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Monday, August 18, 2008
देवताओं का नगर--रॉक गार्डन
उस बनाने वाले ने रॉक गार्डन
हर दिल में एक नयी चाहत जगा दी है
एक एहसास जीने का देकर
जीने की एक नयी राह दिखा दी है !!
चंडीगढ़ शहर और उस में बसा यह ,"देवताओं का नगर रॉक गार्डन "और सुखना झील मेरे पंसदीदा जगह में से एक है | रॉक गार्डन यानी देवताओं की नगरी ,जो इश्क की इन्तहा है ,जहाँ इश्क की इबादत करने को जी चाहता है | यह जनून जरुर किसी देवता ने ही नेकचंद के दिलो दिमाग में डाला होगा , वह कहते हैं कि जब वह छोटे थे तो जंगल और वीरानियों से पत्थर और अजीब सी शक्ल वाली टेढी मेढ़ी टहनियां चुनते रहते थे |पर कोई जमीन पास न होने के कारण वह उनको वहीँ निर्जन स्थान पर रख आते थे |फ़िर जब बड़े हो कर वह पी .डब्लू .डी में रोड इंस्पेक्टर बन गए तो चंडीगढ़ की इस निर्जन जगह पर एक स्टोर दफ्तर का बना लिया और यहाँ सब एक साथ रखता गए |
यहाँ इसी वीराने में उन्होंने इस नगरी की नीवं रख तो दी ,पर एक डर हमेशा रहता किसी सरकारी अफसर ने कभी कोई एतराज़ कर दिया तो फ़िर क्या करूँगा ? उस हालत में उन्होंने सोच रखा था कि फ़िर वही वही पर बनी गहरी खाई के हवाले कर देंगे| कितनी हैरानी की बात है कि गुरदास जिले के बेरियाँ कलां गांव के जन्मे इस अनोखे कलाकार को न ड्राइंग आती है न कभी उन्होंने की |पर जैसे देवताओं ने हाथ पकड़ कर उनसे यह सब बनवा लिया |
इस के पीछे हुई मेहनत साफ़ नज़र आती है | शाम होने पर वह दरजी की दुकानों पर जा कर लीरें इक्ट्ठी करते जहाँ कहीं मेला लगता वहां से टूटी चूडियाँ के टुकड़े बोरी में भर कर ले आते ,होटलों और ढाबों से टूटे प्याले प्लेटों के टुकड़े जमा करते ,साथ ही जमा करते बिजली की जली हुई ट्यूब और जले हुए कोयले के टुकड़े भी | और इस सब सामान को जोड़ने आकृति देने के लिए सीमेंट , जहाँ सीमेंट के पाइप बनते और जो छींटों के साथ साथ सीमेंट उड़ता उसको इकठ्ठा कर के ले आते | इस तरह पंजाब की मिटटी पर बना यह इस कलाकार का वह सपना है जो पूरी दुनिया ने इसको बन कर खुली आंखों से देखा है |
१२ साल तक यह कलाकार छिप कर यह नगरी बसाता रहा , डरता रहा कि कहीं कोई सरकारी हुक्म इसको मिटटी में न मिला दे पर जब एम् .एस .रंधावा ने यह नगरी देखी तो उनका साथ दिया फ़िर नए चीफ कमिशनर टी .एन चतुर्वेदी ने इन्हे पाँच हजार रूपये भी दिए और सीमेंट भी दिया और दिए मदद के लिए कुछ सरकारी कारीगर |काम अभी खूब अच्छे से होने लगा था तभी उनकी ट्रांसफर यहाँ से हो गई और नए कमिशनर ने आ कर यह काम यह कह कर बंद करवा दिया कि , फालतू का काम है | तीन साल तक यह काम बंद रहा | उसके बाद आए नए चीफ कमिशनर ने काम दुबारा शुरू करवाया और इन्हे जमीन भी दी | तब से या देवताओं की नगरी आबाद है और नित्य नए बने तजुरबो से गुलजार है |
यहाँ चूडियों के टूटे टुकड़े से बनी गुडिया जैसे बोलने लगती है ,पहाडी प्रपात का महोल अपने में समोह लेता है और तब लगता है की यह पत्थर हमसे कुछ बातें करते हैं .बस जरुरत इन्हे ध्यान से सुनने की है |
कभी रॉक गार्डन पर पर लिखी एक कविता पढ़ी थी जिसका मूल भाव यह था कि जिस तरह एक कलाकार ने टूटी फूटी चीज़ो से एक नयी दुनिया बसा दी है क्या कोई मेरे एहसासो को इसी तरह से सज़ा के नये आकार में दुनिया के सामने ला सकता है ?दिल तो मेरा है "रॉक" है , क्या उस पर अहसास का गार्डन बना सकता है? ...... उसको सोच कर यह नीचे लिखी कविता मैंने लिखी ..पता नही यह उस कलाकार के अंश मात्र भाव को भी छू सकी है यह नही ,पर एक कोशिश कि है मैंने .....
