Thursday, September 03, 2009

तेरा होना ..


तेरी हर छुअन के बाद ..
दिल हो जाता है ..
यूँ हरा भरा ..
सुनहरा ...
तेरी ही सुंगंध ..
में डूबा ..
जैसे ....
बरसात के बाद ..
हरी पत्तियां ....
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है............

48 comments:

रंजना said...

वाह ! वाह ! वाह ! मन हरिया (हरा हरा) गया पढ़कर....

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत सुन्दर...मन को छू लेने वाली कविता...

शेफाली पाण्डे said...

vaah....bahut sundar...aaj aapkee doorbeen kee khoj amar ujala me aaee hai

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है.......

feelings ko bahut hi khoobsoorti se darshaya hai.......

bahut hi khoobsoorat kavita.......


Regards.......

Udan Tashtari said...

अहा! इतनी कोमल कल्पना!!

वाह, बहुत सुन्दर!!

दिगम्बर नासवा said...

man ka mahuaa khil jaata hai unki chuanke saath .... jhoome lagta hai man ... baah ..... man ko sukoon pahunchaa raha hai aapka likkha ... lajawaab....

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, आभार

सुशील छौक्कर said...

वाह बहुत बेहतरीन। मन को भीगो गया।

Arshia Ali said...

सच कहें तो महबूब का होना ही कविता हो जाता है।
( Treasurer-S. T. )

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत सुंदर कविता, समझ नहीं आ रहा कैसे दाद दी जाए। अपनी और से चार पंक्तियाँ...

खिड़की से शीतल पवन का झोंका आया
दिमाग में भर गई चिर परिचित गंध
लगा उस ने छुआ है
उदास मन में
एक लहर सी दौड़ गई

Arvind Mishra said...

श्रृंगारिकता को उकेरती सुन्दर मनोभिव्यक्ति !

अनिल कान्त said...

बहुत खूबसूरत रचना है....मन को छू लेने वाली

Mishra Pankaj said...

बहूत खूब रचना रंजना जी !!

पंकज

M VERMA said...

हरीतिमा का यह एहसास --
वाकई बहुत खूबसूरत एहसास है.

ओम आर्य said...

मन और दिल को भींगा गई ........बहुत ही सुन्दर रचना....

Abhishek Ojha said...

बरसात के बाद की हरी पत्तियाँ और पहाडियां आजकल हमारे ऑफिस से खूब दिख रही हैं. सच में इस हरियाली की बात ही कुछ और है !

vikram7 said...

सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है............
वाह, बेहतरीन रचना

संगीता पुरी said...

वाह !! बहुत खूब !!

नीरज गोस्वामी said...

क्या शब्द चित्र खींचा है आपने...अप्रतिम....वाह...नमन है आपकी लेखनी को रंजना जी...

नीरज

आलोक सिंह said...

बहुत ही सुन्दर रचना, दिल को छू गयी

पारुल "पुखराज" said...

सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं..SUNDAR..KOMAL

अमिताभ मीत said...

Simply beautiful.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

तेरी हर छुअन के बाद ..
दिल हो जाता है ..
यूँ हरा भरा ..

सुन्दर,
भाव-भरी कविता के लिए बधाई!

mehek said...

सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है
waah nazakat se ehaas bayan huye hai sunder.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगी आप की कविता.
धन्यवाद

हेमन्त कुमार said...

भावपूर्ण रचना ।आभार ।

डॉ .अनुराग said...

क्या आखिर में कलम को रोका है कुछ कहने से ?....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

very very nice..

neera said...

स्पर्श और बारिश.. क्या खूब कहा...

pallavi trivedi said...

बरसात का मौसम और ये कविता...बहुत खूब!

अंजना said...

रंजना जी आप की लेखन कला बहुत बढिया है। मेरे ब्लाक पर आने व टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद।

vandana gupta said...

wakai bahut hi bhavbhini rachna hai.

Alpana Verma said...

जैसे ....
बरसात के बाद ..
हरी पत्तियां ....
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
-वाह कितने कोमल और निर्मल से अहसास हैं ...
चित्र भी बहुत सुन्दर लगे.कमल का फूल जैसे आप की कविता कह रहा है!

स्वप्न मञ्जूषा said...

और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है.......
नि रंजना रे,
प्यार का मौसम आया
अरे हाय रे हरा-भरा छाया
बोलो न बोलो मुख से गोरी
कविता तुम्हरी बोले.....
पढ़-पढ़ के ये पंक्तियाँ मन मोरा डोले..

डिम्पल मल्होत्रा said...

तेरी हर छुअन के बाद ..
दिल हो जाता है ..
यूँ हरा भरा ..
सुनहरा ...
तेरी ही सुंगंध ..
में डूबा ..
जैसे ....
बरसात के बाद ..
हरी पत्तियां ....
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है............awesome...bahut nazuk kavita....

Vinay said...

बधाई रचना सुन्दर बन पड़ी है

Nitish Raj said...

अहा! इतनी सुंदर कल्पना!!

वाह, उत्तम अति उत्तम

Himanshu Pandey said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति । सोनल-धूप की शब्दावली ने मन मोह लिया ।

Reetika said...

behad khoobsoorat !!

PREETI BARTHWAL said...

तेरी हर छुअन के बाद.....
बहुत खूब रंजना जी।

निर्मला कपिला said...

रंजना जी ये हरियाली यूँ ही बनी रहे बहुत बहुत शुभकामनायें

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

very very romantic... :)

शरद कोकास said...

रंजना जी शब्दो का सफर मे बकलम खुद के लिये आपके योगदान को रेखांकित करता हुआ अजित जी का आलेख है - मेरी बधाई एवं शुभकामनायें -शरद कोकास

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आईये जानें क्लीन चिट (Clean Chit) और क्लीन शीट (Clean Sheet) की रहस्यमय गाथा....?


mere blog pe ek aur rochak jaankari.....

www.lekhnee.blogspot.com

रचना त्रिपाठी said...

वाह! बहुत अच्छी कविता है।

Mumukshh Ki Rachanain said...

आपकी लेखनी को नमन.
बड़ी ही संजीदगी और नफासत से आकी कविता मन मष्तिष्क को छूती हुई कब दिल को छू गई पता ही न चला..

हार्दिक बधाई आपको आपकी इस अप्रतिम रचना पर.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

अशरफुल निशा said...

प्रेम भावनाओं का सुंदर प्रस्फुटन।
Think Scientific Act Scientific

कंचन सिंह चौहान said...

आह...गूँगे का गुड़...!