श्रीनगर यात्रा भाग २ ..गुलमर्ग और पहलगाम की खूबसूरत वादियों में ....
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श्रीनगर होटल से निकलते हुए |
गुलमर्ग
जब तक देखा नहीं था ..चित्रों में देखा हुआ सुन्दर होगा यही विचार था दिल
में ..पर कोई जगह इत्तनी खूबसूरत हो सकती है ..यह वहां जा कर ही जाना जा
सकता है ...........चित्र से कहीं अधिक सुन्दर ..कहीं अधिक मनमोहक ..और
अपनी सुन्दरता से मूक कर देने वाला ........
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गुलमर्ग के रास्ते पर ( चित्र पूर्वा भाटिया )
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....उफ्फ्फ कोई जगह इतनी सुन्दर
..जैसे ईश्वर ने खुद इसको बैठ के बनाया है ..कश्मीर
का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है यह ... इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का
स्वर्ग
भी कहा जाता है। यह देश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक हैं। फूलों के
प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्थान बारामूला जिले में स्थित है।
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गुलमर्ग पहुँचने पर |
यहां के हरे
भरे ढलान बहुत सुन्दर हैं ..अप्रैल में हमारे जाने पके वक़्त भी यह बर्फ से
ढके हुए थे .यह स्थान समुद्र तल से 2730 मी. की
ऊंचाई पर है | आज यह सिर्फ
पहाड़ों का शहर नहीं है, बल्कि यहां विश्व का सबसे बड़ा गोल्फ कोर्स और
देश का प्रमुख स्की रिजॉर्ट है।गुलमर्ग का अर्थ है "फूलों की वादी"। जम्मू
- कश्मीर के बारामूला जिले में लग - भग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
गुलमर्ग, की खोज 1927 में अंग्रेजों ने की थी। यह पहले “गौरीमर्ग” के नाम
से जाना जाता था, जो भगवान शिव की पत्नी "गौरी" का नाम है। फिर कश्मीर के
अंतिम राजा, राजा युसूफ शाह चक ने इस स्थान की खूबसूरती और शांत वारावरण
में मग्न होकर इसका नाम गौरीमर्ग से गुलमर्ग रख दिया।
गुलमर्ग का सुहावना
मौसम, शानदार परिदृश्य, फूलों से खिले बगीचे, देवदार के
पेड, खूबसूरत झीले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गुलमर्ग अपनी
हरियाली और सौम्य वातावरण के कारण आज एक पिकनिक और कैम्पिंग स्पॉट बन गया
है।
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गुलमर्ग होटल के सामने |
जब हम वहां पहुंचे तो बारिश हो रही थी ..होटल का मुख्य द्वार
बर्फ से ढका हुआ था ....
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गुलमर्ग होटल |
मौसम ठंडा था पर बहुत सुहाना था ..रात हो चली थी
..और भूख जोरो की लगी थी ..गर्म मेगी ने जैसे उस वक़्त वरदान सा काम किया :)
सुबह उठते ही बहार झाँका तो बारिश हो रही थी ..आज गोंडोला राईड पर जाना था
..
.गोंडोला राईड जो कि केबल कार सिस्टम है, गुलमर्ग का प्रमुख आकर्षक स्थल
है। यह दो पांच कि.मी लम्बी राईड है, गुलमर्ग से कौंगडोर और कौंगडोर से
अफरात।
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सुबह के नज़ारे सैर के साथ |
इस राईड में आप पूरे हिमालय पर्वत और गोंडोला गाँव को देख सकते हैं।
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ऊपर ट्राली से लिए गया दृश्य |
कौंगडोर का गोंडोला स्टेशन 3099 मीटर और अफरात 3979 मीटर की ऊंचाई पर
स्थित है। गोंडोला राईड वहां घुमने का बहुत बढ़िया साधन है ..पर बारिश और
ऊपर मौसम खराब होने के कारण उस वक़्त बहुत ऊपर जाने से से रोक रखा था ..पहले
लेवल तक जाने के लिए भी हमें बहुत इन्तजार करना पड़ा ..इतने लोग इतनी
उत्सुकता ..बारिश और ऊपर जाने पर बर्फबारी होने के आसार सब तरफ एक रोमांचक
कोलहल में डूबे हुए थे | आखिर लम्बे इन्तजार के बाद पहले लेवल तक जाने की
टिकट मिली ...
एक व्यक्ति के लिए चार सौ रूपये की टिकट है पर जो नजारा है
......वह ज़िन्दगी भर भूला नहीं जा सकता है ...ऊपर
पहुँचते ही पहली बार देखी .स्लेज पर जाते हुए डर भी था और एक बच्ची सी उत्सुकता भी ...साथ ही वहां के लोकल घुमाने वाले स्लेज चलाने वालो के लिए एक स्नेह सहानुभूति की भावना भी थी कि कैसे इतने कठोर वातावरण में यह लोग अपने जीवन को चलाते हैं .खुद को अजीब लगा उनसे स्लेज पर बैठ कर स्लेज गाडी खिंचवाना ...मोटे मोटे हाँ सब लोग और वह दुबले सुकड़े ,,आखिर के खाते हैं आप ...पूछने पर बताया कि चावल दिन में तीन चार बार ..पर पता नहीं कहाँ जाता है ..एक तो सर्दी बर्फ ..ऊपर से खीच के स्लेज गाडी को ऊपर तक ले जाना फिर फिसलते हुए संभाल कर लाना ..बेचारा खाया खाना भी कहाँ टिकेगा ..पर हर व्यक्ति अपने हालत में जीता है और जीविका के साधन तलाश ही लेता है ..यही जाना वहां देख कर तो ...
