राज़
यादों से भरे बादल को
वक्त की हवा उडाये जाती है
पीड़ा आंखो से बस यूं ही
बरस बरस जाती है
छा जाती है नर्म फूलों
सोई उदासी भी
सन्नाटे में धड़कन भीएक राज़ बता जाती है !!
आस की किरण
आस की किरण
बोली मुझसे कि
बसने दे
अपने दिल में
सजने दे आशियाना
मिटा दूँगी तमस
तेरे मन का
और भर दूँगी दरार
जिसमें से छन कर
मैं तेरे दिल तक पहुँच रही हूँ...
यादों से भरे बादल को
वक्त की हवा उडाये जाती है
पीड़ा आंखो से बस यूं ही
बरस बरस जाती है
छा जाती है नर्म फूलों
सोई उदासी भी
सन्नाटे में धड़कन भीएक राज़ बता जाती है !!
आस की किरण
आस की किरण
बोली मुझसे कि
बसने दे
अपने दिल में
सजने दे आशियाना
मिटा दूँगी तमस
तेरे मन का
और भर दूँगी दरार
जिसमें से छन कर
मैं तेरे दिल तक पहुँच रही हूँ...
8 comments:
यादों से भरे बादल को
वक्त की हवा उडाये जाती है
पीड़ा आंखो से बस यूं ही
बरस बरस जाती है
छा जाती है नर्म फूलों......
बहुत खूब ....
मिटा दूँगी तमस
तेरे मन का
और भर दूँगी दरार
जिसमें से छन कर
मैं तेरे दिल तक पहुँच रही हूँ...
behad khubsurat,aasha se bharpur
यादों से भरे बादल को
वक्त की हवा उडाये जाती है
पीड़ा आंखो से बस यूं ही
shuruwat hi itani sundar,man kare ye kavita khatam hi na ho bahut badhai.
पीड़ा आंखो से बस यूं ही
बरस बरस जाती है
बेहद खूबसूरत बहुत कोमल भाव ।
क्या बात है रंजना जी!! बहुत बेहतरीन!!!
बहुत खूबसूरत.
बहुत खूब ....
ati sunder
बहुत बढ़िया
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