुरभुरा के दुःख सुख की परतों में
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सो रही है रात
जाग रही आँखे
जैसे मंजिल से दूर बेनाम सा कोई रास्ता ............
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दिवार पर छेद करती ड्रिल मशीन
भुरभुरा कर गिरती लाल मिट्टी
न जाने क्यों एक सी लगी मुझे
तेरे और अपने होने की ....
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कैसे हो होती हैं पल पल मेरी ज़िन्दगी भी ठीक उस सांवली रात की तरह ..
जो सूरज से
मिलने की तड़प की इन्तजार में सिसक सिसक कर दम तोड़ देती है |
और यूँ ही उम्र तमाम होती जाती है भुरभुरा के दुःख सुख की परतों में
9 comments:
मन से निकली गहरी बातें।
बहुत सुन्दर और सुकोमल क्षणिकाएं....
अनु
Jeevan ke lamhon ki sachhai ko shabdon mein utara hai ... Gahra arth kai baar kuch shabdon mein bayan ho jata hai ..
sundar thoughts..
कोमल भाव लिए क्षणिकाए...
खुबसूरत अभिवयक्ति......
सांवली रात
:)
अक्सर लगता है ऐसे सीले से लम्हे कभी नहीं आने चाहिए (
Nice Love Story Shared by You. प्यार की कहानियाँ
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