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Wednesday, April 14, 2010
प्यार -एक एहसास
कैसे लिखूं मैं तेरे लिए,
जबकि मैं जानती हूँ
कि तुझ तक पहुँचने के बाद
विचार शून्य हो जाते हैं
और कल्पनाएँ ........
वो तो न जाने
किस ताखे पर
बैठ जाती है
और देखो ...
मैं यूँ ही अलसाई हुई सी
उसी ताखे पर बैठी हुई
देखती रहती हूँ
बस देखती रहती हूँ
कैसे लिखूं मैं तेरे लिए
जबकि मैं जानती हूँ
कि प्यार तुझ तक आ कर
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
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42 comments:
कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
कैसे लिखूं मैं तेरे लिए,
जबकि मैं जानती हूँ
कि तुझ तक पहुँचने के बाद
विचार शून्य हो जाते हैं
और कल्पनाएँ ........
बहुत सुन्दर... भावपूर्ण रचना...
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
....Pyar bhare ahsas se bhari aapnki rachna pyar ki tarah hi khoobsurat hai.....
Aapko janamdin aur Vaishakhi ek ek saath haardik badhai....
सुन्दर! जन्मदिन मुबारक हो आपको!
प्यार तुझ तक आ कर
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...
और फिर भरभराकर ढहा फिर आकार लेगा
बेहतरीन रचना
nice
BAHUT SUNDAR...mujhe kisi ki yaad dila gayi apaki kavita....
सबसे पहले तो आपको जन्मदिन कि ढेर सारी शुभकामनाएं..............
अब बधाई एक अतिसुंदर रचना के लिए.............दिल को छू गयी।
कि प्यार तुझ तक आ कर
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
बहुत खूब.....अमृता की दीवानी से इस दिन मोहब्बत की ही उम्मीद की जाती थी....
जन्म दिन की शुभ कामनाये
आपको जन्मदिन कि ढेर सारी शुभकामनाएं..............
बहुत सुन्दर रचना.....
और कल्पनाएँ ........
वो तो न जाने
किस ताखे पर
बैठ जाती है
बहुत भावपूर्ण रचना....सुन्दर अभिव्यक्ति...
जन्मदिन की बधाई
जन्मदिन की ढ़ेरों शुभकामनाएँ ....
एक बहुत ही हृदयग्राही रचना ! अति सुन्दर ! बधाई और शुभकामनायें !
http://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com
bahut he badhiya ranju ji.
सुंदर प्रभावशाली रचना.
प्रभावी बात कही इस बिम्ब पर वाह वाह
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ..
ख़ूबसूरत पंक्तियाँ..
जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो,रंजना जी
वाकई प्यार की कोई परिभाषा नहीं |जन्म दिन मुबारक|
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमेशा की तरह खुशबू बिखेरती रचना ..............
सच कहा प्रेम की कोई भाषा थोड़े न होती है...
बहुत ही भावुक मोहक प्रेमाभिव्यक्ति...
sach pyyar ki kya paribhasha bahut achhi rachna...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना हैं ! प्यार कि कोई भाषा नहीं होती है ! हम तो बस अपने एहसासों को व्यक्त करने कि कोशिश करते रहते हैं !
बहुत खूबसूरत कविता, नाजुक सी.
एक बार फिर जन्मदिन की असीम शुभकामनायें.
ख़ामोशी और प्रेम का भी अजब सा सम्बन्ध है..भावशून्य हो जाना या फिर शब्दों का खो देना...प्रेम में डूबे दिल की निशानी है.
कविता में इन्हीं जज्बातों को भली भांति अभिव्यक्त किया है आपने.
*****रंजना जी जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं ******
बहुत सुन्दर रचना...
जन्म दिवस की बधाई.
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
sab ant ki line mein samet diya............har ahsaas isi ke aas paas to hota hai.............bahut bahut badhayi.
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
yahi to kalpanao ka asli jama he...jise pahle kalpna aur baad me moort roop me pa jate he to fir yahi hoga na ki sare lafz kho jayenge.
विचार शून्य हो जाना बहुत खतरनाक है ।
बर्थ डे पर मन रोमांटिक भी हो जाता है.. क्या बात है..
सच है प्यार की कोई भाषा नही होती .. उनके सामने शब्द मौन हो जाते हैं ... कल्पना रुक जाती है ... बहुत खूबसूरत रचना ...
बहुत ही भावपूर्ण रचना.... दिल को छू गई....
Regards...
अहसास ही तो है ये...
एक स्पर्श है जो बडे बडे किलो को भी रेत की तरह ढा दे.. किसी की दो लाईने है ..
’गुल से लिपटी हुयी तितली को गिराकर देखो
आन्धियो, तुमने दरफ़्तो को गिराया होगा।;
रंजना जी,
प्यार के भाव बड़ी खूबसूरती से व्यक्त हुये हैं :-
प्यार तुझ तक आ कर
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया एक कोमल सा अहसास...... प्यार और क्या.....
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
जनवरी...मार्च तक ऑफिस की मारा-मारी ने बड़ा तंग किया था, अब लौट आया हूँ, संपर्क नही रख पाने के लिये क्षमा चाहता हूँ.. दिल से
सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
क्या बात है!
good as always...
sunder rachna .badhayee.
कि प्यार तुझ तक आ कर
तुझे छूने के बाद
पूरी आत्मा को
कुछ इस क़दर
झंझोर देता है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
वाह ......
यह कैसा सफ़र है तेरे प्यार का
की तड़प का धुआं आग होने को है
और तू बेखबर है ......
...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
सही कहा प्यार की कोई भाषा नहीं है
कि सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ....
प्यार पर आपकी रचना हो तो भावों की बगिया तो खिलनी ही है ।
जन्म दिन की बधाइयाँ, हमारी भी ।
सारे लफ्ज़
भरभरा कर
रेत किले की तरह
ढह जाते हैं ...और
फिर रह जाता है बस
प्यार ...
और उसकी तो कोई भाषा ही नहीं ... (बेहद खूबसूरत)
हम देर से आए दुरुस्त आए..जन्मदिन मुबारक हो..
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