बहुत खूब.. छोटे पैकेट में बड़ा धमाका..
उम्र.....न जानेकहाँ हुआ गुमतेरा -मेरामैं और तुमwaah bahut sunder,umar ka hamse har rishta bayan hua.
सुबह सुबह इतनी गहरी बातें। चंद शब्दों में बहुत कुछ कह दिया। उम्र.....तन्हा रास्तातन्हा ही हैदुनिया का मेलाजाए हर कोई अकेला। सिर्फ यही सत्य है बाकी सब.....
कम शब्दों में सुंदर अभिव्यक्ति। अच्छी क्षणिकाएं।
बढियां कविता !
बहुत बढिया ... इतनी नाजुक भावनाओं को ... कैसे दे पाती है आप शब्द ?
एक एक शब्द चुन के लिया है आप ने बहार-ए-गुलशन से ।
इतनी लम्बी उम्र पे इतनी छोटी छोटी कवितावो को लिखना महारत का काम है हर कविता अपने आप में कमल का है है मजा आगया ...ढेरो बधाई आपको रंजना जी...अर्श
बहिन रंजना (रंजू) भाटिया!आपने उम्र के विभिन्न पहलुओं का सुन्दर ढंग से चित्रण किया है। आप बहुत अच्छा लिख रहीं हैं।लेखन जारी रखें। नव-सम्वत्सर की बधाई स्वीकार करें।
उम्र के बहाव को शब्दों में बहुत ही नफासत से ढाला गया है।----------तस्लीम साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
उम्र के तीन पडाव गहरे विचार ......... बहुत अच्छे
"उम्र दिखाने लगे है आइने घर के अब ये भी हमें आजमाने निकले "
थोड़े शब्द, बड़ी बात है .
उम्र.....न जानेकहाँ हुआ गुमतेरा -मेरामैं और तुमबहुत सुंदर!
आप बहुत सुन्दर लिखती हैं.
poori zindagi ko bahut hi sundar dhang se bayan kar diya aapne........har padav umra ka.............bahut gahrai se likha hai.
bahut badhiakafi gahari bat kahi hai apane
न जानेकहाँ हुआ गुमतेरा -मेरामैं और तुमवाह बहुत खूब रंजना।
तन्हा रास्तातन्हा ही हैदुनिया का मेलाजाए हर कोई अकेला ॥ sundar rachna.congrets
उम्र और उसके साथ चलती ये दुनिया ...कुछ ढलती कुछ बदलती
सरल शब्दों में गूढ़ बाते लिख दी आपने .तन्हा रास्तातन्हा ही हैदुनिया का मेलाजाए हर कोई अकेलाबहुत सुन्दर
ranjana ji ,न जानेकहाँ हुआ गुमतेरा -मेरामैं और तुमmain kuch aur kya likhun . kuch kahne ko ab raha hi nahi .. this is what i appreciate more.. your writings has come of age.. they are now more thoughtful and meaningful... very good crafting of words..dil se badhai sweekar karen ...
Chota shishak, choti kavita. magar arth kafi bade! Badhai.
वाकई,बहुत सुंदर .
बहुत कुछ कह दिया है इन चन्द शब्दों में।
आपने तो इंजेक्सन की दवा वाली शीशी में पूरे झील का पानी भर दिया......वाह !!! क्या बात है...बहुत बहुत बहुत सुन्दर...वाह !
गागर में सागर ...बहुत खूबसूरत रचनाएं
ये आपका अलग सा जो स्टाइल है...पहले वो "कहानी" और अब ये "उम्र"- बहुत खूब है मैम
आपकी पोस्ट की चर्चा मेरे ब्लॉग समयचक्र मेंसमयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : आज " धरती -प्रहर" में एक वोट धरती को भी दीजिये
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है इसमे और विस्तार की जरुरत जान पडती है।
तन्हा रास्तातन्हा ही हैदुनिया का मेलाजाए हर कोई अकेला ॥क्या बात है बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की रचना धन्यवाद
बहुत सुँदर अभिव्यक्ति - लावण्या
न जानेकहाँ हुआ गुमतेरा -मेरामैं और तुमउम्र के पडावों से गुजरते हुए गहरे भाव लिए हुए हैं ये चंद शब्द!बधाई!
तीनों ही रचनाएं छोटी किन्तु बहुत ही गहरे अर्थ लिए हैं. उम्र के बहाव, उम्र के फैलाव का सजीव चित्रं है इनमें. सफल रचनाएं.......मुझे ये बहुत सुन्दर लगी न जानेकहाँ हुआ गुमतेरा -मेरामैं और तुम
उम्र.....जैसे नदी कातेज बहावउम्र.....मैं और तुमउम्र.....दुनिया का मेला
wah..ye bahut dino ke baad kuch mast maal, mera namskaar sweekar karenPankaj
उम्र.....कुछ यूँ बहीजैसे नदी कातेज बहाव bhut sundar
उम्र जो गुजर गईऔर हम खडे रह गयेवैसे ही जैसे धरती घूमती हैएक ही धूरी परसुन्दर भाव अभिव्यक्ति के लिये बधाई
आपकी कविताएं कई बार पढ़ता हूँ और ऐसा लगता है कि हर बार एक नई कविता पढ़ रहा हूँ।
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42 comments:
बहुत खूब.. छोटे पैकेट में बड़ा धमाका..
