अटक जाता है मन
किसी ठहरे हुए
लम्हे पर
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
वह लम्हा जो तेरे संग कभी बचपने को चूमता और कभी तेरी बातो सा संजीदा हो जाया करता था कुछ यादें मन की संवेदनाओं मे ऐसे ही बसी रहती ह।ाच्छी लगी कविता। शुभकामनायें।
34 comments:
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था ।
बहुत ही सुन्दर एवं भावमय प्रस्तुति ।
यह छोटी कवितायेँ बहुत अच्छी लगती हैं. मैं नहीं जानता के इनको क्या कहा जाता है, टेक्निकली थोड़ा वीक हूँ.
यह कुछ लाइनें ऐसे ही याद रह जाती है.
आभार
मनोज खत्री
bahut sundar post badhai
बहुत ही भावपूर्ण रचना .... आभार
pal hi to hai to thahar jata hai par waqt nahi thaha hai.. bahut dino baad aapki rachna padi aur hame bhi kuch likhne ki koshish ki hai...
yeh hamara blog hai:
http://ashoklalwani.blogspot.com/
ab koshish karenge rog aane ki aur padenge aapki rachanae... bas aap likhte rhiye...
बेहतरीन भाव
बहुत सुन्दर
संवेदनशील मन की निश्छल अभिव्यक्ति!
भावपूर्ण सुन्दर रचना.
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
कभी कभी उस पल को भी तरसना पड़ता है...जो अच्छी यादें लेकर आए...
बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
wah wah wah.....khoobsurat!
kaise khayenge kasamen, inko to her khamoshi me aana hai
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था.....
कमाल की पंक्तियाँ हैं.... बेहतरीन...
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!
बहुत सुन्दर, लेकिन इतनी ग़मगीन?
कुछ मौसम वापस कभी नहीं आते..बस वैसे ही कुछ यादें वापस हकीकत नहीं बन पाती..भावपूर्ण कविता .
मनमोहक पंक्तियाँ......संवेदनशील मन के क्या कहने। बहुत-बहुत आभार! -: VISIT MY BLOG :- मेरे ब्लोग पर पढ़ियेँ इस बार..... जाने किस बात की सजा देती हो.........गजल।
रंजू जी सुंदर कविता है ये.
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
" ना पल रुकते हैं और ना भीगी सी यादे.....सुन्दर पंक्तियाँ "
regards
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...
कमाल की पंक्तियाँ हैं...
सच कहा आपने ..वाकई ज़िन्दगी बहुत से ऐसे पलो में अटकी हुई होती है ...
गुज़रा हुआ ज़माना आता नही दोबारा……………बस यही कह सकती हूँ उन पलो को सिर्फ़ यादो मे ही जिया जा सकता है।
अटके हुए पल तो अनुभूति की शाश्वतता का बोध कराते हैं -जो एक जीवन के लिए तो काफी हैं -क्यों ?
very nice bhatiyaji
ये यादें ... बीते लम्हे तो उम्र भर तडपाएँगे ... दुआ करो ये मन को सुकून दे जाएँ ....
बहुत लाजवाब लिखा है ...
वाह, कित्ती प्यारी कविता है...अच्छी लगी. कभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था
कुछ यादें मन की संवेदनाओं मे ऐसे ही बसी रहती ह।ाच्छी लगी कविता। शुभकामनायें।
bahut hi bhav purn prastuti .dil ko chhoo gai .
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे .
poonam
अहा ! कितना सुन्दर !
मन ठिठक गया कुछ देर के लिए पढ़ने बाद.
दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!
व्यथित मन की वास्तविक व्यथा............
कसम के अर्थ जिसे पता, वो कसमें नहीं तोड़ते, इसलिए उम्मीद नहीं........
सुन्दर भावमयी प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.......
चन्द्र मोहन गुप्त
भावपूर्ण भावोद्गार !!!!
shandar lekhan....
Sachmuch laajawaab kar diya ranju ji aapne.
..............
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kya baat hai mam... badiya
kya baat hai mam... badiya
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