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दुनिया के सात महान आश्चर्य में मिस्त्र के पिरामिड भी एक अदभुत आश्चर्य हैं ...और यह मुझे हमेशा से ही अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं इनेक बारे में जितना पढो हर बार नया सा लगता है .भारत की तरह ही मिस्त्र की सभ्यता भी बहुत पुरानी है कभी यह देश विश्व सभ्यता का अनुपम उदाहरण माना जाता था पर समय के फेर ने इस देश को पतन की और धकेल दिया अज यह अपनी कई जरूरतों के लिए अनेक मुल्कों का मोहताज है ..पर आज भी वहाँ बचे हुए अवशेष वहाँ की गौरव गाथा कहते हैं जिन्हें देख के आज के वैज्ञानिक , कला पारखी और इंजिनियर भी दांतों तले उंगुली दबा लेते हैं
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पिरामिड एक तरह के स्तम्भ को कहते हैं जिनके नीचे का हिस्सा चौडा होता है और ज्यूँ ज्यूँ यह ऊपर की और बढता जाता है पतला होता जाता है ..अधिकतर पिरामिड चकौर होते हैं और मिस्त्र में इस तरह के हजारों छोटे बड़े पिरामिड हैं इतिहास के लेखकों का मत है कि पुराने जमाने में राजा अपने लिए मृत्यु से पहले ही अपनी कब्र बना लेते थे और इन्ही कब्रों को पिरामिड कहते हैं वैसे तो यहाँ कई पिरामिड हैं पर गिजा के पिरामिड बहुत ही विशाल और सुंदर बने हुए हैं पहाड़ के आकार के समान दिखायी देने वाले यह पिरामिड कैसे बनाए गए होंगे यह आज भी एक हैरानी का विषय है यहाँ चारों तरफ़ सिर्फ़ बालू ही बालू रेत ही रेत है कैसे कहाँ से इतने बड़े विशाल पत्थर ला कर यह बनाए गए होंगे यह सवाल भी हैरान कर देने वाला है कैसे इसको किन्होने बनया होगा .क्या इसको बनाने वाले मानव ही थे ? कितने जीवट वाले वह इंसान रहे होंगे ? पहले इन्हे मानव द्वारा नही बना हुआ माना गया था पर बाद में धीरे धीरे मनाना पड़ा कि यह मानव का ही काम है अब से हजारों वर्ष पूर्व भी मानव की बुद्धि बल कार्यकुशलता किसी से कम नही थी ..कहते हैं की इन पिरामिडों में इतने वजनी पत्थर लगे हैं कि आज के बड़ी बड़ी पत्थर ढोने वाली मशीने भी क्रेन भी इसको नही उठा सकती हैं ..
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आखिर इतने रेतीले रेगिस्तान में यह बड़े बड़े पत्थरकैसे पहुँचाये गए होंगे सोचने की बात है यह आज से लगभग चार हज़ार वर्ष पूर्व बने हुए हैं पर हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी यह आज भी अपनी उसी चमक के साथ खड़े हैं मानों हाला में ही बने हों इन में ऐसी कारीगरी की गई है कि आज भी यह वैसे ही चमक रहे हैं ..इनके बारे में जो कहनियाँ परचलित है वह सब जानते हैं कि राजा के मरने पर इस में उसको समान और उसके नौकरों के साथ अन्दर बने खंडो में बंद कर दिया जाता था इस मान्यता के साथ कि मरने के बाद भी जीवन है और उस मरने वाले को वहाँ भी इन चीजों की जरूरत होगी ..जो कई वैज्ञानिक इसके अन्दर गए हैं और वहाँ जो मृत शव मिले हैं उन्हें देखने से पता चलता है की जैसे यह अभी हीकुछ समय पहले रखे गए हैं ..और यह भी पता चला है कि उस समय भी मानव का औसत कद काठी आज के मनुष्य जैसी ही थी उनके आकार प्रकार में कोई खास अन्तर नही था .