कभी कभी कैसे दिल होता है न ..कि बस कुछ न करो और पलटो पन्ने बीती जिंदगी के ....और बुनो उस से फ़िर कोई नया सपना .....कभी लगेगा कि बस आज का दिन है कर लो जितना काम करना है क्या पता अगली साँस आए या न आए ..कभी कभी यूँ हो जाता है की क्या जल्दी है अभी तो बहुत समय है जीना है बरसों ...:) दिल की यह आवारा बातें हैं जो शांत नही बैठने देती हैं ......खिड़की से बाहर देखती हूँ तो बारिश नटखट हो कर कभी लगता है बरस जायेगी .कभी यूँ शांत हो कर बैठ जाती है की जैसे किसी शैतान बच्चे को बाँध कर बिठा दिया गया है ....दिल भी आज यूँ इस मौसम सा ही हो रहा है ..खुराफाती दिमाग और इस आवारा मौसम से मासूम दिल का क्या ठिकाना किस और चल पड़े :) सोचा कि चलो आज डायरी की बजाये उन साइट्स को पढ़ा जाए जब नेट से दोस्ती हुई थी और लफ्जों की जुबान यूँ ही कुछ भी लिख देती थी .......मैं करती हूँ जब तक ख़ुद से बातें ..आप पढ़े यह एक अल्हड सी लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ ...
जब चली यूँ सावन की हवा
दिल के तारों को कोई छेड़ गया
वक्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया
इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
इक मीठी सी कसक उठी
जब हुई खबर तेरे आने की
फूलों की खुशबु सा महक कर
मेरा अंग अंग कुछ बोल गया
12 july 2006
दिल के तारों को कोई छेड़ गया
वक्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया
इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
इक मीठी सी कसक उठी
जब हुई खबर तेरे आने की
फूलों की खुशबु सा महक कर
मेरा अंग अंग कुछ बोल गया
12 july 2006
22 comments:
प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !
"marvelleous"
Regards
इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
:):);):) allad si kavita iss allad natkhat mausam mein bha gayi dil ko,kuch aawara sa mausam yaha bhi hai aaj aur aapki jagah ki hi tarah baarsat natkhat bachha ban chupi huyi hai:);)
yu to wo bhigo deti hai dil ke haseen arman,aaj chulbuli nanhi shaitan ban baithi hai:):)
क्या बात है रंजू जी.. एक तो आपकी ब्लॉग पे आते ही ये मधुर संगीत जो बजता है वो बहुत बढ़िया है.. साथ में आपका लिखा कुछ मिल जाए तो बस क्या कहिए..
आभार
कुश
sunder
sunder ehsaas
इक मीठी सी कसक उठी
जब हुई खबर तेरे आने की
सुन्दर प्यारा महकता हुआ।
इस बेईमान मौसम में ... अल्हड कविता अच्छी लगी .
बहुत सुन्दर कविता है।
घुघूती बासूती
रंजू जी
आपकी कविता बहुत बढि़या लगी। हमेशा की तरह मेरे मन में भी कुछ भाव आये जिनको मैंने लिख लिया।
दीपक भारतदीप
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आकाश में छाये काले बादल
तन को छूती हैं बरखा की बूंदें
मन को खुश करती बहती हुई शीतल हवा
ऐसे में आती हैं होंठो पर हंसी
कोई दिल में ख्याल नहीं होता
अक्सर यह सोचता हूं कि
समझ सकता खुशी क्या होती है
ऐसा कोई साथ होता
मुर्दा चीजों में मन लगाते हैं सब
जानते नहीं कि तसल्ली क्या होती
गर्मी में बंद वातानुकूलित कमरों में
अपनी जिंदगी का पल गुजारने वाले
क्या जाने सुख का मतलब
अवकाश के दिन पिकनिक
मनाने का इंतजार करते
जब लगती है धूप सताने
जिन्होने दी गर्मी में सूरज की जलती धूप को
अपने खून से पसीने की दी है आहूति
उनका ही सावन साथी होता
और वर्षा की हर बूंद उनके लिए अमृत होता
क्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया
हम यूँ कहेंगे बेईमान मौसम में अल्हड कविता.....यहं भी बारिश है....देखिये कही आपका असर हम पर न हो जाये
इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
bhut sundar.sundar rachana ke liye badhai.
इक नशा सा छाया नस नस में
जब तू नज़रो से बोल गया
रंग बिखरे इन्द्र धनुष से
जब तू बस के साँसों में डोल गया
-- भावुक और मोहक एह्सास
-- लावण्या
इश्क़ आखदा ऐ तेरा, कख रहण वी नीं देणा
कुझ कहण वी देणा, ज़िंदा रहण वी नीं देणा
पहले हले तेरा चैण ते करार लुटणा
दूजे हले तेरी शोख़ी ते ख़ुमार लुटणा
कुझ कहण वी देणा, ते चुप रहण वी नीं देणा
इश्क़ आखदा ऐ तेरा, कख रहण वी नीं देणा
बहुत बढ़िया।
अच्छा लगा पढ़कर।
दूजे हले तेरी शोख़ी ते ख़ुमार लुटणा
कुझ कहण वी देणा, ते चुप रहण वी नीं देणा
इश्क़ आखदा ऐ तेरा, कख रहण वी नीं देणा
सची इस इश्क ने रहन वी नही देना ते कख रहन वी नही देना ..रब्बा इश्क देवे न देवें मेनू पर दरद इश्क दा दे के झोली भर दई....
बहुत बहुत ही सुंदर .. दिल नु छु गई
कुछ हौर लिखो ते जरुर भेजना ..मेनू इन्तजार रवेगा .
शुक्रिया
बहुत बहुत शुक्रिया ..आप सब का जो इस अल्हड़पन को भी दिल से पसंद किया ..:) इसी तरह होंसला देते रहे ..यह पागलपन यूँ ही बकरार रहेगा :) शुक्रिया तहे दिल से सबका
bahut hi bheegi hui si kavita...sundar
बहुत बेहतरीन!! और लिखिये इसी तर्ज पर...शुभकामनाऐं.
:)
अब क्या बोलूँ, कभी कभी बिना बोले रसस्वादन करने का भी मज़ा अलग ही होता है.. वही कर रहा हूँ...
प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !
this is a beauty of HEART
Manvinder
प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !
this is beauty of HEART
keep it up
Manvinder
एक चुलबुली सी, भावपूर्ण सी, नाज़ुक सी रचना पढ़ाने के लिये धन्यवाद...
जब चली यूँ सावन की हवा
दिल के तारों को कोई छेड़ गया
वक्त के सर्द हुए लम्हों को
फ़िर से तू रूह में बिखेर गया
bahut sunder
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