छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर
नज़रों में प्यास भर के हम बस उन्हे देखते रहे
तड़पता रहा दिल कोई फ़रियाद लिए मासूम सी
एक आचमन को बस लब मेरे तरसते ही रहे
खिल के बिखरती रही चाँदनी सब तरफ़ फिजा में
हम नजरों में उनकी प्यार की किरण तो तक़ते रहे
बूँदे स्वाती की सीपी में जा के मोती बनी
हम भी उनसे ऐसे मिलन को तरसते रहे
जलाते रहे दिल में प्यार की रोशनी
अपने तक़दीर के अंधेरो से यूँ लड़ते रहे
कई ख़वाब सजते रहे इन बंद पलको में मेरी
हम हर ख्वाब में उनसे मिलने को भटकते रहे
छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर
और हम बस एक आचमन को तरसते ही रहे !!
रंजना
नज़रों में प्यास भर के हम बस उन्हे देखते रहे
तड़पता रहा दिल कोई फ़रियाद लिए मासूम सी
एक आचमन को बस लब मेरे तरसते ही रहे
खिल के बिखरती रही चाँदनी सब तरफ़ फिजा में
हम नजरों में उनकी प्यार की किरण तो तक़ते रहे
बूँदे स्वाती की सीपी में जा के मोती बनी
हम भी उनसे ऐसे मिलन को तरसते रहे
जलाते रहे दिल में प्यार की रोशनी
अपने तक़दीर के अंधेरो से यूँ लड़ते रहे
कई ख़वाब सजते रहे इन बंद पलको में मेरी
हम हर ख्वाब में उनसे मिलने को भटकते रहे
छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर
और हम बस एक आचमन को तरसते ही रहे !!
रंजना
21 comments:
Bahut ache janab...
Yeh dilo ka fasal kuch is kadar baad gaya, ki jindagi ka noor bhi jaise dal gaya.. Jindgai ki chamak kya hoti hai ab muzse na phucho eh duniyaa walo,ki ab her chamak se ab yeh dil derne laga..
ranjana mam..........aapki partiksha mujhe bahut achhi lagi....rly. mein.....
aapki likhi har pankti mein jaan rahta hai....main iska byan sabdon mein nahi kar sakta ki aapki likha mujhe kitna achha lagta hai;.....rly....mein mam....
bahut achha lagta hai...par mujhe thora time kam milta hai na...isliye nahi dekh pata huin...
बहुत सुन्दर रचना, मन की अभिव्यक्ति बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त की है..
बधाई स्वीकारें.
hi wakai kaafi achi hai kep it up
तड़पता रहा दिल कोई फ़रियाद लिए मासूम सी
एक आचमन को बस लब मेरे तरसते ही रहे
जलाते रहे दिल में प्यार की रोशनी
अपने तक़दीर के अंधेरो से यूँ लड़ते रहे
kya baat kahi hai.....dil khush kar dita.....aacha laga pad karr....aur aapke blog ki chidiya bhi pasand aai
Luv
Anu
ranju ji,
ek bahut hee...
bhaav-praveen rachna...
man ko udvelit kar gayee..
aabhaar
badhaaee
बहुत ही उत्तम लिखा है आप ने, दिल के भावो कि अभिवय्क्ति शब्दो मे बहुत अच्छे तरीके से व्यक्त कि है. बधाई स्वीकारे.
खिल के बिखरती रही चाँदनी सब तरफ़ फिजा में
हम नजरों में उनकी प्यार की किरण तो तक़ते रहे....
good use of words......liked this poem a lot
"कई ख़वाब सजते रहे इन बंद पलको में मेरी
हम हर ख्वाब में उनसे मिलने को भटकते रहे"
सुंदर!!
छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर
और हम बस एक आचमन को तरसते ही रहे !!
-वाह, क्या बात है. बहुत सुन्दर. बधाई.
