Monday, October 14, 2013

रिश्तों का अर्थ

रिश्तों का अर्थ

आज सोचती हूँ
तो लगता है
कि सच का रूप
हम दोनों के लिए
 अलग ही था
और .....
समय अपनी बात
कुछ इस तरह से कह गया
कि......
वह बदल देता है
रिश्तों  के अर्थ को
फिर आखिर  कैसे दिखे
वह रिश्ते ...
जिनके नीचे गंदले पानी की बहती धारा हो ..??

 पुष्प पांखुरी काव्य संग्रह से एक रचना ....आपने यह संग्रह नहीं पढ़ा तो जरुर पढ़े ...


9 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर रचना है !

vandana gupta said...

फिर आखिर कैसे दिखे
वह रिश्ते ...
जिनके नीचे गंदले पानी की बहती धारा हो ..??

sach kaha

प्रवीण पाण्डेय said...

सब रिश्तों के दूसरी ओर अपना ही व्यक्तित्व पोषित करना चाहते हैं।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

बहुत कठि‍न है रिश्‍तों के अर्थ जान पाना

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन, सुंदर रचना !
विजयादशमी की शुभकामनाए...!

RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत बढ़िया

दिगम्बर नासवा said...

वैसे भी सच हर किसी का अपना अपना ही होता है ... समय तो हमेशा से सत्य दिखा देता है अगर नज़र हो ...

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर, वापसी पर जरूर आपका संग्रह लेंगे।

Anonymous said...

RISHTE GANDE LOGO K SATH RISHTE BANANE SE PANI GANDA HOTA H