Monday, September 23, 2013

किस्सा ऐ प्याज "

कुछ समय पहले एक कविता लिखी थी "बहुत दिन हुए ....

बस ,एक ख़त लिखना है मुझे
उन बीते हुए लम्हों के नाम
उन्हें वापस लाने के लिए
बहुत दिन हुए ..
यूँ दिल ने
पुराने लम्हों को जी के नहीं देखा ....

उसी तर्ज़ पर यह पंक्तियाँ ...."
किस्सा ऐ प्याज "



बहुत दिन हुए
सब्जी दाल को
प्याज के साथ बना के नहीं देखा

"फ़ूड फ़ूड "चेनल पर रेस्पी बताते हुए" शेफ " प्याज पर प्याज काटे जा रहे हैं और एक हम है जो उन आंसुओं को तरस रहे हैं जो प्याज काटने से आँखों से झर झर बहते थे:)

बिन प्याज के दाल है हलकी
सब्जी भी बे-लिबास लगती है
खाली पड़ी वो प्याज की टोकरी
अपने भरने की राह तकती है

टमाटर नासाज है अकेले भुने जाने से
अदरक लहसुन की पेस्ट सुलग के जलती है
न जाने कब महकेगी रसोई प्याज के कटने से
प्याज के छिलकों की उतरती परत "संसद "में दिखती है ## ranju bhatia

11 comments:

Madan Mohan Saxena said...

सही कहा आपने .सुन्दर सामायिक रचना
कभी इधर का भी रुख करें
सादर मदन

अरुन अनन्त said...

नमस्कार आपकी यह रचना कल मंगलवार (24--09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

Rajesh Kumari said...

आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आप का वहाँ हार्दिक स्वागत है ।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह यह तो फ़ि‍ल्‍मी संगीतकार प्रीतम की सी बात हो गई. एक ही धुन पर दूसरा गीत और वो प्‍याजगीत :-)

Unknown said...

हम तो भई बिना प्याज लहसून के खाना खाने वालों में से हैं । सुन्दर प्रस्तुति ।

मेरी रचना :- चलो अवध का धाम

Unknown said...

हम तो भई बिना प्याज लहसून के खाना खाने वालों में से हैं । सुन्दर प्रस्तुति ।

मेरी रचना :- चलो अवध का धाम

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dard-e-pyaj :)

प्रवीण पाण्डेय said...

सच कहा है

Asha Joglekar said...

मेरी याद में तुम ना आंसू बहाना
मुझे भूल जाना।

आपकी यह प्रस्तुति इस गीत की याद दिला घी जो कि आपकी कविता के जवाब में कहा जा सकता है।

Anonymous said...

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Asha Joglekar said...

आपकी प्याज कथा पढ कर ये गाना याद आ गया,

मेरी याद में तुम ना आँसू बहाना, मुझे भूल जाना, मुझे भूल जाना।

मैने पहले भी टिप्पणी की ती जो गायब है।