वहां से आये पहलगाम ....रास्ते के नज़ारे लफ़्ज़ों से ब्यान नहीं हो सकते ...सरसों अभी वहां पकी नहीं थी पीले रंग से ढकी धरती उस पर सेब के सफ़ेद फूलों से बगीचे ...अखरोट के पेड़ पर नए पत्ते ..कमाल सब अजूबा कुदरत का ....एक दो जगह रुक कर ..कहवा पिया ..बाकरखानी खायी ..और बादाम साथ के लिए खरीदे गए .....पहलगाम का नाम याद आते ही अमरनाथ यात्रा दिल दिमाग में कौंध जाती है
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बेताब घाटी |
..पहलगाम को चरवाहों की घाटी के नाम से भी जाना जाता है। यहां की खूबसूरती
ऐसी कि एक बार कोई आ जाए तो बार-बार आने का मन करता है।
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बेताब घाटी |
यहां का प्राकृतिक
सौन्दर्य बेहद दिलकश है |यहां के खूबसूरत नजारे के कारण सत्तर व
अस्सी के दशकों में कई फिल्मों शूटिंग हुआ करती थी। उन दिनों में यह स्थल
बॉलीवुड का सबसे लोकप्रिय शूटिंग स्थल हुआ करता था। यहां एक बॉबी हट है,
जिसमें फिल्म बॉबी की शूटिंग हुई थी। इसके साथ यहां एक बेताब घाटी है, जहां
सन्नी देओल की फिल्म बेताब की शूटिंग हुई थी। पहलगाम बहुत ही रोमांटिकऔर सकून भरी जगह है कलकल करती नदी का तेज प्रवाह और दूसरी तरफ देवदार के पेड़ों से ढकी पहाड़ियां जो
कहीं कहीं बर्फ से ढकी थीं, पहाड़ी झरने कहीं जमी हुई और कहीं प्रवाह सब मिलकर एकदम रहस्यमय सुन्दर रोचक नजारा था |
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होटल से सामने पहलाम का दृश्य ..(चित्र पूर्वा भाटिया ) |
पहलगाम के आसपास के मुख्य आकर्षण बेताब घाटी, चंदनवाड़ी और आरू घाटी हैं. ये सब लगभग १६ किलोमीटर एक अन्दर ही हैं |पहलगाम से
६/७ किलोमीटर की दूरी पर ही एक बहुत ही प्यारी घाटी है जिसको "बेताब घाटी "कहा जाता है नदी के साथ साथ बसी यह घाटी बेहद खूबसूरत लगी हिंदी फिल्म बेताब की शूटिंग
यहीं पर हुई थी. ख़ास कर यह गाना ”जब हम जवाँ होंगे, जाने कहाँ होंगे” तो
सभी को याद होगा ही. तब से ही यह बेताब घाटी कहलाने लगी जबकि इसका वास्तविक
नाम हजन घाटी था. .
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पापा मम्मी के साथ बेताब घाटी |
..वहां के गाइड ने इतनी रोचक बातें बतायी कि टैक्सी से किया गया एक घंटे का वादा बहुत कम लगने लगा पहलगाम से आगे जहाँ कहीं भी जाना हो तो वहीँ की स्थानीय टेक्सियाँ लेनी पड़ती हैं.और होटल वाले वह इंतजाम कर देते हैं.... वहां घाटी में ...उस सत्रह वर्ष के गाइड के आँखों में बातो में आज के कश्मीर की झलक थी ...जो एक आजाद और सकून भरी ज़िन्दगी चाहते हैं ....आतंक और आतंक वादियों के प्रति घृणा है ..पर जीने को मजूबर है उन्ही हालात में ...एक एक चीज वहां कि उसने बहुत रोचक ढंग से बताई ..बहुत सी बाते यहाँ लिखने में भी रूह कांप रही है मेरी ..जो उसने बताई ...घाटी के ऊपर कारगिल के पहाड़ और उस से नीचे केसर और अखरोट के बगीचे .वाकई जन्नत इस अलग क्या होगी ....मौसम खराब होने के कारण हम सोनमर्ग और चंदनवाड़ी नहीं जा सके ..अफ़सोस रहेगा उस जगह को न देख पाने का ..वापसी में देखने में कई नज़ारे मिले ...क्रिकेट बेट यहाँ पर मिली लकड़ी से खूब बढ़िया बनता है ..बहुत सी इसकी फेक्ट्रियां देखी और बहन के बेटे ने जो क्रिकेट खेलने का शौकीन है एक बेट लिया भी ..ले कर उसने बताया कि दिल्ली में यही बेट २००० रूपये का मिलेगा जो उसने यहाँ से छः सौ रूपये में लिया है ..यहाँ पर ऊनी वस्त्र और खूबसूरत साड़ियाँ भी ली हमने ..जो बहुत वाजिब दाम पर मिली ... .बहुत कुछ है अभी बताने के लिए ..इस लिए अगले अंक का इन्तजार कीजियेगा :)