बीते कितने पल,
लम्हे ज़िंदगी के
दिल के किसी तहखाने में क़ैद हैं
अभी भी वह अधलिखे पन्ने
कुछ अनमिटे से निशाँ
पुरानी लाल डायरी के पन्नों पर
यूं ही कुछ बिखरे लफ्ज़
जो आज भी जीवन के अक्स
को अपने आईने में दिखा जाते हैं
दबे हुए कुछ पुराने से किस्से
पक्की बनी इमारत में
आज भी किसी कच्ची मिटटी से
दरक कर अपनी आहट दे जाते हैं
बोझिल होती हुई हर पल साँसे
पर कहीं अभी भी दिल के कोने में
यौवन के मधुर निशाँ
और संजोये मीठे पलों की सौगाते
धड़क के दिल को जीने का संदेश दे जाते हैं
दबी हुई है बुझी राख में
अधलिखी सी चिट्ठियां
और वह सूखे हुए गुलाब
आज भी
अपनी महक से प्रेम के हर पल को
जीवंत बना कर
एक और बहाना जीने का दे जाते हैं .........
लम्हे ज़िंदगी के
दिल के किसी तहखाने में क़ैद हैं
अभी भी वह अधलिखे पन्ने
कुछ अनमिटे से निशाँ
पुरानी लाल डायरी के पन्नों पर
यूं ही कुछ बिखरे लफ्ज़
जो आज भी जीवन के अक्स
को अपने आईने में दिखा जाते हैं
दबे हुए कुछ पुराने से किस्से
पक्की बनी इमारत में
आज भी किसी कच्ची मिटटी से
दरक कर अपनी आहट दे जाते हैं
बोझिल होती हुई हर पल साँसे
पर कहीं अभी भी दिल के कोने में
यौवन के मधुर निशाँ
और संजोये मीठे पलों की सौगाते
धड़क के दिल को जीने का संदेश दे जाते हैं
दबी हुई है बुझी राख में
अधलिखी सी चिट्ठियां
और वह सूखे हुए गुलाब
आज भी
अपनी महक से प्रेम के हर पल को
जीवंत बना कर
एक और बहाना जीने का दे जाते हैं .........
13 comments:
दिल जीने के बहाने ढूंढ ही लेता है....
बहुत सुन्दर रंजना जी..
अनु
अपनी महक से प्रेम के हर पल को
जीवंत बना कर
एक और बहाना जीने का दे जाते हैं
बिल्कुल सच कहा ...
कभी कभी ज़िन्दगी जीने के बहाने ऐसे ही खोजा करती है।
सच कहा प्रेम का हर बिता हुआ पल जीने का सबब देजाते है..बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति..रंजू जी..
बीते पल संबल भी तो हैं..सुन्दर अभिव्यक्ति.
दबी हुई है बुझी राख में
अधलिखी सी चिट्ठियां
और वह सूखे हुए गुलाब
आज भी
अपनी महक से प्रेम के हर पल को
जीवंत बना कर
एक और बहाना जीने का दे जाते हैं .....
कोई तो बहाना हो जीने का ... बहुत सुंदर प्रस्तुति
दबी हुई है बुझी राख में
अधलिखी सी चिट्ठियां
और वह सूखे हुए गुलाब
आज भी
अपनी महक से प्रेम के हर पल को
जीवंत बना कर
एक और बहाना जीने का दे जाते हैं .....
बहुत खूब रंजना जी.
क्षणों में जीने का अहसास जिसे है वह ताउम्र उन्ही की याद में जी सकता है -
अच्छी कविता!
दबी हुई है बुझी राख में
अधलिखी सी चिट्ठियां
और वह सूखे हुए गुलाब
आज भी
अपनी महक से प्रेम के हर पल को
जीवंत बना कर
एक और बहाना जीने का दे जाते हैं .........
...बहुत खूब! अद्भुत अहसास...ये कुछ पल ही जीने के बहाने बन जाते हैं...
स्मृति के संबल पर टिकी भविष्य की आशायें..
दबे हुए कुछ पुराने से किस्से
पक्की बनी इमारत में
आज भी किसी कच्ची मिटटी से
दरक कर अपनी आहट दे जाते हैं ...
ऐसे ही दबे हुवे किस्से और उनकी आहट ... जीवन की संजीवनी होती है ... उनकी खुसबू रची होती है दिवारों में ...
एक बार बहाना मिल जाए , जिंदगी तो खोज लेते ही हैं हम |
जिन्दगी के यथार्थ को बताती सार्थक अभिवयक्ति....
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