Thursday, March 20, 2008

होली के रंग


रंग प्यार का सब तरफ़ हम फैलाये
अब के होली दिल से हम यूं मनाये

बढ़ गए हैं फासले दिलो के दरमियाँ
उस राह को फूलों से हम महकाए

प्यार की सरगम बरसे अब हवा में
डरे हुए दिलो से हर डर हम मिटाए

फाग के रंग अब के कुछ ऐसे महके
हर दिल में खुशी के गीत खिल जाए

रंगोली सजे हर आँगन में रंगीली
हर द्वेष भूल के वीरान बस्तियां बसाए !!

7 comments:

Anonymous said...

pyar ke rang bikherti sundar kavita,holi ki badhai

रश्मि प्रभा... said...

रंग भरे हैं जाने कितने,
इस सुन्दर जीवन में
खेलो इनसे तुम जी भर के
और कहो "होली है"
मैं भी लाई हूँ अपने संग
ढेर सारे खुशियों के रंग
भर लो अपनी झोली इससे
याद रखो
"होली है".............

अच्छा रंग डाला प्यार का,
तो मैं भी पीछे नहीं.....

डॉ .अनुराग said...

ishvar aapki is manokamna ko purn kare......

mamta said...

वाह !
क्या खूब लिखा ।
रंजू जी आपको होली मुबारक हो।

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर!अच्छा लिखा।
होली मुबारक।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आपको भी होली की बधाई :)
स स्नेह आभार कहती हूँ "
"-- लावण्या

राज भाटिय़ा said...

क्या खूब लिखा , आप कॊ होली की बधाई