Friday, June 27, 2008

आवारा मौसम और अल्हड सी कविता


कभी कभी कैसे दिल होता है न ..कि बस कुछ न करो और पलटो पन्ने बीती जिंदगी के ....और बुनो उस से फ़िर कोई नया सपना .....कभी लगेगा कि बस आज का दिन है कर लो जितना काम करना है क्या पता अगली साँस आए या न आए ..कभी कभी यूँ हो जाता है की क्या जल्दी है अभी तो बहुत समय है जीना है बरसों ...:) दिल की यह आवारा बातें हैं जो शांत नही बैठने देती हैं ......खिड़की से बाहर देखती हूँ तो बारिश नटखट हो कर कभी लगता है बरस जायेगी .कभी यूँ शांत हो कर बैठ जाती है की जैसे किसी शैतान बच्चे को बाँध कर बिठा दिया गया है ....दिल भी आज यूँ इस मौसम सा ही हो रहा है ..खुराफाती दिमाग और इस आवारा मौसम से मासूम दिल का क्या ठिकाना किस और चल पड़े :) सोचा कि चलो आज डायरी की बजाये उन साइट्स को पढ़ा जाए जब नेट से दोस्ती हुई थी और लफ्जों की जुबान यूँ ही कुछ भी लिख देती थी .......मैं करती हूँ जब तक ख़ुद से बातें ..आप पढ़े यह एक अल्हड सी लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ ...

जब चली यूँ सावन की हवा
दिल के तारों को कोई छेड़ गया
वक्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया

इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया

इक मीठी सी कसक उठी
जब हुई खबर तेरे आने की
फूलों की खुशबु सा महक कर
मेरा अंग अंग कुछ बोल गया


12 july 2006

22 comments:

seema gupta said...

प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !

"marvelleous"
Regards

Anonymous said...

इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
:):);):) allad si kavita iss allad natkhat mausam mein bha gayi dil ko,kuch aawara sa mausam yaha bhi hai aaj aur aapki jagah ki hi tarah baarsat natkhat bachha ban chupi huyi hai:);)

yu to wo bhigo deti hai dil ke haseen arman,aaj chulbuli nanhi shaitan ban baithi hai:):)

कुश said...

क्या बात है रंजू जी.. एक तो आपकी ब्लॉग पे आते ही ये मधुर संगीत जो बजता है वो बहुत बढ़िया है.. साथ में आपका लिखा कुछ मिल जाए तो बस क्या कहिए..

आभार
कुश

Anonymous said...

sunder

Anonymous said...

sunder ehsaas

सुशील छौक्कर said...

इक मीठी सी कसक उठी
जब हुई खबर तेरे आने की

सुन्दर प्यारा महकता हुआ।

Abhishek Ojha said...

इस बेईमान मौसम में ... अल्हड कविता अच्छी लगी .

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर कविता है।
घुघूती बासूती

dpkraj said...

रंजू जी
आपकी कविता बहुत बढि़या लगी। हमेशा की तरह मेरे मन में भी कुछ भाव आये जिनको मैंने लिख लिया।
दीपक भारतदीप
--------------------
आकाश में छाये काले बादल
तन को छूती हैं बरखा की बूंदें
मन को खुश करती बहती हुई शीतल हवा
ऐसे में आती हैं होंठो पर हंसी
कोई दिल में ख्याल नहीं होता
अक्सर यह सोचता हूं कि
समझ सकता खुशी क्या होती है
ऐसा कोई साथ होता
मुर्दा चीजों में मन लगाते हैं सब
जानते नहीं कि तसल्ली क्या होती
गर्मी में बंद वातानुकूलित कमरों में
अपनी जिंदगी का पल गुजारने वाले
क्या जाने सुख का मतलब
अवकाश के दिन पिकनिक
मनाने का इंतजार करते
जब लगती है धूप सताने
जिन्होने दी गर्मी में सूरज की जलती धूप को
अपने खून से पसीने की दी है आहूति
उनका ही सावन साथी होता
और वर्षा की हर बूंद उनके लिए अमृत होता

डॉ .अनुराग said...

क्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया

हम यूँ कहेंगे बेईमान मौसम में अल्हड कविता.....यहं भी बारिश है....देखिये कही आपका असर हम पर न हो जाये

Anonymous said...

इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
bhut sundar.sundar rachana ke liye badhai.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
-- भावुक और मोहक एह्सास
-- लावण्या

vijaymaudgill said...

इश्क़ आखदा ऐ तेरा, कख रहण वी नीं देणा
कुझ कहण वी देणा, ज़िंदा रहण वी नीं देणा
पहले हले तेरा चैण ते करार लुटणा
दूजे हले तेरी शोख़ी ते ख़ुमार लुटणा
कुझ कहण वी देणा, ते चुप रहण वी नीं देणा
इश्क़ आखदा ऐ तेरा, कख रहण वी नीं देणा

बहुत बढ़िया।
अच्छा लगा पढ़कर।

रंजू भाटिया said...

दूजे हले तेरी शोख़ी ते ख़ुमार लुटणा
कुझ कहण वी देणा, ते चुप रहण वी नीं देणा
इश्क़ आखदा ऐ तेरा, कख रहण वी नीं देणा

सची इस इश्क ने रहन वी नही देना ते कख रहन वी नही देना ..रब्बा इश्क देवे न देवें मेनू पर दरद इश्क दा दे के झोली भर दई....

बहुत बहुत ही सुंदर .. दिल नु छु गई

कुछ हौर लिखो ते जरुर भेजना ..मेनू इन्तजार रवेगा .

शुक्रिया

रंजू भाटिया said...

बहुत बहुत शुक्रिया ..आप सब का जो इस अल्हड़पन को भी दिल से पसंद किया ..:) इसी तरह होंसला देते रहे ..यह पागलपन यूँ ही बकरार रहेगा :) शुक्रिया तहे दिल से सबका

art said...

bahut hi bheegi hui si kavita...sundar

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!! और लिखिये इसी तर्ज पर...शुभकामनाऐं.

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav said...

:)
अब क्या बोलूँ, कभी कभी बिना बोले रसस्वादन करने का भी मज़ा अलग ही होता है.. वही कर रहा हूँ...

MANVINDER BHIMBER said...

प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !
this is a beauty of HEART

Manvinder

Manvinder said...

प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !
this is beauty of HEART
keep it up
Manvinder

Dr.Bhawna Kunwar said...

एक चुलबुली सी, भावपूर्ण सी, नाज़ुक सी रचना पढ़ाने के लिये धन्यवाद...

Mukesh Garg said...

जब चली यूँ सावन की हवा
दिल के तारों को कोई छेड़ गया
वक्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया

bahut sunder