जाने कब तक उम्र बीतेगी इन्तजार में
एक मुद्दत से है राह पर नजर टिकी हुई
चल रहे हैं वक्त का यही है तकाजा
उस पार क्या है यह किसको खबर हुई
मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी हुई
बाँट गई सब खुशियाँ जो साथ थी
तन्हाई की अब तो आदत हमको हुई
कह तो रहे हैं अपने दर्द को इस ख़त में
वैसे तो बात किए हुए तुमसे अब मुद्दत हुई
एक मुद्दत से है राह पर नजर टिकी हुई
चल रहे हैं वक्त का यही है तकाजा
उस पार क्या है यह किसको खबर हुई
मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी हुई
बाँट गई सब खुशियाँ जो साथ थी
तन्हाई की अब तो आदत हमको हुई
कह तो रहे हैं अपने दर्द को इस ख़त में
वैसे तो बात किए हुए तुमसे अब मुद्दत हुई
15 comments:
उसने वादा किया था
कल फिर आऊँगी
कई दिन
कई रातें गुजर गयी
आँखों की नींद अधूरी रही
दिल की
धड़कन बढ़ती गयी
निगाहें रास्ते पर गढ़ी रहीं
जब थक कर पूंछा
मैंने किसी से
कहीं देखा है तुमने उसको
हंस कर वो कहने लगा
कभी मुझ से भी
वादा कर के गयी थी
मुझ से भी बेवफायी
करी थी
फर्क इतना ही है
मैंने यकीन नहीं किया
तुम सच मान बैठे उसके
वादे को
खूबसूरत गजल
बहुत सुन्दर...
कह तो रहे हैं अपने दर्द को इस ख़त में
वैसे तो बात किए हुए तुमसे अब मुद्दत हुई...बहुत सुन्दर रचना..
सुन्दर भावपूर्ण -कृपया धडी को घड़ी कर लें !
वाह..
बहुत सुंदर...
अनु
बहुत बेहतरीन....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत खूब .. किसी का लंबा इन्तेज़ार ... तन्हाई की हद से गुज़ारना ... गहरे एहसास पिरोये हैं ...
मन पेंडुलम है,भूत या भविष्य में रहे
है दर्द वर्तमान का,दे खबर उसे कोई!
पीड़ा रिसती रहे, संवाद चलता रहे।
मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी हुई
bahut sunder bhav
rachana
मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी हुई
bahut sunder bhav
rachana
Intjaar achcha hai
Intjaar achcha hai
वाह ...बेहतरीन भाव संयोजन के साथ उत्कृष्ट प्रस्तुति।
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