Tuesday, March 31, 2009

एक अप्रैल की कहानी


मूर्ख दिवस बहुत दिन हुए एथेंस नगर में चार मित्र रहते थे.. इनमें से एक अपने को बहुतबुद्धिमान समझता था और दूसरों को नीचा दिखाने में उसको बहुत मज़ा आता था एक बार तीनों मित्रों ने मिल कर एक चाल सोची और उस से कहा कि कल रात हमे एक अनोखा सपना दिखायी दिया .....सपने में हमने देखा की एक देवी हमारे समाने खड़ी हो कर कह रही है कि कल रात पहाडी की चोटी पर एक दिव्य ज्योति प्रकट होगी और मनचाहा वरदान देगी इसलिए तुम अपने सभी मित्रों के साथ वहाँ जरुर आना अपने को बुद्धिमान समझने वाले उस मित्र ने उनकी बात पर विश्वास कर लिया ..... निश्चित समय पर पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया साथ ही कुछ और लोग भी उसके साथ यह तमाशा देखने के लिए पहुँच गए . और जिन्होंने यह बात बताई थी वह छिप कर सब तमाशा देख रहे थे .

धीरे धीरे भीड़ बढ़ने लगी और रात भी आकाश में चाँद तारे चमकने लगे पर उस दिव्य ज्योति के कहीं दर्शन नही हुए और ही उनका कहीं नामो निशान दिखा कहते हैं उस दिन अप्रैल था :)बस फ़िर तो एथेंस में हर वर्ष मूर्ख बनाने की प्रथा चल पड़ी बाद में धीरे धीरे दूसरे देशों ने भी इसको अपना लिया और अपने जानने वाले चिर -परिचितों को अप्रैल को मूर्ख बनाने लगे.... इस तरह मूर्ख दिवस का जन्म हुआ ....

अप्रैल के मूर्ख दिवस को रोकने के लिए यूरोप के कई देश समय समय पर अनेक कोशिश हुई ,परन्तु लाख विरोध के बावजूद यह दिवस मनाया जाता रहा है ....अब तो इसने एक परम्परा का रूप ले लिया इस दिवस को मनाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि इस को हम इसलिए मनाते हैं ताकि मूर्खता जो मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है.....वर्ष में एक बार सब आज़ाद हो कर हर तरह से इस दिवस को मनाये

हम लोग एक बंद पीपे जैसे हैं जिस में बुद्धि निरंतर बहती रहती है उसको हवा लगने देनी चाहिए ताकि वह सहज गति से इसको चलने दे तो ठीक रहता है॥

कहते हैं एक बार हास्य प्रेमी भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने बनारस में ढिंढोरा पिटवा दिया कि अमुक वैज्ञानिक अमुक समय पर चाँद और सूरज को धरती पर उतार कर दिखायेंगे ।नियत समय पर लोगों की भीड़ इस अदभुत करिश्मे को देखने को जमा हो गई ...घंटो लोग इंतज़ार में बैठे रहे परन्तु वहाँ कोई वैज्ञानिक नही दिखायी दिया उस दिन अप्रैल था ,लोग मूर्ख बन के वापस गए !! आपका दिन भी खूब मजे से गुजरे हँसते हंसाते ...इसी दुआ के साथ :)


यह जानकारी रोचक किस्से से व चित्र गूगल के सोजन्य से


Friday, March 27, 2009

उम्र.....


उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव

उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम


उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ॥

रंजना ( रंजू ) भाटिया

Tuesday, March 24, 2009

तुम ही तो हो ..


जीवन के हर पल में
बारिश की रिमझिम में ,
चहचहाते परिंदों के सुर में ,
सर्दी की गुनगुनी धूप में ,
हवाओं की मीठी गंध में
तुम ही तुम हो ....


दिल में बसी आकृति में
फूलों की सुगन्ध में ....
दीपक की टिम -टिम करती लौ में
मेरे इस फैले सपनो के आकाश में
बस तुम ही तुम हो .....

पर.....
नहीं दिखा पाती हूँ
तुम्हे वह रूप मैं तुम्हारा
जैसे संगम पर दिखती नहीं
सरस्वती की बहती धारा॥

सच तो यह है ....
ज़िंदगी की उलझनों में
मेरे दिल की हर तह में
बन के मंद बयार से
तुम यूं धीरे धीरे बहते हो
मिलते ही नजर से नजर
शब्दों के यह मौन स्वर
तुम ही तो हो जो ......
मेरी कविता में कहते हो !!

रंजना ( रंजू ) भाटिया

Monday, March 16, 2009

कहा -अनकहा




खिले पुष्प सी
गंध की तरह ..
शंख ध्वनि की
गूंज सी ..
पहुँच रही हूँ
मैं ...
तुम
तक
अपने ही...
कुछ कहते हुए
लफ्जों में
या.....
अन्तराल की
बहती खामोशी में ....!


******************


चलो
इसी पल
सिर्फ़ इसी क्षण

हम उतार दे
हर मुखौटे
और हर
बीते हुए
समय को

और
वर्तमान बन जाए
इसी पल
सिर्फ़ इसी पल .....



