बदल कर रस्ते पल पल
कौन सी मंजिल की तलाश है
रिश्ते भी मौसमो की फितरत हुए जाते हैं!
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पढ़ लेना ख़ामोशी को
धीरे से छु लेना साँसे
कुछ ख्वाइशें किस कदर मासूम होती है !!****************
बदल लिया रास्ता
अनदेखा कर के
तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया
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डायरी , पन्ने उसमे रखे कुछ निशाँ
पढ़ लेती हैं नजरे आज भी अनकही बातें
इन्ही यादो से तो कोई दिल के करीब रहता है !!
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18 comments:
बहुत खूब ।
बदल लिया रास्ता अनदेखा कर के
तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया
भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति … आभार
बदल लिया रास्ता
अनदेखा कर के
तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया
भावपूर्ण रचना … आभार
बहुत सुन्दर...अनगिनत हृदय का सच..!
बहुत सुन्दर....अनेकों हृदय का एहसास..!
bahut bhavpoorn .
खुबसूरत प्रस्तुती......
खूबसूरत अहसास ...
बदल लिया रास्ता
अनदेखा कर के
तौबा !!तुम्हे तो ठीक से रूठना भी न आया ..
बहुत खूब ... बस वाह ही निकल आई अनायास ...
बहुत ही लाजवाब.
रामराम.
पढ लेती हैं नजरें आज भी अन कही बातें ।
बहुत सुंदर, रंजू जी ।
बहुत खूब, बेहतरीन..
स्मृतियाँ रह रह बरसेंगी।
बहुत बढ़िया !
बहुत सुंदर..आप हमेशा अच्छा लिखती हैं
बहुत खूब
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ
बहुत सुन्दर..
खूबसुरत पंक्तिया मन को छू गयी।
।
www.yuvaam.blogspot.com
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