आज मुझे भूलने के बाद, जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे
बिताए थे ना जाने कितने बेहिसाब लम्हे साथ साथ
उनके तस्वुर ने तेरे होश एक बार फिर से तो उड़ाए होंगे
याद आया होगा तुझे भी मेरा ,तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
आईने में देखा होगा जब तूने यूँ ही अक़्स अपना
मेरी चाहत के जाम , तेरी नज़रो से छलक आए होंगे
देखा होगा जब चाँद को बादलो के संग छिपते हुए
मेरी प्यार की बातो से तेरे लब मुस्कराए होंगे
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे
बिताए थे ना जाने कितने बेहिसाब लम्हे साथ साथ
उनके तस्वुर ने तेरे होश एक बार फिर से तो उड़ाए होंगे
याद आया होगा तुझे भी मेरा ,तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
आईने में देखा होगा जब तूने यूँ ही अक़्स अपना
मेरी चाहत के जाम , तेरी नज़रो से छलक आए होंगे
देखा होगा जब चाँद को बादलो के संग छिपते हुए
मेरी प्यार की बातो से तेरे लब मुस्कराए होंगे
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
47 comments:
बेहतरीन गजल
बेहद खूबसूरत व लाजवाब रचना । आपके हर एक शब्द जैसे बरस पड़े , उम्दा रचना ।
जज्बातों का सुन्दर चित्रण
"तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!"
बहुत सुन्दर रचना है , बधाई!!
"आज मुझे भूलने के बाद, जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे"
मेरा प्यार वो है के मर कर भी तुमको जुदा अपनी बाँहों से होने न देगा ...
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया ..... बहुत सुंदर कविता...
बधाई....
आईने में देखा होगा जब तूने यूँ ही अक़्स अपना
मेरी चाहत के जाम , तेरी नज़रो से छलक आए होंगे
बहुत शानदार. शुभकामनाएं.
रामराम.
खूबसूरत व लाजवाब ग़ज़ल
बहुत अच्छे भाव लिए हुए है
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
यकीनन! किसी की यादो को जला देना आसान तो नही है.
बेहतरीन रचना
बिलकुल अलग-सी रचना । सहज भावनात्मक छलकाव साफ दिख रहा है, और लेखनी तो कमाल की है ।
अंत कितना प्रभावी है -
"तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!"
याद आया होगा तुझे भी मेरा ,तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
आपकी इस खूबसूरत रचना ने फिल्म "शंकर हुसैन" का गीत कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की....याद करा दिया...बेहद खूबसूरत एह्साह लिए हुए कमाल की रचना...बधाई
नीरज
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे ...
बेहतरीन ...... लाजवाब कमाल की ग़ज़ल है .....मासूम से एहसास ........ दिल को छूते हुवे शब्द .......
जगजीत जी की ग़ज़ला याद आ गयी ...... तेरे हुशबू से भरे खत मैं जलाता कैसे .....
आपकी कवितायें पूरी पढने के लिए एक मज़बूत दिल का होना अति आवश्यक लगता है , क्योंकि मेरे जैसा भावुक हृदय के लोगों को सामान्य होने में थोडा वक्त लाग जाता है !
मैं आपकी हरेक कविता पढता हूँ तथा यही सोचता हूँ कि आखिर वो कौन सा गम है जिसे आप दिल में छुपा कर सदैव ऊपर से मुस्कराते रहते हैं , यदि उसे दूर करने में या आपके गम में शरीक होने या सहभागी बनने के लायक मुझे समझते हैं तो मैं स्वयं को सौभाग्यशाली समझूंगा - आचार्य रंजन
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!..
बहुत खुब..
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
जगजीत सिंह की वो ग़ज़ल याद आ गयी..."तेरे ख़त गंगा में बहा आया हूँ....आग जलते हुए पानी में लगा आया हुआ हूँ"...बेहतरीन रचना है आपकी..कितने ही ख़त के खुशबू समेटे हुए
बहुत सुन्दर!
ऐसे प्रेम पत्र हमेशा स्मृति में बने ही रहते है,ना जाने क्यूँ??..
याद आया होगा तुझे भी मेरा ,तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!"
लाजवाब बहुत उनदा रचना है बधाई
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
bahoooooooooot khoob
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
bahut khoob
मेरे खतों की खुशबू मगर महकाती होगी तुम्हारा जिस्म
उस खुशबू में क्या हम न उतर आये होंगे .....
ख़त जलाए जा सकते है मगर मोहबत को कैसे भुलाया जा सकता है ...पर आजकल सब कुछ पोसिबिल ....
वाह आपकी रचनाएं भावगम्य होने के साथ बुद्धिगम्य भी होती हैं -उम्दा रचना !
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
रंजना जी,
बहुत ही खूबसूरत रचना सुन्दर शब्दों में लिखी है आपने हार्दिक बधाई।
पूनम
खत जलाने से भी कहां भुलाया जा सकता है किसी को..सुंदर रचना.
