कवितायें कभी लिखी नहीं जाती
वह तो जन्म लेतीं हैं
उस भूख से
जो मन के किसी
कोने में दबी हुई
कोई अतृप्त
इच्छा है
या यह कोई
ऐसी भूख है जो
कहीं पनप रही है
आहिस्ता आहिस्ता
और उनको शांत करने का
कोई माध्यम
कहीं कोई
नजर नहीं आता
वह फिर कलम से
बहती है आतुरता से
और कहती अपनी बात
उन अनकही
इच्छाओं से जो
अपनी बात कहने का
स्खलित होने का माध्यम
तलाश कर लेती हैं
अपने ही किसी मन के द्वार से
पर रह जाती हैं
फिर भी अतृप्त सी
और फिर उसको
कोई शैतान कोई खुराफात
कोई प्रेम आदि आदि
के लफ़्ज़ों में ढाल कर
अपनी बात कह देते हैं
और..........
वही लिखा हुआ
फिर कविता कहलाता है
वह तो जन्म लेतीं हैं
उस भूख से
जो मन के किसी
कोने में दबी हुई
कोई अतृप्त
इच्छा है
या यह कोई
ऐसी भूख है जो
कहीं पनप रही है
आहिस्ता आहिस्ता
और उनको शांत करने का
कोई माध्यम
कहीं कोई
नजर नहीं आता
वह फिर कलम से
बहती है आतुरता से
और कहती अपनी बात
उन अनकही
इच्छाओं से जो
अपनी बात कहने का
स्खलित होने का माध्यम
तलाश कर लेती हैं
अपने ही किसी मन के द्वार से
पर रह जाती हैं
फिर भी अतृप्त सी
और फिर उसको
कोई शैतान कोई खुराफात
कोई प्रेम आदि आदि
के लफ़्ज़ों में ढाल कर
अपनी बात कह देते हैं
और..........
वही लिखा हुआ
फिर कविता कहलाता है
7 comments:
क्या बात है!!
कविता की उत्पत्ति तो तभी होती है ... जब मन में कोई संवेदना होती है ... प्रेम होता है ... सोचने की शक्ति होती है ...
सजीव कविता कह दि आपने ..
रंजू मैम काफी सही कहा आपने....और उसी चार आठ बारह पंक्तियों के सनयोजनों को लोग .... ग़ज़ल....मुक्तक...छंद....हाइकु....त्रिवेणी और जाने क्या क्या से नवाजते रहते खैर....इसी बीमारी के शिकार हम भी कुछ पंक्तियों से कभी अपने अतीत को झकझोरते तो कभी वर्तमान को टटोलते....चंद खामोश पंक्तियाँ आपका हमारे ब्लॉग पर इंतज़ार कर रही....
ब्लॉग:खामोशियाँ
www.khamosiyan.blogspot.in
सही कहा आपने ...
आह से उपजता गान
शब्द कि इस मर्म को .... मैं यूँ समझ कर आ गया …
अल्फाज पढ़ के यूँ लगा .... खुद से ही मिल के आ गया ....
बहुत खूब ....
बहुत सालों से ऐसा नहीं पढ़ा। ।
कवितायें कभी लिखी नहीं जाती
वह तो जन्म लेतीं हैं। …
@ तो टिप्पणियाँ जन्म नहीं लेतीं
वह तो अवतार लेती हैं
जब भी उसे दिखती है
कोई ऎसी अभिव्यक्ति
जो अशांत चित्त से निकली हो
लिपि, स्वर, रंग, हाव के आवरण में
मुक्त भाव से घूमती
आँखें नाक कान दिमाग
उसे फाँसने का रचते हैं षड़यंत्र
इस षड़यंत्र का ही साहित्यिक नाम 'टिप्पणी' कहाता है।
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