Monday, August 12, 2013

कुछ यूँ ही बेवजह.........

बदल कर रस्ते पल पल
कौन सी मंजिल की तलाश है
रिश्ते भी  मौसमो की फितरत हुए जाते हैं!

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पढ़ लेना ख़ामोशी को
धीरे से छु लेना साँसे
कुछ ख्वाइशें किस कदर मासूम होती है !!
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बदल लिया रास्ता
 अनदेखा कर के

तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया
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डायरी , पन्ने उसमे रखे कुछ निशाँ
पढ़ लेती हैं नजरे आज भी अनकही बातें

इन्ही यादो से तो कोई दिल के करीब रहता है !!
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18 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ।

समयचक्र said...

बदल लिया रास्ता अनदेखा कर के
तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया

भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति … आभार

समयचक्र said...

बदल लिया रास्ता
अनदेखा कर के

तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया

भावपूर्ण रचना … आभार

Sameer Shekhar said...

बहुत सुन्दर...अनगिनत हृदय का सच..!

Sameer Shekhar said...

बहुत सुन्दर....अनेकों हृदय का एहसास..!

धीरेन्द्र अस्थाना said...

bahut bhavpoorn .

विभूति" said...

खुबसूरत प्रस्तुती......

दिल की आवाज़ said...

खूबसूरत अहसास ...

दिगम्बर नासवा said...

बदल लिया रास्ता
अनदेखा कर के

तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया ..

बहुत खूब ... बस वाह ही निकल आई अनायास ...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही लाजवाब.

रामराम.

Asha Joglekar said...

पढ लेती हैं नजरें आज भी अन कही बातें ।
बहुत सुंदर, रंजू जी ।

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत खूब, बेहतरीन..

प्रवीण पाण्डेय said...

स्मृतियाँ रह रह बरसेंगी।

प्रतिभा सक्सेना said...

बहुत बढ़िया !

रश्मि शर्मा said...

बहुत सुंदर..आप हमेशा अच्‍छा लि‍खती हैं

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब

स्‍वतंत्रता दि‍वस की शुभकामनाएँ

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर..

गुरप्रीत सिंह said...

खूबसुरत पंक्तिया मन को छू गयी।

www.yuvaam.blogspot.com