रिश्तों का अर्थ
आज सोचती हूँ
तो लगता है
कि सच का रूप
हम दोनों के लिए
अलग ही था
और .....
समय अपनी बात
कुछ इस तरह से कह गया
कि......
वह बदल देता है
रिश्तों के अर्थ को
फिर आखिर कैसे दिखे
वह रिश्ते ...
जिनके नीचे गंदले पानी की बहती धारा हो ..??
पुष्प पांखुरी काव्य संग्रह से एक रचना ....आपने यह संग्रह नहीं पढ़ा तो जरुर पढ़े ...
आज सोचती हूँ
तो लगता है
कि सच का रूप
हम दोनों के लिए
अलग ही था
और .....
समय अपनी बात
कुछ इस तरह से कह गया
कि......
वह बदल देता है
रिश्तों के अर्थ को
फिर आखिर कैसे दिखे
वह रिश्ते ...
जिनके नीचे गंदले पानी की बहती धारा हो ..??
पुष्प पांखुरी काव्य संग्रह से एक रचना ....आपने यह संग्रह नहीं पढ़ा तो जरुर पढ़े ...
9 comments:
बहुत सुन्दर रचना है !
फिर आखिर कैसे दिखे
वह रिश्ते ...
जिनके नीचे गंदले पानी की बहती धारा हो ..??
sach kaha
सब रिश्तों के दूसरी ओर अपना ही व्यक्तित्व पोषित करना चाहते हैं।
बहुत कठिन है रिश्तों के अर्थ जान पाना
बेहतरीन, सुंदर रचना !
विजयादशमी की शुभकामनाए...!
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
बहुत बढ़िया
वैसे भी सच हर किसी का अपना अपना ही होता है ... समय तो हमेशा से सत्य दिखा देता है अगर नज़र हो ...
बहुत सुंदर, वापसी पर जरूर आपका संग्रह लेंगे।
RISHTE GANDE LOGO K SATH RISHTE BANANE SE PANI GANDA HOTA H
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