रंजना
(रंजू ) भाटिया (छोटी कविताएं)

Thursday, March 12, 2009

झूठा सच ....


चाहता है ..
कौन किसको कितना ..
कौन ,दिन -रात
बेकरार रहता है
बसती हैं आंखों में
छवि किसकी ..
और किसकी ...
एक हाँ सुनने को
यह दिल ...
हर लम्हा तडपता है

मन ही तो है..
जो है बावरा..
पा लेना चाहता है
सब कुछ ...

जैसे ही बंद करता है
एक "हाँ "मुट्ठी में..
वह बात ...
पलक झपकते ही
बन के हवा..
कहीं उड़ जाती है....
और दिल के आईने में
बनी एक आकृति
एक साया सा
बन के रह जाती है

तब ....
दिल नही चाहता मेरा
कि .....
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !!

Saturday, March 07, 2009

आओ खेले होली ......


मस्त बयार बहे
रंगों की बौछार चले
रंगे सब तन मन
चढ़े अब फागुनी रंग
कान्हा की बांसुरी संग
भीगे तपते मन की रंगोली
आओ खेले होली ......

टूट जाए हर बन्ध
शब्दों का रचे छंद
महके महुआ की गंध
छलके फ्लाश रंग
मिटे हर दिल की दूरी
आओ खेले होली ......

बहक जाए हर धड़कन
खनक जाए हर कंगन
बचपन का फिर हो संग
हर तरफ छाए रास रंग
ऐसी सजे फिर
मस्तानों की टोली
आओ खेले होली .....

कान्हा का रास रसे
राधा सी प्रीत सजे
नयनो से हो बात अनबोली
आओ खेले होली ....

रंजना (रंजू ) भाटिया

होली के रंग में और रंगने के लिए इन लिंक्स को भी पढ़े

फाग के रंग

होली का रंग बिखरा है चारो ओर

कान्हा संग प्रीत

Tuesday, March 03, 2009

आपको कौन सी आइस क्रीम पसंद है ?


क्या आपको आइस क्रीम पसंद है ? मुझे बहुत पसंद है ...दीवानगी की हद तक ..इस के बारे में सोचते ही बस दिल बैचेन सा होने लगता है मेरा ..मुझे करीब से जानने वाले मेरी इस कमजोरी से बहुत अच्छे से वाकिफ हैं ...और मैं भी दिल चाहता है के एक डायलाग के तर्ज़ पर कि ""हम केक खाने के लिए कहीं भी जा सकते हैं ""..तो मैं भी बटर स्काच आइस क्रीम खाने कहीं भी ,किसी भी वक़्त जा सकती हूँ :) कहीं भी घूमने गयीं हूँ वहां के आइस क्रीम स्थान याद हैं चाहे वह अहमदाबाद का यू एस पिज्जा हो या देहरादून का आइस क्रीम शॉप घंटा घर के पास वाला :) खैर यह तो मेरी पसंद की बात है ..अलग अलग फ्लेवर में सजी बनी यह आइस क्रीम दिल को खूब भाती है ॥पर आपको कौन सा फ्लेवर पसंद है ..इस से आपके व्यक्तितव का भी पता चल सकता है ।यह रोचक तथ्य मैंने कल ही एक जगह पढ़ के जाना ...जैसे .. कि

जिन लोगों को बनाना यानी केले का फ्लेवर पसंद है वह किसी भी क्षेत्र में अपने आप से अधिक अधिक उम्मीद रखते हैं ..इनका अपने परिवार से अधिक जुडाव होता है और इनसे दूसरे लोग प्रेरणा भी लेते हैं ...

चाकलेट फ्लेवर पसंद करने वाले लोग मनमोजी होते हैं ..इनके व्यवहार और आदतों से सभी लोग आकर्षित होते हैं साथ ही इन्हें पसंद भी करते हैं ...यह लोग व्यवाहरिक रूप से रचनात्मक प्रवति वाले भी होते हैं

स्ट्राबेरी फ्लेवर पसंद करने वाले लोग व्यवहार से शर्मीले .संकोची .और अपने आप में खोये रहने वाले होते हैं ..इन्हें किसी का मेल जोल कम ही पसंद आता है .

जिन्हें बटर स्काच फ्लेवर पसंद है ..वह स्वभाव से उत्साही होते हैं ..अपन साथ साथ वे दूसरों की देखभाल भी करते हैं ..ऐसे लोग चुनोतियों को स्वीकार करने में भी आगे होते हैं ..

चाकलेट चिप्स फ्लेवर पसंद करने वाले लोगों का ज़िन्दगी के प्रति महत्वाकांक्षी रवैया होता है ,यह व्यवहार से भले एवं प्रतियोगी किस्म के होते हैं ...

अब आप खुद देखिये की आपको कौन सा फ्लेवर पसंद है और क्या आप के फ्लेवर से हिसाब से आप के बारे में सही बताता है ...इन्तजार रहेगा जानने का ॥:) और सही निकला तो अभी जा के आप अपनी पसंद की आइस क्रीम खाइए ;)