Wednesday, February 28, 2007

~*~*~*होली का रंग बिखरा है चारो ओर ~*~*~*


होली का रंग बिखरा है चारो ओर
आज कुछ ऐसी बात करो
रंग दो अपने प्यार के रंगो से
उन्ही रंगो से मेरा सिंगार करो........

रहो मेरे दिल के पिंजरे में,
और नज़रो से मुझको प्यार करो.
दो मेरी सांसो को अपनी धड़कनो कि लए
आज फिर कुछ ऐसी कोई बात करो..........

रहो मेरी बाहों कि परिधि में.
और टूट कर मुझको प्यार करो.
आज मैं --मैं "ना रहूं ,आज मैं "तुम" हो जाउँ
अपने प्यार से ऐसा मेरा सिंगार करो.........

लिख दो मेरे कोमल बदन पर
अपने अधरो से एक कविता.
जिसके" शब्द' भी तुम हो, और 'अर्थ" भी तुम हो,
बस ऐसा मुझ पर उपकार करो......

तेरी 'मुरली कि धुन सुन कर..........
मन आज कुछ ऐसा भरमाये......
हिरदये की पीरा, देह कि अग्नि.
रंगो में घुल जाए..
होली का रंग-रास आज फिर से "महारास हो जाए,
रंग दो आज मुझको अपने प्यार के रंग में..
प्रियतम ऐसी रंगो कि बरसात करो..........

होली का रंग बिखरा है चारो ओर
आज कुछ ऐसी बात करो......
रंग दो अपने प्यार के रंगो से......
उन्ही प्यार के रंगो से आज फिर तुम मेरा सिंगार करो........


ranju


15 comments:

राकेश खंडेलवाल said...

ब्रज के रसिया, मथुरा गोकुल , नंद गांव बरसाना
गेंहू बाली, साग चने का, धान भून कर खाना
सरसों दुआं, तारामीरा, रंग भरी पिचकारी
एक बार फिर जाऊं होली, मैं तुझ पर बलिहारी

devesh said...

kahin
door
ek gaon mein
wahin peepal ki
chaon mein
bansi saath nahin hai aaj
aaj haath hai pichkari
adhro par
madhur muskan
jab rang khele brujbal
aur radha de meethi gaari

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!! होली की बधाई!!

Divine India said...

"रंग-प्रेम एकाकार का अद्भुत अद्वैत बुना है…
जल-स्थल-आकाश का अनेकों रंग विखेरा है,
दीधिती कुंडल के प्रखर तेज को भींगोया तुमने
स्नेह-लावण्य की फुहारों से बस पायलिया की
झंकार बजे तो नाचेगा ब्रह्मांड भी…।"

Manuj Mehta said...

bahut aacha likha hai ranju, sach mein nayi umang bhar di hai tumney. Holi ki bahut bahut badhayi.

शैलेश भारतवासी said...

आपके शब्द अंदर तह छूते हैं। इसे पढ़कर लग रहा है कि इन शब्दों में अपने शब्द मिलाया तो बेमानी होगी।

जिन्हें पढ़कर मज़ा आया

उन्ही रंगो से मेरा सिंगार करो........

दो मेरी सांसो को अपनी धड़कनो कि लए

लिख दो मेरे कोमल बदन पर
अपने अधरो से एक कविता.


निम्न पंक्तियों को पढ़कर एक पुराना फ़िल्मी गीत याद आता है-

आज सजन मोहे अंग लगा लो, जन्म सफल हो जाये

हृदय की पीड़ा, देह की अग्नि सब शीतल हो जाये।


हिरदये की पीरा, देह कि अग्नि.
रंगो में घुल जाए..

Mohinder56 said...

आप को एंव आपके समस्त परिवार को होली की शुभकामना..
आपका आने वाला हर दिन रंगमय, स्वास्थयमय व आन्नदमय हो
होली मुबारक

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया राकेश जी ....बहुत ख़ूब मथुरा की याद दिला दी आपकी लिखी इन पंक्तियों ने ..

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया देवेश ....बहुत ख़ूब ...राधा -कान्हा की होली कौन भूल सकता है :)

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया समीर..आपको भी होली मुबारक हो

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया दिव्याभ .....बहुत ही सुंदर भाव लिखा है आपने
होली मुबारक हो आपको !!

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया Manuj ....आप यहाँ आए और इतने प्यार से इस रचना को पढ़ा ...
होली की आपको भी बधाई ...

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया शैलेश यहाँ आ के इस को इतने प्यार से पढ़ने का और इसके भाव समझने का
होली मुबारक हो

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया मोहिंदेर ....आपको भी होली की बधाई

Anonymous said...

abke holi main main teree holi sajan
abke holi main,
bheeg gayee chunari bheeg gayee choli, bhiga tan-man
abke holi main
kitna chutaon ye nahi jata,
rang tera ye mujhko satata,
ab ghar ayegee mere bhi doli
sajan
abke holi main