Wednesday, March 20, 2013

सोचती हूँ एक सवाल

सोचती हूँ
एक सवाल बार बार
कि क्या
तब कोई चाहेगा मुझे ?
जब ...
आँखों पर छा जाएँगी
बीतती उम्र की परछाईयाँ..
उड़ान कह देगी
मेरे "सपनो के परों " को अलविदा
शब्द जो अभी पहचान है मेरी
रूठ जायेंगे मेरी कविताओं से
पड़ जायेगा रंग फीका
 मेरी लिखी श्याही का
तो क्या तब भी मेरे गीतों को
गुनगुनाएगा के दोहराएगा मुझे
सोच में हूँ क्या तब भी
कोई यूँ ही
चाहेगा मुझे :) !!

10 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

प्रवीण पाण्डेय said...

मन की बातें मन ही जाने..

विवेक सिंह said...

बहुतखूब !

कालीपद "प्रसाद" said...

आपने हर व्यक्ति के मन की बात इस शाश्वत प्रश्न के माध्यम से उजागर किया है -समय ही जवाब दे सकता है
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धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

भावपूर्ण उम्दा अभिव्यक्ति,,,

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संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज की सोचें .... भविष्य में क्या होना है किसे पता ?

Madan Mohan Saxena said...

भाषा सरल,सहज यह कविता,
भावाव्यक्ति है अति सुन्दर

Rajendra kumar said...

बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार.

"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"

दिगम्बर नासवा said...

वाजोब प्रश्न .. क्योंकि एक स हमेशा सब कुछ तो नहीं रहता ..
ये प्रश्न हो साझा है सबका ...

संजय भास्‍कर said...

खूबसूरत रचना......
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)