इसके बारे में एक इतिहास कार ने लिखा है कि सबसे बड़ा पिरामिड मिस्त्र देश के राजा चिआप्स का है अपनी कब्र केलिए बनवाया था इसका निर्माण काल इस्वी सं ९०० वर्ष पूर्व किया गया था एक लाख मजदूरों ने प्रतिदिन काम करके इस पिरामिड को बनाया था इसको बनाने वाले बादशाह का शव पिरामिड के नीचे के कमरे में रखा गया है इस कमरे के चारों और एक सुरंग भी है और इसी सुँरंग से हो कर नील नदी का पानी पिरामिड का पानी नीचे नीचे से बहा करता है .इस इतिहास कार ने वहां के पुजारी से पूछा था कि यह बड़े पत्थर कैसे एक दूसरे के ऊपर जमाये गए हैं ,उसने जवाब दिया की तब लकड़ी की मशीने होती थी इसी मशीन की सहयता से पहला चबूतरा बने गया फ़िर इसके ऊपर दूसरे चबूतरे के पत्थर जमाये गए ..जिस काम को आज को आज कि इतनी बड़ी बड़ी लोहे की मशीने नही कर पाती उस वक्त कैसे कर पाती होंगी .इनकी जुडाई इतनी कुशलता से की गई है की कहीं भी नोक भर अन्तर देखने को नही मिलाता कंही भी कोई गलती नही देखने को मिलती .जिन लोगों ने अन्दर घुस के इन कमरों का पता लगया है वहाँ कई लेख भी मिले हैं ..जो कही अरबी और कहीं रोमन में लिखे हुए हैं ..इनसे पता चलता है की पुराने जमाने में रोम और अरब के निवासी इन में प्रवेश कर चुके थे ..इनका रहस्य पता लगाने में कितने लोगो ने अपनी जान दी है सिर्फ़ यह पता लगाने के लिए इनके अन्दर ऐसा क्या रहस्य है तभी यह दुनिया के सामने आए हैं ..एक इतिहास कार ने लिखा है की इनको बनाने में अनेक बड़े बड़े कारीगर और कला कौशल जाने वालों के अतिरिक्त एक लाख मजदूरों ने वर्षों तक काम किया है प्रत्येक तीन वर्ष पर आदमी बदल दिए जाते थे और नए आदमी रखे जाते थे भीतर लिखे लिखों से पता चलता है की इनको बनाने वाले मजदूरों को हर रोज़ रोटी और प्याज बँटा जाता था इस प्रकार एक दिन में कई हज़ार दीरम अरब देश का सिक्का खर्च हो जाता था काम करने वाले मजदूरों को कोई मजदूरी नही दी जाती थी उनसे बेगार ली जाती थी और कोई बादशाह को काम करने से मना नही कर सकता था मना करने पर कोडे बरसाए जाते थे मिस्त्र के बादशाहों की यह क़ब्रे आज पूरी दुनिया के लिए हैरानी का विषय है और मानव श्रम का एक अदभुत नमूना है मेरी विश लिस्ट कोई बहुत बड़ी नही है :) पर कभी वक्त ने मौका दिया तो उस लिस्ट में सबसे पहले मुझे इनको देखना है ..
5 comments:
आपका अध्ययन और प्रदत्त जानकारियाँ प्रशंसनीय हैं।
***राजीव रंजन प्रसाद
हद है,कभी कविता,कभी बच्चों की कविता,कभी बच्चों की कहानी,तो अब ये भी,
कितना कुछ छुपा रखा है आपने अपने अंदर समझ नहीं आता
आलोक सिंह "साहिल"
पिरामिड के विषय में विस्तृत जानकारी अच्छी लगी. :)
सौभाग्य से पिछले साल मुझे इन्हे देखने का अवसर मिला ...वाकई...अदभुत है....
बहुत अच्छी जानकारी इस आश्चर्य के बारे में।
सचमुच अद्भुत है जो आज भी जाने कितने रहस्य समेटे हुये है अपने भीतर ।
अग्रज इंसान के लिये पूर्वजेां की कृितयां सदैव ही खोज का विषय रही है।
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