तेरी हर छुअन के बाद .. दिल हो जाता है .. यूँ हरा भरा .. सुनहरा ... तेरी ही सुंगंध .. में डूबा .. जैसे .... बरसात के बाद .. हरी पत्तियां .... सोनल धूप की छुअन से , दिप -दिप सी खिल उठती हैं और फ़िर सब तरफ़ हरा भरा सा .... मन हो झूमने लगता है............
man ka mahuaa khil jaata hai unki chuanke saath .... jhoome lagta hai man ... baah ..... man ko sukoon pahunchaa raha hai aapka likkha ... lajawaab....
जैसे .... बरसात के बाद .. हरी पत्तियां .... सोनल धूप की छुअन से , दिप -दिप सी खिल उठती हैं -वाह कितने कोमल और निर्मल से अहसास हैं ... चित्र भी बहुत सुन्दर लगे.कमल का फूल जैसे आप की कविता कह रहा है!
और फ़िर सब तरफ़ हरा भरा सा .... मन हो झूमने लगता है....... नि रंजना रे, प्यार का मौसम आया अरे हाय रे हरा-भरा छाया बोलो न बोलो मुख से गोरी कविता तुम्हरी बोले..... पढ़-पढ़ के ये पंक्तियाँ मन मोरा डोले..
तेरी हर छुअन के बाद .. दिल हो जाता है .. यूँ हरा भरा .. सुनहरा ... तेरी ही सुंगंध .. में डूबा .. जैसे .... बरसात के बाद .. हरी पत्तियां .... सोनल धूप की छुअन से , दिप -दिप सी खिल उठती हैं और फ़िर सब तरफ़ हरा भरा सा .... मन हो झूमने लगता है............awesome...bahut nazuk kavita....
48 comments:
वाह ! वाह ! वाह ! मन हरिया (हरा हरा) गया पढ़कर....
बहुत सुन्दर...मन को छू लेने वाली कविता...
vaah....bahut sundar...aaj aapkee doorbeen kee khoj amar ujala me aaee hai
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है.......
feelings ko bahut hi khoobsoorti se darshaya hai.......
bahut hi khoobsoorat kavita.......
Regards.......
अहा! इतनी कोमल कल्पना!!
वाह, बहुत सुन्दर!!
man ka mahuaa khil jaata hai unki chuanke saath .... jhoome lagta hai man ... baah ..... man ko sukoon pahunchaa raha hai aapka likkha ... lajawaab....
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार
वाह बहुत बेहतरीन। मन को भीगो गया।
सच कहें तो महबूब का होना ही कविता हो जाता है।
( Treasurer-S. T. )
बहुत सुंदर कविता, समझ नहीं आ रहा कैसे दाद दी जाए। अपनी और से चार पंक्तियाँ...
खिड़की से शीतल पवन का झोंका आया
दिमाग में भर गई चिर परिचित गंध
लगा उस ने छुआ है
उदास मन में
एक लहर सी दौड़ गई
श्रृंगारिकता को उकेरती सुन्दर मनोभिव्यक्ति !
बहुत खूबसूरत रचना है....मन को छू लेने वाली
बहूत खूब रचना रंजना जी !!
पंकज
हरीतिमा का यह एहसास --
वाकई बहुत खूबसूरत एहसास है.
मन और दिल को भींगा गई ........बहुत ही सुन्दर रचना....
बरसात के बाद की हरी पत्तियाँ और पहाडियां आजकल हमारे ऑफिस से खूब दिख रही हैं. सच में इस हरियाली की बात ही कुछ और है !
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है............
वाह, बेहतरीन रचना
वाह !! बहुत खूब !!
क्या शब्द चित्र खींचा है आपने...अप्रतिम....वाह...नमन है आपकी लेखनी को रंजना जी...
नीरज
बहुत ही सुन्दर रचना, दिल को छू गयी
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं..SUNDAR..KOMAL
Simply beautiful.
तेरी हर छुअन के बाद ..
दिल हो जाता है ..
यूँ हरा भरा ..
सुन्दर,
भाव-भरी कविता के लिए बधाई!
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है
waah nazakat se ehaas bayan huye hai sunder.
बहुत सुंदर लगी आप की कविता.
धन्यवाद
भावपूर्ण रचना ।आभार ।
क्या आखिर में कलम को रोका है कुछ कहने से ?....
very very nice..
स्पर्श और बारिश.. क्या खूब कहा...
बरसात का मौसम और ये कविता...बहुत खूब!
रंजना जी आप की लेखन कला बहुत बढिया है। मेरे ब्लाक पर आने व टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद।
wakai bahut hi bhavbhini rachna hai.
जैसे ....
बरसात के बाद ..
हरी पत्तियां ....
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
-वाह कितने कोमल और निर्मल से अहसास हैं ...
चित्र भी बहुत सुन्दर लगे.कमल का फूल जैसे आप की कविता कह रहा है!
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है.......
नि रंजना रे,
प्यार का मौसम आया
अरे हाय रे हरा-भरा छाया
बोलो न बोलो मुख से गोरी
कविता तुम्हरी बोले.....
पढ़-पढ़ के ये पंक्तियाँ मन मोरा डोले..
तेरी हर छुअन के बाद ..
दिल हो जाता है ..
यूँ हरा भरा ..
सुनहरा ...
तेरी ही सुंगंध ..
में डूबा ..
जैसे ....
बरसात के बाद ..
हरी पत्तियां ....
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है............awesome...bahut nazuk kavita....
बधाई रचना सुन्दर बन पड़ी है
अहा! इतनी सुंदर कल्पना!!
वाह, उत्तम अति उत्तम
खूबसूरत अभिव्यक्ति । सोनल-धूप की शब्दावली ने मन मोह लिया ।
behad khoobsoorat !!
तेरी हर छुअन के बाद.....
बहुत खूब रंजना जी।
रंजना जी ये हरियाली यूँ ही बनी रहे बहुत बहुत शुभकामनायें
very very romantic... :)
रंजना जी शब्दो का सफर मे बकलम खुद के लिये आपके योगदान को रेखांकित करता हुआ अजित जी का आलेख है - मेरी बधाई एवं शुभकामनायें -शरद कोकास
आईये जानें क्लीन चिट (Clean Chit) और क्लीन शीट (Clean Sheet) की रहस्यमय गाथा....?
mere blog pe ek aur rochak jaankari.....
www.lekhnee.blogspot.com
वाह! बहुत अच्छी कविता है।
आपकी लेखनी को नमन.
बड़ी ही संजीदगी और नफासत से आकी कविता मन मष्तिष्क को छूती हुई कब दिल को छू गई पता ही न चला..
हार्दिक बधाई आपको आपकी इस अप्रतिम रचना पर.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
प्रेम भावनाओं का सुंदर प्रस्फुटन।
Think Scientific Act Scientific
आह...गूँगे का गुड़...!
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