मौसमों सी रंग बदलती
इस दिल की शाखाएँ
कहीं गहरे भीतर
पनपी हुई है
जड़ों सी
जो ऊपर से सूखी दिखती
अन्दर से हरीभरी है
इन्हें कभी बीते मौसम की
बात न समझना
जरा सी फुहार मिलते ही
सींच देगी यह
दिल की उस जमीन को
जो दूर से दिखने में
बंजर सी दिखती है
प्यार का यह रंग है
सिर्फ उस एहसास सा
जो पनपता है सिर्फ
अपने ही दिए दर्द से
और अपनी ही बुनी हुई ख्वाइशों से !!
इस दिल की शाखाएँ
कहीं गहरे भीतर
पनपी हुई है
जड़ों सी
जो ऊपर से सूखी दिखती
अन्दर से हरीभरी है
इन्हें कभी बीते मौसम की
बात न समझना
जरा सी फुहार मिलते ही
सींच देगी यह
दिल की उस जमीन को
जो दूर से दिखने में
बंजर सी दिखती है
प्यार का यह रंग है
सिर्फ उस एहसास सा
जो पनपता है सिर्फ
अपने ही दिए दर्द से
और अपनी ही बुनी हुई ख्वाइशों से !!
8 comments:
मज़बूत खूबसूरत सच्चाई… :)
Prem aur dard ke ehsas se panapne wali dil ki jaden to prem ki mitti mein rahti hain ... Gahra ehsas liya rachna ...
http://www.parikalpnaa.com/2013/11/blog-post_7.html
इन्हें कभी बीते मौसम की बात न समझना ... वाह बेहतरीन भाव लिये अनुपम अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर और सच्ची बात...
सस्नेह
अनु
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति...
:-)
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति...
अत्यंत सुन्दर चित्रण ...
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