Behaad khubsurat kavita likhi hay aapne ..' partiksha' .. kisi ne sahi kaha hay ' piyar ka maza partiksha main hi hay ... kyu ki asaani se kuchh mil jaye toh uski ahamiyat nahi hoti...
best of luck ranjana jee.
सुंदर और साथ-2 आकर्षण है भाव में… प्रतीक्षारत मन की खामोश पुकार है यह…।
कई ख़वाब सजते रहे इन बंद पलको में मेरी
हम हर ख्वाब में उनसे मिलने को भटकते रहे
छलकता रहा उनके अधरो पर एक प्यार का सागर
और हम बस एक आचमन को तरसते ही रहे !!
वाह क्या बात है भई इतनी रोमांटिक कविता दी...मज़ा आ गया...:)
शानू
laa jawaab
or shabd hee nahi hain mee pass
ranjanaji ,first time i read ur post in this blog n i m really impress."pratiksha" is really very beautiful coverage of desperate emotions.
Kavita k bhaav bahut achhey hain.Aapkey priyatam ki "prateeksha" mein aapkee nishthaa,badhtee pavitrataa aur saath hee saath badhtee bechainee ko poornataha vyakt karney mein aap samarth hueen.Par shabdon mein thodaa her-pher ho jaata toh bhaav achhey se vyakt ho paatey!
Kavita achhee lagee(:
badhai ranjna ji bahut acchi lagi aapki rachna
नमस्कार रंजनाजी
मैं एक नया पाठक हूं जिसने पहली बार आपकी रचनाओ को पढा है वेसे आपने अच्छा लिखा है किन्तु अगर वाक्यो को अपनी भावो के साथ तोड्कर लिखे तो उसे पढने मे और मजा आता है माफि चाहूंगा हमे शायद हिन्दी का ज्ञान कम है फिर भी मेने आपकी रचना को अपने हिसाब से कुछ इस तरह बांटा है-
छलकता रहा उनके अधरो पर
एक प्यार का सागर
नज़रों में प्यास भर कर हम
बस उन्हे देखते रहे
तड़पता रहा दिल
कोई मासूम सी फ़रियाद लिए
एक आचमन को
बस लब मेरे तरसते रहे
खिल के बिखरती रही चाँदनी
हर तरफ़ फिजाओं में
हमारी नजरे
उनके प्यार की किरण तो तक़ती रही
बूँदे स्वाती की
सीपी में जा के मोती बनी
हम भी उनसे
मिलन को तरसते रहे
वो जलाते रहे दिल में
प्यार की रोशनी
हम अपने ही तक़दीर
से यूँ लड़ते रहे
कई ख़वाब सजते रहे
इन बंद पलको में
हम हर ख्वाब में उनसे
मिलने को भटकते रहे
छलकता रहा उनके अधरो
पर एक प्यार का सागर
और हम बस एक आचमन को
तरसते ही रहे !!
ranjana ji
प्रतीक्षा
1 aachi rachna lagi mujhe
जलाते रहे दिल में प्यार की रोशनी
अपने तक़दीर के अंधेरो से यूँ लड़ते रहे
ye batate hai kaise koi jeene k liye pakaa nishchye kar k haar nahi manta
कई ख़वाब सजते रहे इन बंद पलको में मेरी
हम हर ख्वाब में उनसे मिलने को भटकते रहे
ye batata hai kaisi sab kuch hamaare pass hota hai or hum use paane k liye bhatakte rahte hai.
10x & regards
NEERAJ LOHAN
प्यार का एक धागा तो लोहे की जंजीरों से भी ज्यादा मजबूत होता है, बहुत सुन्दर भाव व शब्दों भरी रचना है.....मुझे जोशी जी के सुझाव से इत्तेफ़ाक है.
ranjana ji
aaj pahli baar aapke blog par aayi hun. aap to kai baar mere blog par aayi hain uske liye aapka hardik dhanyavaad.
aapki har rachna bahut hi bhavpravan hai.
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