तुम्हे मैंने
जितना जाना
बूंद बूंद ही जाना
तुम वह नहीं ,
जो दिखते थे ..,
तुम्हे जान कर भी
अनजान रही मैं ....
दो रूपों में ढले हुए तुम
एक वह जिसे मैंने ..
रचा अपनी कल्पनाओं में ...
अपनी कामनाओं में ..
अपनी इच्छाओं के साथ
बुना और चाहा शिद्दत से
और ....
एक तुम वह थे
जो थे अपनी ही राह के
चलते मुसफ़िर
ज़िन्दगी में जो
एक पल मिलते हैं
और
दूसरे पल
कहीं ख़ामोशी से
खो जाने का
एहसास करवाते हैं
पर ..............
कहीं यादो से दूर नहीं जा पाते हैं ..( कहो सच है न ?)
चित्र गूगल के सोजन्य से
जितना जाना
बूंद बूंद ही जाना
तुम वह नहीं ,
जो दिखते थे ..,
तुम्हे जान कर भी
अनजान रही मैं ....
दो रूपों में ढले हुए तुम
एक वह जिसे मैंने ..
रचा अपनी कल्पनाओं में ...
अपनी कामनाओं में ..
अपनी इच्छाओं के साथ
बुना और चाहा शिद्दत से
और ....
एक तुम वह थे
जो थे अपनी ही राह के
चलते मुसफ़िर
ज़िन्दगी में जो
एक पल मिलते हैं
और
दूसरे पल
कहीं ख़ामोशी से
खो जाने का
एहसास करवाते हैं
पर ..............
कहीं यादो से दूर नहीं जा पाते हैं ..( कहो सच है न ?)
चित्र गूगल के सोजन्य से
24 comments:
दूसरे पल
कहीं ख़ामोशी से
खो जाने का
एहसास करवाते
___ खूबसूरत पंक्तियाँ ___
बहुत खूब अभिव्यक्त किया है.
अक्सर वास्तविकता यही होती है .
सच कहा क्भी कभी ऐसा ही अहसास होता है बहुत सादगी लिए सुन्दर रचना..
बहुत खूब ... सच है चाहे जैसे भी हों ... जो खुद कों अच्छी लगते हैं ज्यादा दूर नहीं रह पाते ...
बिल्कुल सच है रंजू जी
ek insaan ke doo roop deekh hi jate hain...!! kabhi an kabhi!!
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति
पेनफुल्ली ट्रू
काश तुम पूरा समझ में आते, काश तुम मन में बस जाते..
बहुत ही सुन्दर रचना..
जिस भी रूप में चाहा तुम्हे ही, कल्पना या साकार !
सुन्दर!
deep thought
दूसरे पल
कहीं ख़ामोशी से
खो जाने का
एहसास करवाते
भावमय करते शब्द ... बेहतरीन प्रस्तुति।
प्रभावशाली प्रस्तुती....
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12 -07-2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... रात बरसता रहा चाँद बूंद बूंद .
अच्छी प्रस्तुति
सच तो है...
यह तस्वीर?
han sach hi to hai..aksar log aise hi to hote hain.
सीधी सादी ....सादगी से भरी रचना
ये पल भी आयेंगे यादों में तब बहुत खलेगा।
..अच्छी कविता।
Bahut khoob...
आपकी हर रचना मन को छू जाती है ...
बिकुल सच है ... सुंदर अभिव्यक्ति
bahut sundar rachana ..abhar
वाह दी ब्लोगिंग के लिए समय ही नही निकाल पाती बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ी बहुत मजा आया ..थैंक्स
true!!
love ur amrita pritam blog :)
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