मूर्ख दिवस बहुत दिन हुए एथेंस नगर में चार मित्र रहते थे.. इनमें से एक अपने को बहुतबुद्धिमान समझता था और दूसरों को नीचा दिखाने में उसको बहुत मज़ा आता था एक बार तीनों मित्रों ने मिल कर एक चाल सोची और उस से कहा कि कल रात हमे एक अनोखा सपना दिखायी दिया .....सपने में हमने देखा की एक देवी हमारे समाने खड़ी हो कर कह रही है कि कल रात पहाडी की चोटी पर एक दिव्य ज्योति प्रकट होगी और मनचाहा वरदान देगी इसलिए तुम अपने सभी मित्रों के साथ वहाँ जरुर आना अपने को बुद्धिमान समझने वाले उस मित्र ने उनकी बात पर विश्वास कर लिया ..... निश्चित समय पर पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया साथ ही कुछ और लोग भी उसके साथ यह तमाशा देखने के लिए पहुँच गए . और जिन्होंने यह बात बताई थी वह छिप कर सब तमाशा देख रहे थे .
धीरे धीरे भीड़ बढ़ने लगी और रात भी आकाश में चाँद तारे चमकने लगे पर उस दिव्य ज्योति के कहीं दर्शन नही हुए और न ही उनका कहीं नामो निशान दिखा कहते हैं उस दिन १ अप्रैल था :)बस फ़िर तो एथेंस में हर वर्ष मूर्ख बनाने की प्रथा चल पड़ी बाद में धीरे धीरे दूसरे देशों ने भी इसको अपना लिया और अपने जानने वाले चिर -परिचितों को १ अप्रैल को मूर्ख बनाने लगे.... इस तरह मूर्ख दिवस का जन्म हुआ ....
अप्रैल के मूर्ख दिवस को रोकने के लिए यूरोप के कई देश समय समय पर अनेक कोशिश हुई ,परन्तु लाख विरोध के बावजूद यह दिवस मनाया जाता रहा है ....अब तो इसने एक परम्परा का रूप ले लिया इस दिवस को मनाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि इस को हम इसलिए मनाते हैं ताकि मूर्खता जो मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है.....वर्ष में एक बार सब आज़ाद हो कर हर तरह से इस दिवस को मनाये
हम लोग एक बंद पीपे जैसे हैं जिस में बुद्धि निरंतर बहती रहती है उसको हवा लगने देनी चाहिए ताकि वह सहज गति से इसको चलने दे तो ठीक रहता है॥
कहते हैं एक बार हास्य प्रेमी भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने बनारस में ढिंढोरा पिटवा दिया कि अमुक वैज्ञानिक अमुक समय पर चाँद और सूरज को धरती पर उतार कर दिखायेंगे ।नियत समय पर लोगों की भीड़ इस अदभुत करिश्मे को देखने को जमा हो गई ...घंटो लोग इंतज़ार में बैठे रहे परन्तु वहाँ कोई वैज्ञानिक नही दिखायी दिया उस दिन १ अप्रैल था ,लोग मूर्ख बन के वापस आ गए !! आपका दिन भी खूब मजे से गुजरे हँसते हंसाते ...इसी दुआ के साथ :)
यह जानकारी रोचक किस्से से व चित्र गूगल के सोजन्य से
30 comments:
भारत मे यह दिवस पाच सालो तक चलता है.पहले चुनाव आयोग तय करता है महीने भर से ज्यादा समय लगाकर भारत पूरे पांच साल तकमूर्ख बनने के लिये बंदे चुनता है :)
पिछले रविवार को आपका आलेख राजस्थान पत्रिका के रविवारीय में भी पढने को मिला। प्यार के बारे में आपने जो व्याख्या की है, वो संग्रहणीय है और मैं कटिंग काट चुका।
बहुत खूब.. अच्छा है आपने पोस्ट आज की है.. वरना कल करते तो मैं यकीन ही नहीं करता कि अप्रेल फूल की शुरुआत ऐसे हुई होगी :)
अच्छा हुवा १ अप्रेल से पहले आपने याद करा दिया इस दिन को............नहीं तो हम भी..........
पर अच्छा लगा इस का इतिहास जान कर, रोचक है यह इतिहास
बहुत ही रोचक आलेख. अपने यहाँ होली में भी कुछ कुछ ऐसा होता तो है.
एक बार पहले भी ये कहानी सुनी थी । हंसने के लिए हम मना लेंगें ये अप्रैल फूल ।
वाह मूर्ख दिवस की अच्छी जानकारी दी आपने। वैसे कल किसको मूर्ख बनाए।
वाह जी वाह मूर्ख दिवस की अच्छी जानकारी दी है आपने सभी को इस दिवस की बहुत बहुत बधाईयशं बचके रहना सभी
अप्रैल फूल से जुडी जानकारी भी अच्छी रही ... कल सावधान रहने की जरूरत है।
हम लोग एक बंद पीपे जैसे हैं जिस में बुद्धि निरंतर बहती रहती है उसको हवा लगने देनी चाहिए ताकि वह सहज गति से इसको चलने दे तो ठीक रहता है॥
ye khob laga hame.....
बहुत खूब... पहली टिपण्णी से भी पूर्णतया सहमत....
अन्तर्राष्ट्रीय महामूर्ख दिवस की आपको ढेरों बधाइयाँ।
आपने 1 अपैल से सम्बन्धित अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई है।
शुक्रिया।
भारत मै तोप यह खेल हर टी वी पर हमारे धार्मिक गुरु दिन मे लाखो बार दिखाते है, हम शहर मै यह धारमिक गुरु अपने अपने आश्रमो मै खेलते है यह खेल, यकिन ना आये तो किसी भी महान संत के , स्वामी के आश्रम मै जा कर देख ले फ़िर हम एक ही दिन क्यो मनाये... हमारे यहां तो रोजाना ही ....
धन्यवाद
पहली अप्रेल में अब मजा नहीं आता। बनने की आदत हो गई है।
rochak kahani hai.
ghughutibasuti
ye badi mazedar baat rahi:)mast
waah bhayee waah !..yah to bahut rochak post hai..samayik jaankari ke liye dhnywaad...
... अप्रेल फूल कभी-कभी घातक भी हो जाता है क्योंकि कुछ लोग मजाक की हद पार कर जाते हैं!!
अच्छा है इसे आपने एक दिन पहले ही लिख लिया !
दिलचस्प कहानी है 1 अप्रैल की। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का स्मरण कराने के लिए आभार।
बहुत खूब...
shukriya kahani ke bare mein batane ke liye...
आपने 1 अपैल से सम्बन्धित अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई है।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का स्मरण कराने के लिए आभार।
जितने मुर्ख बनाने के तरीके उतनी ही इससे जुड़ी कहानियां भी!
Ranju ji ye sacchai hai.....
"vidya mata kasam ?"
kahin aporil fool to nahi bana rahi hein aap.
:)
Beside joke, Acchi jankari thi
Ranju Mam,April fool ki story padi...... Really interesting... We have been following this tradition since childhood and without knowing reason...special this lines is too good "मूर्खता जो मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है.....वर्ष में एक बार सब आज़ाद हो कर हर तरह से इस दिवस को मनाये " .........khush rahne ke liye issey behtar kya ho sakta hain.... with regards,
PRiya
रोचक जानकारी उपलब्ध करवाई है…………आभार्।
अच्छी जानकारी दी है आपने!
बज़्ज़ ने दो आल बाद फिर वही रास्ता दिखा दिया...अच्छा बने मूर्ख. :)
"Sahsa Pani Ki Ek boond Ke Liye" Bahut Hi Achhi Rachna.
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