जिंदगी कई रंग से में ढली है और दिल न जाने क्या क्या ख्याल बुनता रहता है ..वही ख्याल हैं यह कुछ लफ्जों की जुबान
सच के रंग
कभी उतार कर
अपने चेहरे से नकाब
ज़िंदगी को जीना सीखो
मिल जायेगी राह
किसी मंजिल की
बस सच से जुड़ना सीखो..
चेहरे का नूर
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
जुस्तजू
तेरे मीठे बोलो
तेरी प्यारी सी छवि
अपन वजूद पर
फैली हुई तेरी खुशबु
बस एक ओक में भरूँ
और चुपके से पी जाऊं ..
खामोशी
तेरे दिल की अन्तर गहराई से
मेरी नज़रों से दिल में उतरती ..
आदत
साँस लेने की
टुकडों में जीने की
वक्त बीतने की
टूट कर फ़िर से जुड़ने की
शायद जिंदगी कहलाती है ..
तेरा साथ
झूठे रेशमी धागों में
कसा हुआ एक रिश्ता
उपर से हँसता हुआ
अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहा है !!
सच के रंग
कभी उतार कर
अपने चेहरे से नकाब
ज़िंदगी को जीना सीखो
मिल जायेगी राह
किसी मंजिल की
बस सच से जुड़ना सीखो..
चेहरे का नूर
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
जुस्तजू
तेरे मीठे बोलो
तेरी प्यारी सी छवि
अपन वजूद पर
फैली हुई तेरी खुशबु
बस एक ओक में भरूँ
और चुपके से पी जाऊं ..
खामोशी
तेरे दिल की अन्तर गहराई से
मेरी नज़रों से दिल में उतरती ..
आदत
साँस लेने की
टुकडों में जीने की
वक्त बीतने की
टूट कर फ़िर से जुड़ने की
शायद जिंदगी कहलाती है ..
तेरा साथ
झूठे रेशमी धागों में
कसा हुआ एक रिश्ता
उपर से हँसता हुआ
अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहा है !!
21 comments:
झूठे रेशमी धागों में
कसा हुआ एक रिश्ता
उपर से हँसता हुआ
अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहा है !!
बहुत खूबसूरत क्षणिकाए है रंजू जी.. शुक्रिया पढ़वाने के लिए.. ओर आप तो जानती ही है की क्षणिकाए मुझे पर्सनली बहुत पसंद है..
bahut khoob,lajawaab....kaise likhti ho ye sab.....bahut khoobsurat ahsaason ke saath likhi hain ye kshdinkaayein....thanx ...
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
aor ye.....
तेरे मीठे बोलो
तेरी प्यारी सी छवि
अपन वजूद पर
फैली हुई तेरी खुशबु
बस एक ओक में भरूँ
और चुपके से पी जाऊं ..
ये हुई न कुछ बात अमृता की दीवानी सी.....बेहतरीन ...खूबसूरत........
अच्छा है.
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
बहुत खूब !
झूठे रेशमी धागों में
कसा हुआ एक रिश्ता
उपर से हँसता हुआ
अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहा है !!
bahed samvedan sheelata ko darsha raha hai...
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..bahut khuub!
sabhi kshanikayen bahut achchee lagin.
इतना खुबसूरत लिखना तो रंजू जी आपके ही वश मे है।
हर शब्द भीतर तक एहसास करा जाता है।
सभी एक से बढ़कर एक है।
तेरा साथ
झूठे रेशमी धागों में
कसा हुआ एक रिश्ता
उपर से हँसता हुआ
अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहा है
तेरे मीठे बोलो
तेरी प्यारी सी छवि
अपन वजूद पर
फैली हुई तेरी खुशबु
बस एक ओक में भरूँ
और चुपके से पी जाऊं ..
सुन्दर.........
चेहरे का नूर
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
wah ye behad khubsurat hai,man ki gagariya chalak chalak gayi
baki saari bhi bahut sundar hai bahut badhai
साँस लेने की
टुकडों में जीने की
वक्त बीतने की
टूट कर फ़िर से जुड़ने की
शायद जिंदगी कहलाती है ..
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
जज्बातों,और सच्चाई की माला बहुत प्यारी सुन्दर है।
रँजू जी सुँदर भावभीनी अभिव्यक्ति लिके ये क्षिणाकाएँ पसँद आयीँ - ऐसे ही लिखती रहेँ -
- लावण्या
सभी एक से बढ़ कर एक क्षणिकाएँ.... आप कहीं गहरे छिपे भावों को अपनी लेखनी से जगा देती हैं...
टूट कर फ़िर से जुड़ने की
शायद जिंदगी कहलाती है ..
समझौते की सच्चाई को
चाहे जो भी कहें पुकारें
गुणा भाग कर जोड़ घटा कर
यही ज़िन्दगी कहलाती है
सुंदर शब्द पिरोए है आपने इस रचना में.. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.. बधाई
गजब की रूमानियत से सराबोर.रंगीला कर दिया अमृता आपने तो.हाय......कहर बरपा दिया
आलोक सिंह "साहिल"
रंजू जी आपकी छोटी छोटी कवितायें बहुत हृदय स्पर्शी है। सच तो यह है कि जब मैं कोई कविता पढ़ता हूं तो मेरा मन भी कर ही उठता है कविता लिखने का।
दीपक भारतदीप
..................
पल रंग बदलती दुनियां में
रिश्ते भी बदलते हैं रंग
जो सारी उमर साथ चलने का
एलान करते सरेआम
वह कभी नहीं चलते संग
जिनसे फेरा होता है मूंह
वही चल पड़ते है साथ
निभाने लगते हैं बिना वादा किये
चाहे होते है रास्ते तंग
कोई शिकायत नहीं करते
चलते है संग
............................
चेहरे का नूर
छलक उठा
जब भी याद आया
तेरे होंठों की मोहर का
अपनी गर्दन पर लगना ..
बेहतरीन!!
रंजू जी
बहुत ही प्रभाव शाली लिखा है। बधाई ।
कुछ ऐसा पढ़ने को मिला आज़ कि जैसे किसी ने शान्त झील में पत्थर फेंक दिया हो... ये नाते, ये रिश्ते... बहुत कुछ कहा आपने... अन्दर तक समा गया... बहुत-बहुत बधाई...
एक बात पूछना चाहूँगी कि रँजना जी और रंजू जी जो मेरे ब्लॉग http://www.dilkedarmiyan.blogspot.com/ पर अन्तिम पोस्ट पर टिप्पणी में हैं क्या एक ही हैं?
तेरा साथ
झूठे रेशमी धागों में
कसा हुआ एक रिश्ता
उपर से हँसता हुआ
अन्दर ही अन्दर दम तोड़ रहा है !!
behtareen
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