Wednesday, November 06, 2013

रंग

मौसमों सी रंग बदलती
इस दिल की शाखाएँ
कहीं गहरे भीतर
पनपी हुई है
जड़ों सी
जो ऊपर से सूखी दिखती
अन्दर से हरीभरी है
इन्हें कभी बीते मौसम की
बात न समझना
जरा सी फुहार मिलते ही
सींच देगी यह
दिल की उस जमीन को
जो दूर से दिखने में
बंजर सी दिखती है
प्यार का यह रंग है
सिर्फ उस एहसास सा
जो पनपता है सिर्फ
अपने ही दिए दर्द से
और अपनी ही बुनी हुई ख्वाइशों से !!

8 comments:

Rashmi Swaroop said...

मज़बूत खूबसूरत सच्चाई… :)

दिगम्बर नासवा said...

Prem aur dard ke ehsas se panapne wali dil ki jaden to prem ki mitti mein rahti hain ... Gahra ehsas liya rachna ...

रश्मि प्रभा... said...

http://www.parikalpnaa.com/2013/11/blog-post_7.html

सदा said...

इन्‍हें कभी बीते मौसम की बात न समझना ... वाह बेहतरीन भाव लिये अनुपम अभिव्‍यक्ति

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर और सच्ची बात...
सस्नेह
अनु

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति...
:-)

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति...

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...


अत्यंत सुन्दर चित्रण ...