मेरी पहली हवाई यात्रा और विशाखापट्टनम के यादगार लम्हे
इंसान की ख्वाइशें हर पल नयी होती रहती है ...कभी यह चाहिए कभी वह ..ऊपर उड़ते नील गगन में उड़ते उड़नखटोले को देख कर बैठने की इच्छा हर दिल में होनी स्वाभविक है .सो मेरे दिल में भी थी ...कब दिन आएगा यह बात सोच में नहीं थी बस जब वक़्त आएगा तो जाउंगी जरुर ...यही था दिमाग में और फिर वह दिन आ गया ..कुछ सपने बच्चे पूरे करते हैं ..सो छोटी बेटी के साथ जाना हुआ विशाखापट्टनम ..पहली हवाई यात्रा दिल में धुक धुक कैसे कहाँ जाना होगा ..बेटी अभ्यस्त थी हवाई यात्रा कि सो आराम से चली ....वहां जा कर जो भाग दौड़ हुई वह याद रहेगी :)भाग के प्लेन पकड़ने के चक्कर में हवाई अड्डा निहार ही नहीं पायी ...फिर चेकिंग ... और लास्ट में मिला अपना "स्पाइस जेट विमान" ..

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पहली उड़ान ...पहली बार उड़न खटोले पर बैठना अच्छा लगा .... — in Vizag, Andhra Pradesh.ड़ें |

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धरती क्षितिज ..यह भी भ्रम पर धरती से जुडा हुआ ...खिड़की से दिखता समुद्र और धरती का एक विहंगम दृश्य ... — at Novotel Visakhapatnam Varun Beach. |
विशाखापत्तनम एक पर्यटक स्वर्ग जैसा है! यहाँ के समुन्दर तट बहुत ही सुन्दर है .लाल रेतमिटटी में खिले फूल और हरियाली बरबस रोक लेती है |
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लाल मिटटी का जादू बिखरा हुआ |

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अरकु वेळी का मनमोहक रास्ता |
देखने लायक यहाँ बहुत सी जगह हैं सबसे पहले हम गए आरकु वेळी .. अरकु घाटी यह हार्बर सिटी विशाखापट्टनम से 112 किमी दूर है। घाटी में फैली ऊंची नीची पहाडि़यों को देख कर लगता है जैसे वह कोई माला ले कर आपके स्वागत को आ गयी है काफी के पौधो से सजी इस अरकु घाटी की सुन्दरता जैसे मन मोह लेती है |
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कैप्शन अरकु वेळी जोड़ें |

इस घाटी में ही है बोरा गुफाएं तेलुगु में बुर्रा का अर्थ है-'मस्तिष्क'. इसी शब्द का एक अर्थ यह भी है कि ज़मीन में गहरा खुदा हुआ.बोरा गुफाएं विशाखापत्तनम से 90 किलोमीटर की दूरी पर हैं।


नदी के पानी के प्रवाह से कालान्तर में लाइमस्टोन घुलता गया और गुफाएं बन गयीं। अब ये गुफाएं अराकू घाटी का प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।गुफाएं अन्दर से काफी बड़ी हैं। उनके भीतर घूमना एक अदभुत अनुभव है। अंदर घुसकर वहां एक अलग ही दुनिया नजर आती है। कहीं आप रेंगते हुए मानों किसी सुरंग में घुस रहे होते हैं तो कहीं अचानक आप विशालकाय बीसियों फुट ऊंचे हॉल में आ खडे होते हैं। सबसे रोमांचक तो यह है कि गुफाओं में पानी के प्रवाह ने जमीन के भीतर ऐसी-ऐसी कलाकृतियां गढ दी हैं कि वे किसी उच्च कोटि के शिल्पकार की सदियों की मेहनत प्रतीत होती हैं। कोई आकृति किसी जानवर के आकार जैसी दिखती है तो कहीं कोई किसी पक्षी जैसी नजर आती है।इतने शिल्प कि उन्हें नाम देते-देते आपकी कल्पनाशक्ति नए नाम देते देते थक जाए | एक जगह तो चट्टानों में थोडी ऊंचाई पर प्राकृतिक शिवलिंग बन गया है कि उसे बाकायदा लोहे की सीढियां लगाकर मंदिर का रूप दे दिया गया है। कहीं आपको जमीन को बांटती एक दरार भी नजर आ जायेगी तो कहीं आपको बडे-बडे खम्भे या फिर लम्बी लटकती जटाओं सरीखी चट्टानें मिल जायेंगी।

इन गुफाओं को खोजने की कहानी भी काफी रोचक है। पुरानी कहानी है कि उन्नीसवीं सदी के आखिरी सालों में निकट के गांव से एक गाय खो गयी। लोग उसे ढूंढने निकले और खोजते-खोजते पहाडियों में गुफाओं तक पहुंच गये। बताया जाता है कि गाय गुफा के ऊपर बने छेद से भीतर गिर गयी थी और फिर भीतर-भीतर होती हुई नदी के रास्ते बाहर निकल गई। गाय मिलने से ही नदी को भी "गोस्थनी" नाम दे दिया गया। बाद में किसी अंग्रेज भूशास्त्री ने गुफाओं का अध्ययन किया। इन्हें मौजूदा पहचान आजादी के बहुत बाद में मिली। अब ये देश की प्रमुख गुफाओं में से एक हैं।

