Thursday, February 26, 2015

तेरे बाहुपाश में

तेरे बाहुपाश में
सिमट्ती सी " मैं "
हर साँस तेरी  
अपने सांसो में समेट लेती हूँ
बूँद बूँद तेरे प्यार की
अपनी रूह में उडेलती
मैं "मरते मरते "थोड़ा सा जी लेती हूँ
एक पल मिलना  
एक पल बिछड़ना
जैसे लहरो का किसी साहिल से
पर फिर से मिलने की चाह में
तेरी यह कुछ पल की बिछड़न
मैं सह लेती हूँ !! 

3 comments:

सदा said...

Milne ki chaah me bichhdan ko sahna hi padta hai hr baar......bht hi umda

Vinay said...

Nice

Reetika said...

virah ki samvednaayein har pankti se taapk rahi hain....