एक सन्नाटा
एक ख़ामोशी
किस कदर
एक दूजे के साथ है
"सन्नाटा" जमे हुए लावे का
"ख़ामोशी "सर्द जमी हुई बर्फ की
दोनों एक दूजे के विपरीत
पर संग संग एक दूजे को
निहारते सहलाते से अडिग है
लावा जो धधक रहा है
जब बहेगा आवेग से
तो जमी बर्फ का अस्तित्व
भी नहीं रह पायेगा
हर हसरत हर कशिश
उस की उगलते
काले धुंए में
तब्दील हो जाएगी
तय है दोनों के अस्तित्व का
नष्ट होना ...फिर भी
साथ साथ है दोनों
ख़ामोशी से एक दूजे को सुनते हुए
एक दूजे के साथ रहने के एहसास
को सहते हुए ...
ठीक एक आदम और हव्वा से
जो सदियों से प्रतीक हैं
इसी जमे लावे के
और सर्द होती जमी बर्फ के !!!!
14 comments:
सुंदर प्रस्तुति
आपकी लिखी रचना सोमवार 22 अगस्त 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२२-०८ -२०२२ ) को 'साँझ ढलती कह रही है'(चर्चा अंक-१५२९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सही कहा है - विरोधों का समन्वय जीवन है .
सुंदर और सार्थक रचना
ख़ामोशी से एक दूजे को सुनते हुए
एक दूजे के साथ रहने के एहसास
को सहते हुए ...
ठीक एक आदम और हव्वा से
जो सदियों से प्रतीक हैं
इसी जमे लावे के
और सर्द होती जमी बर्फ के !!!!
यही ज़िन्दगी है .... कहीं समझौता है कहीं मजबूरी है ,फिर भी साथ हैं
बस यही जीवन है।
या फिर टूटने!!
गहन भाव लिए मर्मस्पर्शी सृजन।
सादर
सचमुच विपरीत ध्रुवों के मध्य धुरी पर नाचती पृथ्वी की तरह ही जीवन और उसकी विरोधाभासी परिस्थिति।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
सादर।
ठीक एक आदम और हव्वा से
जो सदियों से प्रतीक हैं
इसी जमे लावे के
और सर्द होती जमी बर्फ के !!!!
..जीवन संदर्भ पर हृदयस्पर्शी रचना । बधाई आपको ।
वाह! कमाल की अभिव्यक्ति! 'थीसिस' और 'एंटी-थीसिस' का 'सिंथेसिस'! हेगल का दर्शन!!!!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय रंजू जी।🙏
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण सार्थक भावाभिव्यक्ति ।
विपरीत हैं अस्तित्व किन्तु फिर भी साथ!सराहनीय रचना!
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