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
waah bahut sunder,umar ka hamse har rishta bayan hua.
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
waah bahut sunder,umar ka hamse har rishta bayan hua.
सुबह सुबह इतनी गहरी बातें। चंद शब्दों में बहुत कुछ कह दिया।
उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला।
सिर्फ यही सत्य है बाकी सब.....
कम शब्दों में सुंदर अभिव्यक्ति। अच्छी क्षणिकाएं।
बढियां कविता !
बहुत बढिया ... इतनी नाजुक भावनाओं को ... कैसे दे पाती है आप शब्द ?
एक एक शब्द चुन के लिया है आप ने बहार-ए-गुलशन से ।
इतनी लम्बी उम्र पे इतनी छोटी छोटी कवितावो को लिखना महारत का काम है हर कविता अपने आप में कमल का है है मजा आगया ...ढेरो बधाई आपको रंजना जी...
अर्श
बहिन रंजना (रंजू) भाटिया!
आपने उम्र के विभिन्न पहलुओं का सुन्दर ढंग से चित्रण किया है। आप बहुत अच्छा लिख रहीं हैं।
लेखन जारी रखें।
नव-सम्वत्सर की बधाई स्वीकार करें।
उम्र के बहाव को शब्दों में बहुत ही नफासत से ढाला गया है।
----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
उम्र के बहाव को शब्दों में बहुत ही नफासत से ढाला गया है।
----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
उम्र के तीन पडाव
गहरे विचार ......... बहुत अच्छे
"उम्र दिखाने लगे है आइने घर के
अब ये भी हमें आजमाने निकले "
थोड़े शब्द, बड़ी बात है .
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
बहुत सुंदर!
आप बहुत सुन्दर लिखती हैं.
poori zindagi ko bahut hi sundar dhang se bayan kar diya aapne........har padav umra ka.............bahut gahrai se likha hai.
bahut badhia
kafi gahari bat kahi hai apane
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
वाह बहुत खूब रंजना।
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ॥
sundar rachna.congrets
उम्र और उसके साथ चलती ये दुनिया ...कुछ ढलती कुछ बदलती
सरल शब्दों में गूढ़ बाते लिख दी आपने .
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला
बहुत सुन्दर
ranjana ji ,
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
main kuch aur kya likhun . kuch kahne ko ab raha hi nahi ..
this is what i appreciate more.. your writings has come of age.. they are now more thoughtful and meaningful...
very good crafting of words..
dil se badhai sweekar karen ...
Chota shishak, choti kavita. magar arth kafi bade! Badhai.
वाकई,बहुत सुंदर .
बहुत कुछ कह दिया है इन चन्द शब्दों में।
आपने तो इंजेक्सन की दवा वाली शीशी में पूरे झील का पानी भर दिया......वाह !!! क्या बात है...बहुत बहुत बहुत सुन्दर...वाह !
गागर में सागर ...बहुत खूबसूरत रचनाएं
ये आपका अलग सा जो स्टाइल है...पहले वो "कहानी" और अब ये "उम्र"- बहुत खूब है मैम
आपकी पोस्ट की चर्चा मेरे ब्लॉग समयचक्र में
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : आज " धरती -प्रहर" में एक वोट धरती को भी दीजिये
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है इसमे और विस्तार की जरुरत जान पडती है।
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ॥
क्या बात है बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की रचना धन्यवाद
बहुत सुँदर अभिव्यक्ति
- लावण्या
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
उम्र के पडावों से गुजरते हुए
गहरे भाव लिए हुए हैं ये चंद शब्द!
बधाई!
तीनों ही रचनाएं छोटी किन्तु बहुत ही गहरे अर्थ लिए हैं. उम्र के बहाव, उम्र के फैलाव का सजीव चित्रं है इनमें.
सफल रचनाएं.......मुझे ये बहुत सुन्दर लगी
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
उम्र.....
जैसे नदी का
तेज बहाव
उम्र.....
मैं और तुम
उम्र.....
दुनिया का मेला
wah..ye bahut dino ke baad kuch mast maal,
mera namskaar sweekar karen
Pankaj
उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
bhut sundar
उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
bhut sundar
उम्र जो गुजर गई
और हम खडे रह गये
वैसे ही जैसे
धरती घूमती है
एक ही धूरी पर
सुन्दर भाव अभिव्यक्ति के लिये बधाई
आपकी कविताएं कई बार पढ़ता हूँ और ऐसा लगता है कि हर बार एक नई कविता पढ़ रहा हूँ।
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