गुफा का प्रवेश द्वार काफी बड़ा है। अंदर रौशनी की व्यवस्था है और गाइड भी उपलब्ध हैं जो अन्दर की सैर कराते हैं। गुफा का प्रबन्धन आन्ध्र प्रदेश पर्यटन विभाग के हाथों में है। आसपास खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था है। अराकू होते हुए पहाडियों में यहां आने का रास्ता भी बडा मनोरम है। रास्ते में जगह जगह मिलता नारियल पानी और मक्की भुट्टा आपको सहज ही रोक लेंगे |गुफा के निकट तो रुकने की जगह नहीं लेकिन लगभग बीस किलोमीटर पहले अरकू घाटी में रुकने के लिये अच्छे होटल हैं। अराकू घाटी में कुछ और स्थान हैं जो आप वहां देख सकते हैं

आंध्र प्रदेश के प्रमुख हिल स्टेशन अरकू का जनजातीय संग्रहालय देखने लायक है यह संग्रहालय हालांकि बहुत बडा तो नहीं है, परन्तु सहज प्रवेश और बीच जगह पर होने से यहां पर पर्यटन सीजन के दिनों में दिन भर मेला सा लगा रहता है। इसकी खासियत अनूठा डिजाइन तो है ही साथ में इसमें आदिवासी जनजीवन की झलक का प्रस्तुतिकरण भी बेहद प्रभावी है। अपनी बात यह वहां बने शिल्प .कला मूर्ति के कारण समझा देता है | गोलाकार संरचना लिये यह संग्रहालय दो मंजिल का है। इसमें राज्य के आदिवासी क्षेत्र के जनजीवन को दिखाया गया है।
‘रामोजी फिल्म सिटी’।


ऋषिकोंडा बीच आंध्र प्रदेश के सबसे सुंदर समुद्र तटों में से एक है ,यहाँ का पानी जैसे आपको बांध लेता है अभी अधिक पर्यटक न होने के कारण यह अभी साफ सुथरा है और कई तरह के समुन्द्र में खेले जाने वाले खेलों के लिए उपयुक्त है |

विशाखा पट्टनम की यह यात्रा मैंने पिछले साल फ़रवरी में की थी ..तब से इसको यूँ ही यादो में जी रही हूँ बहुत कुछ बता के भी अनकहा रह गया है ..तस्वीरों में सब याद सिमटी हुई है ..कैलाश हिल ,की वो उंचाई और वहां से समुद्र को निहारना अभी भी यादो में रोमांचित कर देता है .

यूँ ही अपने ख़्यालो में देखा है
तेरी आँखो में प्यार का समुंदर
खोई सी तेरी इन नज़रो में
अपने लिए प्यार की इबादत पढ़ती रही हूँ मैं......:)
28 comments:
दिल को छु गई हर बात....बेहद सुंदर.... यादगार लम्हें :-)
शानदार यात्रा वृतांत है रंजू. तस्वीरों ने चार चांद लगा दिये.
badhaii sapna puraa honae ki
जोरदार वर्णन!तनिक लम्बी हो गयी पोस्ट -दो पोस्ट का जुगाड तो आराम से था :-)
shukriya sandhya :)
shukriya vandna :)
shukriya rachna :)
shukriya arvind ji ...haan pehle hi saal lag gaya isko likhte hue ...ek hi baar mein is liye puri likh di ..abhi kai jagah short cut hain :)
बहुत ही बेहतरीन यात्रा विवरण है ।
shukriya vivek ji :)
खूबसूरत यात्रा विवरण
बहुत सुन्दर स्थान है, हम घूम चुके हैं..
बेहतरीन.....
बेहतरीन यादगार लम्हों की चित्रमय लाजबाब प्रस्तुति,,,
RecentPOST: रंगों के दोहे ,
very nice..kudos !
plz visit :http://swapnilsaundarya.blogspot.in/2013/03/blog-post_21.html
आपको बहुत बहुत बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग मैं भी सम्मलित हो
jyoti-khare.blogspot.in
आभार आपका
बहुत ही रोचक वृत्तांत और बेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें
रोचक और खुबसूरत........
एक एक पल को खूबसूरती से पेश किया है आपने, कुछ सुन्दर तथ्य और स्थानों से रूबरू करवाने हेतु हार्दिक आभार आदरेया.
The picture beautifully drawn by the pen. Awesome.
The picture beautifully drawn by the pen. Awesome.
रोचक!
समंदर की लहरें बहुत कुछ कहना चाहतीं हैं..... उन्हें ध्यान से देखने पर ही ये बात समझ आती है!
हमें भी समंदर की लहरों को निहारना बहुत अच्छा लगता है..... :-)
~सादर!!!
रोचक!
समंदर की लहरें बहुत कुछ कहना चाहतीं हैं..... उन्हें ध्यान से देखने पर ही ये बात समझ आती है!
हमें भी समंदर की लहरों को निहारना बहुत अच्छा लगता है... :-)
~सादर!!!
आपको बहुत बहुत बधाई
bahut hi umda.......
रोचक यात्रा विवरण। फ़ोटू भी चकाचक हैं।
विशाखापट्टनम के किस्से पढ़कर अपनी पहली यात्रा याद आ गयी।हम यहां पहली बार साइकिल से आये थे। :)
सुन्दर यात्रा वर्णन
लग रहा है जैसे अपने ही मन की बात सुन रही हूँ |आपने जो लिखा है उसे जी रही हूँ |नोवाटेल के पडोसी हैं हम |बहुत सुंदर लिखा है ...!!बहुत अच्छा लगा पढ़कर !!
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