Behtareen gazal aur gazal hi nahi behtreen blog bhi.... mujhe behad afsos ho raha hai ki pahle yaha kyun nahi aaye...aur kismat dekhiye kuch technical problem ke karan abhi bhi follower nahi ban pa rahe hain.....
phir bhi aapko google reader list ke zariye padhte rahenge....
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
waah!
behad khubsurat!
kya kahun...aap ki likhi yah gazal mujhe bhi bhaavon mein bahaa le gayee...is tarah doobne lagate hain ki ubrane mein samay lagta hai...
sahaj hote hue bhi gambhir rahnaa kaisa hota hai yah aap ki rahcnayen batati hain.
खूबसूरत व लाजवाब....
अफसोस कि खत जलाने वाला यह रोमंच इस पीढ़ी के बाद समाप्त हो जायेगा ...फिर कौन कहेगा यह तूने जबाज वो मेरे लिखे खत जलाये होंगे .. या तेरे खत आज मै गंगा मे बहा आया हूँ या .. वो जो ख्त तूने मोहब्बत मे लिखे थे मुझको ..य,..
प्यार जितना गहरा शिकायत भी उतनी अधिक!
बहुत शानदार..
बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने । रचना गहरा प्रभाव छोडऩे में समर्थ हैं ।
मैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
देखा होगा जब चाँद को बादलो के संग छिपते हुए
मेरी प्यार की बातो से तेरे लब मुस्कराए होंगे
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
bahut hi sunder rachana,ehsaason se bhari huyi,badhai.
बहुत सुन्दर रंजना जी...हर पंक्ति बोल रही है.
प्यार को भुला पाना आसान नहीं होता .. सचमुच दिल को समझाना बहुत मुश्किल होता है .. खत जला देना तो बहुत आसान है .. आपकी लिखी एक एक पंक्तियों का जबाब नहीं .. लिखते वक्त आप स्वयं तो डूब ही जाती है .. पढतें वक्त पाठकों को भी भाव में डुबा देती हैं .. बहुत बहुत बधाई !!
KAROGE YAAD TO HAR BAAT YAAD AAYEGI
GUJARTE WAQT KI HAR MAUJ THAHAR JAYEGI
AAPKI GAZAL PADHKAR YE GANA YAAD AA GAYA...........GAZAL KYA HAI JAISE EK YADON KA GULDASTA........EK BAAR YAADON KO CHUO TO SAHI.........HAR LAMHE SE GUJAR JAOGE..........WAAH!
काफी अच्छी ग़ज़ल
याद आया होगा तुझे भी मेरा ,तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
आईने में देखा होगा जब तूने यूँ ही अक़्स अपना
मेरी चाहत के जाम , तेरी नज़रो से छलक आए होंगे...inpe kuch kahna mushkil hai..mahsoos kiya ja sakta hai bas....
होते है फरक,लेकिन एकी है आदमी और रीतु
कलका असल साथी बनजाता है एकाएक शत्रु ।
रंजनाजी,
दरअसलमे मै नेपालसे हुँ, हिन्दी इतना नही जानता हुँ ,फिर भी कुछ लिखा हुँ । मैने पढा आपका गजल 60% समझमे आया । तो मैने मेरा एक गीतका एक हिस्सा हिन्दीमे उल्था करनेका कोशिश किया । धन्यवाद ।
nepalimanharu.com
दर्द से भरी बेहतरीन गज़ल है
उर्दू कम जानता हूँ इसलिए दो शब्दों पर सुबहा है-
तसव्वुर-ख्वाब सुना है लेकिन क्या 'तस्वुर' भी सही है?
तासीर सुना है लेकिन क्या 'तसीर' भी सही है?
बिताए थे ना जाने कितने बेहिसाब लम्हे साथ साथ
उनके तस्वुर ने तेरे होश एक बार फिर से तो उड़ाए होंगे
याद आया होगा तुझे भी मेरा ,तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
वाह बहुत खूब, बेहतरीन रचना ... साधू!!!
रंजना जी,
इस गज़ल के साथ यह इत्तेफाक जुड़ गया कि फेसबुक पर पढ़ा और ना जाने किन लम्हों में खो गया फिर आपके ब्लॉग पर भी।
ना जाने कितने खत जले होंगे/
या बिखरकर टुकड़ों में हवा में उड़े होंगे
लेकिन वो खुश्बू कोई मिटा ना पाया होगा
हर अक्षर ने मिटने से पहले फिजां में घोली होगी
दिल को छूती हुई गज़ल।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
आज मुझे भूलने के बाद, जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे
वाह!!! कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं.
सुन्दर... ...
गजल - सा ...
सहज - सा ...
.......................
भाव - ऊर्जा को सलाम ..........
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
Lajawaab !!!
Bahut dino baad gazal roop me aapke komal abhivyakti ko padhna apaar sukhdayi laga...
amazing.
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
बेहद खूबसूरत आशार ...
एक खूबसूरत व लाजवाब गजल......
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