Thursday, October 04, 2012

तस्वीर

हर सुन्दर तस्वीर
जो समेटे हुए हो
अपने में
कई रंग ...
कई एहसास
और एक
"मोनालिजा सी मुस्कान "
वह सच नहीं होती ....!!
तस्वीर के पीछे
छिपे दर्द को
पहचानने के लिए
दिल की
अंतस गहराई में
उतर कर .........
उसके अंदर के
ज्वालामुखी में
साथ ही जलना होगा
हर दहक,हर रोशनी
तक पहुँचने के लिए
तय शुदा रास्तों से
हट कर ही
सफर तय करना होगा ||

26 comments:

सदा said...

वाह ... बेहतरीन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति

सादर

अरुन अनन्त said...

क्या बात है बेहद सुन्दर रचना वाह
यहाँ भी पधारें www.arunsblog.in

Prabodh Kumar Govil said...

Yakeenan aapki kavita se guzrna alag raaston se guzrna hi hai!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर

Arvind Mishra said...

डरायिये मत और न ही चुनौती दीजिये -कविता तो इंशा अल्लाह जोरदार है -इन दिनों बहुत प्रालिफिक हैं खैरियत तो है ? :-)

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर भाव लिए बेहतरीन रचना...
:-)

प्रवीण पाण्डेय said...

निश्चय ही, भटकन में भय तो होता है।

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर......
सोच में पड़ी हूँ.......
किस राह चलूँ जो तुम तक आये....

सस्नेह
अनु

poonam said...

सुंदर ....

Pravin Dubey said...

सुन्दर

Meenakshi Mishra Tiwari said...

Sahi kaha Ranju ji...

Jaise kavita ko samajhne ke liye usey mahsoos karna padta hai.. Waise hi ek tasveer ko samajhne ke liye uske antas me jhaankar dekhna padta hai ki aakhir wo tasveer kahna kya chahti hai...
उसके अंदर के
ज्वालामुखी में
साथ ही जलना होगा
हर दहक,हर रोशनी
तक पहुँचने के लिए
तय शुदा रास्तों से
हट कर ही
सफर तय करना होगा ||

Sundar rachna... <3

मुकेश कुमार सिन्हा said...

par kahan utar pate... dil tak... dil ki gahrayee to bahut dur ki kaudi hai:)

रश्मि शर्मा said...

वाह...बहुत सुंदर लगी कवि‍ता

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

खूब शूरत भाव लिए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति,,,,

RECECNT POST: हम देख न सके,,,

Udan Tashtari said...

उम्दा!!...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....

.... आज की वार्ता में ... उधार की ज़िंदगी ...... फिर एक चौराहा ...........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मुस्कान के पीछे का दर्द ..... उतरना पड़ता है अंतस तक .... बेहतरीन

vandana gupta said...

तयशुदा रास्तों से परे ही तस्वीर बना करती है।

अनामिका की सदायें ...... said...

sach kaha dard ko janne ke liye uski gahrayi, uski tapish ko apne me mehsoos karna padta hai.

rashmi ravija said...

अंदर का सच बयाँ करती,सुन्दर कविता

Dr. sandhya tiwari said...

उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति...........

वन्दना अवस्थी दुबे said...

क्या बात रंजू....

Asha Joglekar said...

सुंदर अभिव्यक्ति ।

Anju (Anu) Chaudhary said...

जलना है एक दीये की लौं की भांति रोशनी बिखरेते हुए

Markand Dave said...

Very Nice..!

रचना दीक्षित said...

मुस्कान के पीछे छुपे दर्द को पहचानने का सफल और सार्थक प्रयास.

उत्कृष्ट रचना.