जला तो दीया है किसी ने दिल में मोहब्बत का दिया
तलाशता है दिल अब बस उन्ही को यही कही
बेते हैं हम उस राहा पर उनके इंतज़ार में
जहाँ से तेरी राहगुज़र भी अब नही
हर पल बस देखा है तुझे अपने तस्वुर में
तुझे एक पल भी दिल भुला हो ऐसा कभी हुआ ही नही
तुझे सोचा है इतना महसूस किया है रूह से
कि बस अब तेरी जुदाई का भी हम पर कोई असर नही
तलाशता है दिल अब बस उन्ही को यही कही
बेते हैं हम उस राहा पर उनके इंतज़ार में
जहाँ से तेरी राहगुज़र भी अब नही
हर पल बस देखा है तुझे अपने तस्वुर में
तुझे एक पल भी दिल भुला हो ऐसा कभी हुआ ही नही
तुझे सोचा है इतना महसूस किया है रूह से
कि बस अब तेरी जुदाई का भी हम पर कोई असर नही
6 comments:
मुहब्बत में वैसे भी (दिया ही दिया) है... लेने का सवाल ही नही...
सुन्दर गजल है मैं समझ रहा हू आप ने जो दिया लिखा है उसका मतलब लाईट वाले दिये से है...
बढ़िया है, अच्छा लगा. लिखती रहो!!
Nice wordings, seems that you poured out the inner core of your heart
SHUKRIYA MOHINDER :)
SAMIR JI ..
AND LOVERSLOBBY ..AAP AAYE AUR IS KO PASAND KIYA THANKS AGAIN
shabdo ka kaafi achaa prayog hai is rahchna mein...achii rachna ki liye badhai
mohbat ka ijhar karna kafi aaccha laga
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