Thursday, November 04, 2010

अंधेरों में कुछ रोशनी की बात तुम करो

अंधेरों में कुछ रोशनी की बात तुम करो
नजर और दामन बचा कर  चलने की बात करो
भाषा भी है ,शब्द भी है पास कलम के हमारे 
भावों  में डुबो कर सही तस्वीर तुम करो
हर एक के हिस्से में हैं यह महफूज चंद साँसे
हर पल यूँ मर के जीने का रियाज न तुम करो
तलाशो न हर गजल के मायने कोई
लफ़्ज़ों का यूँ सरे आम कत्ल न तुम करो
कायम है हर रिश्ता ,यहाँ पर चंद शर्तों पर
दिल से प्यार का सफ़र अब ख्यालों में तय करो
सीखा है मुद्दतों बाद मेरी आँखों ने सोना
झूठे  ख़्वाबों का रंग न अब इन में भरो

27 comments:

Tapashwani Kumar Anand said...

Bahut bhub likha hai mam

सीखा है मुद्दतों बाद मेरी आँखों ने सोना
झूठे होते ख़्वाबों का रंग न अब इन में भरो

Alpana Verma said...

सीखा है मुद्दतों बाद मेरी आँखों ने सोना
झूठे होते ख़्वाबों का रंग न अब इन में भरो
-वाह!
यूँ भी जागी आँखों के ख्वाब बहुत परेशान किया करते हैं ..
बहुत अच्छी रचना..
--दिवाली की शुभकामनायें रंजू जी..

sonal said...

दीपावली की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव्।
दीपावली की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं

अशोक लालवानी said...

bahut khoob

तलाशो न हर गजल के मायने कोई
लफ़्ज़ों का यूँ सरे आम कत्ल न तुम करो

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना हैं!
--

प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।

अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।

आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

Satish Saxena said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें रंजना जी !

Asha Joglekar said...

तलाशो न हर गजल के मायने कोई
लफ़्ज़ों का यूँ सरे आम कत्ल न तुम करो
कायम है हर रिश्ता ,यहाँ पर चंद शर्तों पर
दिल से प्यार का सफ़र अब ख्यालों में तय करो
Beautiful !
Shubh Deepawali.

PN Subramanian said...

बहुत ही सुन्दर. आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !

Abhishek Ojha said...

दीपावली मंगलमय हो.

बाल भवन जबलपुर said...

“नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार -
बिना भेद के स्वर्ण रश्मियां आया बांटन ये त्यौहार !
निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं ,
बिना भेद अरु राग-द्वेष के सबके मन करती उजियार !! “

हैप्पी दीवाली-सुकुमार गीतकार राकेश खण्डेलवाल

डॉ. मोनिका शर्मा said...

इस पावन पर्व पर बेहद सुंदर रचना साझा की आपने.... बेहद अच्छी लगी पंक्तियाँ
दिवाली की शुभकामनायें आपको भी

राज भाटिय़ा said...

आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सीखा है मुद्दतों बाद मेरी आँखों ने सोना
झूठे ख़्वाबों का रंग न अब इन में भरो

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....

दीपावली की शुभकामनाएं

Chaitanyaa Sharma said...

आपको भी दीपावली की शुभकामनायें... सादर

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर। आपको भी सपरिवार दिपोत्सव की शुभकामनाएँ

अजय कुमार said...

प्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Manoj K said...

आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव कि मंगलकामनाएँ.

Meenu Khare said...

सुन्दर रचना .

दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !

वन्दना अवस्थी दुबे said...

दीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.

प्रवीण त्रिवेदी said...

आपको दीप-पर्व की बधाई !

अनुपमा पाठक said...

sundar rachna!
prakashparv ki shubhkamnayen!!!

Dorothy said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.

अर्चना said...

भाषा भी है ,शब्द भी है पास कलम के हमारे भावों में डुबो कर सही तस्वीर तुम करो - bahut sundar.

पूनम श्रीवास्तव said...

ranjana ji ,
bahut hi khoobsurat hai lafjon ka anutha pan liye aapki gazal.
deep -parv ki hardik shubh kamna der
se de rahi hun xhma kijiyega.
poonam

दिगम्बर नासवा said...

सीखा है मुद्दतों बाद मेरी आँखों ने सोना
झूठे ख़्वाबों का रंग न अब इन में भरो ...

बहुत खूब .... सपने वही होने चाहियें जिनकी ताबीर हो सके ... रंगीन सपने कभी कभी दगा दे जाते हैं ... बहुत गहरा एहसास लिए ये शेब लिखे हैं आपने ...
दीपों का त्यौहार बहुत बहुत मुबारक हो ..

सु-मन (Suman Kapoor) said...

सीखा है मुद्दतों बाद मेरी आँखों ने सोना
झूठे ख़्वाबों का रंग न अब इन में भरो

लाजवाब.........