Sunday, May 25, 2008

तेरे आने की जब खबर महके

तेरे आने की जब खबर महके
तेरी खुशबू से सारा घर महके

शाम महके तेरे तस्वुर से
शाम के बाद फ़िर सहर महके

रात भर सोचता रहा तुझको
जहनों दिल मेरे रात भर महके

याद आए तो दिल मुरबर हो
दीद हो जाए तो नज़र महके

वो घड़ी दो घड़ी जहाँ बैठे
वह जमीन महके वह शजर महके [जगजीत सिंह की गायी एक और खूबसूरत गजल ]



5 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत चुनी हुई उम्दा प्रस्तुति.

Abhishek Ojha said...

वाकई खूबसूरत !

बालकिशन said...

शानदार. बहुत ही उम्दा.
आपको बधाई.

शोभा said...

रंजू जी
आपको मेरी पसन्द की गज़ल कैसे पता चली? सुनकर मज़ा आ गया। धन्यवाद।

डॉ .अनुराग said...

मैंने तो साथ साथ गुनगुना भी लिया....