किताबे पढ़ना मेरा जनून है :) और इसी के चलते कई बार ऐसी बातें पढने में आती है जो सबके साथ शेयर करने का दिल होता है साथ ही यह विचार आता है की कई बार छोटी छोटी घटनाये भी कैसे सुंदर संदेश दे जाती हैं ...हम जाने अनजाने में जिन बातों को सरलता से समझ नही पाते हैं वह कई बार एक छोटी सी पढी हुई घटना या सामने घटी घटना हमे सिखा जाती है ... .इस छोटे से किस्से में बताया गया था कि जापानी कितने मेहनती होते हैं और कैसे देशभक्त होते हैं इस किस्से को लिखने वाला लेखक अपने परिवार अपनी पत्नी और दो साल की बेटी के साथ घूमने गया ..रास्ते में एक रेस्टोरेंट में खाने के लिए रुके ..वहाँ पर एक जापानी पर्यटक अपने कुछ साथियों के साथ नाश्ता कर रहा था .लेखक ने कुछ चिप्स और बिस्कुट खा के उसके रैपर वही फेंक दिए ..तभी वहाँ बैठे जापानी पर्यटक में से एक बुजुर्ग पर्यटक उठा और वह खाली रैपर उठा लिए और
अपने बेग में से केँची निकाल कर उसके कई छोटे छोटे टुकडे कर डाले जब तक इस किस्से को लिखने वाला लेखक कुछ समझ पाता उस जापानी से उन टुकडों से एक खूबसूरत ग्रीटिंग कार्ड तैयार कर के इन लेखक महाशय को दिया और टूटी फूटी अंग्रेजी में कहा की किसी भी वस्तु को कभी भी बेकार मत समझो जब तक वह सच में काम की न रहे यही सफलता का मूल मन्त्र है और इसी से आगे बढ़ा जा सकता है ..बात बहुत छोटी सी है पर हम कहाँ आसानी से यह बात समझ पाते हैं हम में से कितने लोग इस तरह बेकार चीजों का उपयोग कर पाते हैं ..हाँ इनको इधर उधर फेंक के अपने पर्यावरण को और बिगाड़ कर रहे हैं ...
अपने बेग में से केँची निकाल कर उसके कई छोटे छोटे टुकडे कर डाले जब तक इस किस्से को लिखने वाला लेखक कुछ समझ पाता उस जापानी से उन टुकडों से एक खूबसूरत ग्रीटिंग कार्ड तैयार कर के इन लेखक महाशय को दिया और टूटी फूटी अंग्रेजी में कहा की किसी भी वस्तु को कभी भी बेकार मत समझो जब तक वह सच में काम की न रहे यही सफलता का मूल मन्त्र है और इसी से आगे बढ़ा जा सकता है ..बात बहुत छोटी सी है पर हम कहाँ आसानी से यह बात समझ पाते हैं हम में से कितने लोग इस तरह बेकार चीजों का उपयोग कर पाते हैं ..हाँ इनको इधर उधर फेंक के अपने पर्यावरण को और बिगाड़ कर रहे हैं ...
3 comments:
bahut hi sahi baat,har vastu apna ek mulya hota hai,koi chiz bekar nahi.
बहुत ही प्रेरक प्रसंग ले कर आने के लिए आभार.
yeh sahi hai ranjna ji but har koi is ko samjh nhi pata ya yu kahee ki samjhna hi nahi chhata.in sabme kahi na kahi hum bhi hai.maine sahi kaha na?
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