Friday, March 27, 2009

उम्र.....


उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव

उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम


उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ॥

रंजना ( रंजू ) भाटिया

42 comments:

Ashish Khandelwal said...

बहुत खूब.. छोटे पैकेट में बड़ा धमाका..

mehek said...

उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम

waah bahut sunder,umar ka hamse har rishta bayan hua.

mehek said...

उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम

waah bahut sunder,umar ka hamse har rishta bayan hua.

सुशील छौक्कर said...

सुबह सुबह इतनी गहरी बातें। चंद शब्दों में बहुत कुछ कह दिया।
उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला।

सिर्फ यही सत्य है बाकी सब.....

Ashok Pandey said...

कम शब्‍दों में सुंदर अभिव्‍यक्ति। अच्‍छी क्षणिकाएं।

Arvind Mishra said...

बढियां कविता !

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया ... इतनी नाजुक भावनाओं को ... कैसे दे पाती है आप शब्‍द ?

Unknown said...

एक एक शब्द चुन के लिया है आप ने बहार-ए-गुलशन से ।

"अर्श" said...

इतनी लम्बी उम्र पे इतनी छोटी छोटी कवितावो को लिखना महारत का काम है हर कविता अपने आप में कमल का है है मजा आगया ...ढेरो बधाई आपको रंजना जी...

अर्श

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहिन रंजना (रंजू) भाटिया!
आपने उम्र के विभिन्न पहलुओं का सुन्दर ढंग से चित्रण किया है। आप बहुत अच्छा लिख रहीं हैं।
लेखन जारी रखें।
नव-सम्वत्सर की बधाई स्वीकार करें।

admin said...

उम्र के बहाव को शब्‍दों में बहुत ही नफासत से ढाला गया है।

----------
तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

admin said...

उम्र के बहाव को शब्‍दों में बहुत ही नफासत से ढाला गया है।

----------
तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

रश्मि प्रभा... said...

उम्र के तीन पडाव
गहरे विचार ......... बहुत अच्छे

डॉ .अनुराग said...

"उम्र दिखाने लगे है आइने घर के
अब ये भी हमें आजमाने निकले "

के सी said...

थोड़े शब्द, बड़ी बात है .

रविकांत पाण्डेय said...

उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम

बहुत सुंदर!

rajkumari said...

आप बहुत सुन्दर लिखती हैं.

vandana gupta said...

poori zindagi ko bahut hi sundar dhang se bayan kar diya aapne........har padav umra ka.............bahut gahrai se likha hai.

Anonymous said...

bahut badhia
kafi gahari bat kahi hai apane

शोभा said...

न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
वाह बहुत खूब रंजना।

Prem Farukhabadi said...

तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ॥
sundar rachna.congrets

अनिल कान्त said...

उम्र और उसके साथ चलती ये दुनिया ...कुछ ढलती कुछ बदलती

आलोक सिंह said...

सरल शब्दों में गूढ़ बाते लिख दी आपने .
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला
बहुत सुन्दर

vijay kumar sappatti said...

ranjana ji ,

न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम

main kuch aur kya likhun . kuch kahne ko ab raha hi nahi ..

this is what i appreciate more.. your writings has come of age.. they are now more thoughtful and meaningful...

very good crafting of words..

dil se badhai sweekar karen ...

अभिषेक मिश्र said...

Chota shishak, choti kavita. magar arth kafi bade! Badhai.

डॉ. मनोज मिश्र said...

वाकई,बहुत सुंदर .

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत कुछ कह दिया है इन चन्द शब्दों में।

रंजना said...

आपने तो इंजेक्सन की दवा वाली शीशी में पूरे झील का पानी भर दिया......वाह !!! क्या बात है...बहुत बहुत बहुत सुन्दर...वाह !

शेफाली पाण्डे said...

गागर में सागर ...बहुत खूबसूरत रचनाएं

गौतम राजऋषि said...

ये आपका अलग सा जो स्टाइल है...पहले वो "कहानी" और अब ये "उम्र"- बहुत खूब है मैम

समय चक्र said...

आपकी पोस्ट की चर्चा मेरे ब्लॉग समयचक्र में
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : आज " धरती -प्रहर" में एक वोट धरती को भी दीजिये

कडुवासच said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है इसमे और विस्तार की जरुरत जान पडती है।

राज भाटिय़ा said...

तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ॥
क्या बात है बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की रचना धन्यवाद

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बहुत सुँदर अभिव्यक्ति
- लावण्या

Alpana Verma said...

न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम

उम्र के पडावों से गुजरते हुए
गहरे भाव लिए हुए हैं ये चंद शब्द!
बधाई!

दिगम्बर नासवा said...

तीनों ही रचनाएं छोटी किन्तु बहुत ही गहरे अर्थ लिए हैं. उम्र के बहाव, उम्र के फैलाव का सजीव चित्रं है इनमें.
सफल रचनाएं.......मुझे ये बहुत सुन्दर लगी



न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम

hem pandey said...

उम्र.....
जैसे नदी का
तेज बहाव

उम्र.....
मैं और तुम

उम्र.....
दुनिया का मेला

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

wah..ye bahut dino ke baad kuch mast maal,

mera namskaar sweekar karen

Pankaj

मोना परसाई said...

उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
bhut sundar

मोना परसाई said...

उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
bhut sundar

Mohinder56 said...

उम्र जो गुजर गई
और हम खडे रह गये
वैसे ही जैसे
धरती घूमती है
एक ही धूरी पर

सुन्दर भाव अभिव्यक्ति के लिये बधाई

Prakash Badal said...

आपकी कविताएं कई बार पढ़ता हूँ और ऐसा लगता है कि हर बार एक नई कविता पढ़ रहा हूँ।