रिश्ते
रोड पर लगे नियोन साइन से
कभी जलते कभी बुझते
कभी रंग बदलते
पर हमेशा लुभाते
फरिश्ते से
रिश्ते
दर्द में रिसते
पल पल को तरसते
मिल के भी नही मिलते
जाने कैसे हैं इस के रस्ते.
गहराई में डूबे हुए
सम्पूर्ण रिश्ते
अक्सर बेनाम ही होते हैं
न जाने फ़िर क्यों जरुरी होता है
इनको कोई नाम देना ..
रोड पर लगे नियोन साइन से
कभी जलते कभी बुझते
कभी रंग बदलते
पर हमेशा लुभाते
फरिश्ते से
रिश्ते
दर्द में रिसते
पल पल को तरसते
मिल के भी नही मिलते
जाने कैसे हैं इस के रस्ते.
गहराई में डूबे हुए
सम्पूर्ण रिश्ते
अक्सर बेनाम ही होते हैं
न जाने फ़िर क्यों जरुरी होता है
इनको कोई नाम देना ..
7 comments:
बहुत सुन्दर रचना.....
परम्पराओं की बेडियाँ अब तक नहीं तोड़ पाए हैं रिश्ते......
बिना नाम का रिश्ता कहाँ......
जब नाम दिया तभी ना रिश्ता कहलाता है....
उलझी स्थिति है...
सादर.
हर चीज को एक नाम देना चाहते हैं हम।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
रास्ते जब मिल ही जायेंगे, मंजिल पर आदमी पहुँच ही जायेगा, तो निर्वाण की स्थिति बन जायेगी...जबकि सृजन के लिए तो आवश्यक है कि अधूरापन हमेशा बना रहे..तलाश कहीं भी कभी भी रुकने न दे...
मार्मिक भावाभिवय्क्ति.....
रिश्तों का चक्र भी ऐसा ही है ... मिलतें भी हैं पर नहीं मिलते ... गहरी बात ...
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