हूँ तेरे साथ मैं आज ,
कुछ बहके हुए एहसासों से
छिपा ले मुझे बाँहों में सनम कि,
वक़्त कटे ना अब बातो से
तेरे ही सांसो से जुड़ी ,
मैं साथ तेरे हर पल चली हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ .......
दिल धड़क रहा है मेरा
आज कुछ नये अंदाज़ से
सीने में है कुछ मचले हुए जज़्बात से
नज़रो में एक मीठी सी कसक ले के जगी हूँ
तेरे नयनों में बन सपना ,मैं ही तो खिली हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज में तेरे दिल से जुड़ी हूँ .......
रात है कुछ आज सुरमई महकी हुई ,
बहकी है यह मदमस्त हवा भी
कर ले तू भी नादानियां आज
दिल की बहकी फ़िज़ाओ से...
आज तेरे साथ मैं सब हदों को ..
पार करने की नीयत से खड़ी हूँ
बाँध ले आज अपने प्यार की डोर से सनम,
मैं इस पल के लिए दुनिया से लड़ी हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ ....
१३-०२ ०५
कुछ बहके हुए एहसासों से
छिपा ले मुझे बाँहों में सनम कि,
वक़्त कटे ना अब बातो से
तेरे ही सांसो से जुड़ी ,
मैं साथ तेरे हर पल चली हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ .......
दिल धड़क रहा है मेरा
आज कुछ नये अंदाज़ से
सीने में है कुछ मचले हुए जज़्बात से
नज़रो में एक मीठी सी कसक ले के जगी हूँ
तेरे नयनों में बन सपना ,मैं ही तो खिली हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज में तेरे दिल से जुड़ी हूँ .......
रात है कुछ आज सुरमई महकी हुई ,
बहकी है यह मदमस्त हवा भी
कर ले तू भी नादानियां आज
दिल की बहकी फ़िज़ाओ से...
आज तेरे साथ मैं सब हदों को ..
पार करने की नीयत से खड़ी हूँ
बाँध ले आज अपने प्यार की डोर से सनम,
मैं इस पल के लिए दुनिया से लड़ी हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ ....
१३-०२ ०५
25 comments:
बेहद रूमानी रचना.... बहुत दिनो बाद कुछ ऎसा पढने को मिला!!
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ ....
रंजना जी ,आप की कविता पढ पढ कर लगता हे मे भी कवि बन जाउगा,बहुत सुन्दर कविता कही हे आप ने धन्यवाद
बाँध ले आज अपने प्यार की डोर से सनम,
मैं इस पल के लिए दुनिया से लड़ी हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ ....
--बहुत सुन्दर! वाह!
कुछ पंक्तिया तो वाकई दिल को भा गयी.. आप जितना सोचती है ना उस से कई ज़्यादा अच्छा लिखती है..
रोमांटिक एवं सुंदर लिखा है !
दिल धड़क रहा है मेरा
आज कुछ नये अंदाज़ से
सीने में है कुछ मचले हुए जज़्बात से
नज़रो में एक मीठी सी कसक ले के जगी हूँ
"beautiful lines, so loving poetry romantic see lgee, enjoyed reading it"
Regards
रंजना जी,
पुरानी डायरी बाकई काम की लगती है... बढिया रुमानी कविता के लिये बधाई
रूमानियत की इन्तेहा को सजीव करती रचना.बहुत सुन्दर.पढ कर दिल में कुछ कुछ होने लगा है.वैसे भी बारिश कम गज़ब नहीं ढा रही है.
दिल धड़क रहा है मेरा
आज कुछ नये अंदाज़ से
सीने में है कुछ मचले हुए जज़्बात से
नज़रो में एक मीठी सी कसक ले के जगी हूँ
तेरे नयनों में बन सपना ,मैं ही तो खिली हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज में तेरे दिल से जुड़ी हूँ .......
kashish hi kashish hai
रात है कुछ आज सुरमई महकी हुई ,
बहकी है यह मदमस्त हवा भी
कर ले तू भी नादानियां आज
दिल की बहकी फ़िज़ाओ से...
आज तेरे साथ मैं सब हदों को ..
पार करने की नीयत से खड़ी हूँ
बाँध ले आज अपने प्यार की डोर से सनम,
मैं इस पल के लिए दुनिया से लड़ी हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ ....बहुत अच्छा लिखा है। बधाई
रात है कुछ आज सुरमई महकी हुई ,
बहकी है यह मदमस्त हवा भी
कर ले तू भी नादानियां आज
दिल की बहकी फ़िज़ाओ से...
आज तेरे साथ मैं सब हदों को ..
पार करने की नीयत से खड़ी हूँ
बाँध ले आज अपने प्यार की डोर से सनम,
मैं इस पल के लिए दुनिया से लड़ी हूँ
तेरे ही दिल की रागिनी बन के
आज मैं तेरे दिल से जुड़ी हूँ ....
Bahot khub dil ko chhu gai ye rachna....
रंजना जी,
रुमानी और प्यारी कविता लिखी है आपने जी !
- लावण्या
रंजनाजी...आपकी ये कविता सचमुच पुरानी लग रही है क्योंकि इसमें छोटी उम्र्र का कच्चापन और कोरापन साफ़ झलक रहा है.हम आपके जैसे रचनाकार तोह नहीं किन्तु एक बार हमारे ब्लॉग में जाकर थोडा मार्गदर्शन करें?http://suniyesunaiye.blogspot.com
excellent mam.......ise padhkar mera dil dhadakne laga hai,bahut hi sajeev-chitran kiya hai aapne...
रंजू जी,
शानदार रूमानी गीत प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
निम्न लाइन बेहद पसंद आयी .......
नज़रो में एक मीठी सी कसक ले के जगी हूँ
तेरे नयनों में बन सपना ,मैं ही तो खिली हूं
बधाई स्वीकार करें.
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत सुन्दर कविता.
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं!
वँदे मातरम!
शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों
स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो
is ragini ke liye badhai..wah
वाकई सुबह सुबह अच्छी नीयत है .....जस्ट जोकिंग....रूमानी कविता.......
बहुत सुन्दर कविता
आप तो वैसे ही लव गुरू के नाम से विख्यात है दी आपने लिये तो आसान है इतनी सुन्दर कविता लिखना...:)
आपको व आपके पूरे परिवार को स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभ-कामनाएं...
जय-हिन्द!
बहुत ख़ूबसूरत ख़्याल, जैसे प्यार का जाम छलक रहा हो!
बेहद रूमानी रचना।
अति सुंदर.
बहुत उम्दा..
अद्भुत लिखा आपने.
पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा.
आपकी ये रचना भी बहुत ही अच्छी है....
पढ़वाने का बहुत बहुत शुक्रिया......
लगता है अब आपसे टिप्स लेने पड़ेंगे, शायद मेरे जैसे का भी कुछ भला हो जाय !
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