Friday, April 13, 2012

इन्तजार



जाने कब तक उम्र बीतेगी इन्तजार में
एक मुद्दत से है राह पर नजर टिकी हुई

चल रहे हैं वक्त का यही है तकाजा
उस पार क्या है यह किसको खबर हुई

मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी  हुई

बाँट गई सब खुशियाँ जो साथ थी
तन्हाई की अब तो आदत हमको हुई

कह तो रहे हैं अपने दर्द को इस ख़त में
वैसे तो बात किए हुए तुमसे अब मुद्दत हुई

15 comments:

Nirantar said...

उसने वादा किया था
कल फिर आऊँगी
कई दिन
कई रातें गुजर गयी
आँखों की नींद अधूरी रही
दिल की
धड़कन बढ़ती गयी
निगाहें रास्ते पर गढ़ी रहीं
जब थक कर पूंछा
मैंने किसी से
कहीं देखा है तुमने उसको
हंस कर वो कहने लगा
कभी मुझ से भी
वादा कर के गयी थी
मुझ से भी बेवफायी
करी थी
फर्क इतना ही है
मैंने यकीन नहीं किया
तुम सच मान बैठे उसके
वादे को

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत गजल

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत सुन्दर...

Maheshwari kaneri said...

कह तो रहे हैं अपने दर्द को इस ख़त में
वैसे तो बात किए हुए तुमसे अब मुद्दत हुई...बहुत सुन्दर रचना..

Arvind Mishra said...

सुन्दर भावपूर्ण -कृपया धडी को घड़ी कर लें !

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह..

बहुत सुंदर...

अनु

Shanti Garg said...

बहुत बेहतरीन....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब .. किसी का लंबा इन्तेज़ार ... तन्हाई की हद से गुज़ारना ... गहरे एहसास पिरोये हैं ...

कुमार राधारमण said...

मन पेंडुलम है,भूत या भविष्य में रहे
है दर्द वर्तमान का,दे खबर उसे कोई!

प्रवीण पाण्डेय said...

पीड़ा रिसती रहे, संवाद चलता रहे।

Rachana said...

मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी हुई
bahut sunder bhav
rachana

Rachana said...

मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी हुई
bahut sunder bhav
rachana

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

Intjaar achcha hai

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

Intjaar achcha hai

सदा said...

वाह ...बेहतरीन भाव संयोजन के साथ उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।