बना तो सकते हैं हम
अपनी चाहतों से तेरे
रॉक हुए दिल को
प्यार के महकते हुए
एहसासों का गुलिस्तान
पर क्या तुम भी
उन टूटी फूटी चीजों की तरह
अपने सोये हुए एहसासों को
जगा पाओगे ?
जिस तरह सौंप दिया था
टूटे हुए प्यालों चूडियों ने
अपना टूटा हुआ अस्तित्व
अनोखे बाजीगर को .
क्या तुम उस तरह
अपना अस्तित्व मुझे
सौंप पाओगे ??
क्या तुम में भी है ..
सहनशीलता उन जैसी
जो उन्होने नये आकार
बन पाने तक सही थी..
क्या तुम भी उन की तरह तप कर
फिर से उनकी तरह सँवर पाओगे ????
अगर मंज़ूर हैं तुम्हे यह सब
तो दे दो मुझे ..
अपने उन टूटे हुए एहसासो को
मैं तुम्हारे इस रॉक हुए दिल को
फिर से महका दूँगी ,सज़ा दूँगी
खिल जाएगा मेरे प्यार के रंगो से
यह वीरान सा कोना तेरी दुनिया का
पूरी दुनिया को मैं यह दिखा दूँगी !!
रंजू
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17 comments:
अगर मंज़ूर हैं तुम्हे यह सब
तो दे दो मुझे ..
अपने उन टूटे हुए एहसासो को
मैं तुम्हारे इस रॉक हुए दिल को
फिर से महका दूँगी ,सज़ा दूँगी
खिल जाएगा मेरे प्यार के रंगो से
यह वीरान सा कोना तेरी दुनिया का
पूरी दुनिया को मैं यह दिखा दूँगी !!
रंजू जी
यह गार्डन मैने भी देखा है, पर आपने इसको जीवन्त कर दिया। एक-एक शब्द मानो आपकी कलम पर आकर बैठ गया है। इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
दोनों ही जगह खूब घूमे है...बल्कि रोक गार्डन में तो रात को हमारे function का डिनर था.....सुखना झील भी खूबसूरत है ....पर आपने शायद दूसरी नजर से देखा......तभी तो एक कविता का जन्म हो गया.......
बड़ी ही उम्दा और अद्भुत जानकारी दी आपने.
कचरे से भी इस कदर उत्कृष्ट निर्माण सम्भव है ये बेमिसाल बात है.
इसे प्रस्तुत करने के लिए आपका आभार.
अंत में जो कविता आपने लिखी है वो भी बहुत ही खुबसूरत है.
बधाई.
pyaar ke bagiche me ghumaya,
pyaar-hi-pyaar ke ehsaas se bhar diya
aur saath me yah kavita...
अगर मंज़ूर हैं तुम्हे यह सब
तो दे दो मुझे ..
अपने उन टूटे हुए एहसासो को
मैं तुम्हारे इस रॉक हुए दिल को
फिर से महका दूँगी ,सज़ा दूँगी
खिल जाएगा मेरे प्यार के रंगो से
यह वीरान सा कोना तेरी दुनिया का
पूरी दुनिया को मैं यह दिखा दूँगी !!
bahut sundar
कभी राक गार्डन देखा नही। पर आपने नई नजरों इसे दिखा दिया।
अगर मंज़ूर हैं तुम्हे यह सब
तो दे दो मुझे ..
अपने उन टूटे हुए एहसासो को
मैं तुम्हारे इस रॉक हुए दिल को
फिर से महका दूँगी ,सज़ा दूँगी
खिल जाएगा मेरे प्यार के रंगो से
यह वीरान सा कोना तेरी दुनिया का
पूरी दुनिया को मैं यह दिखा दूँगी !!
बहुत सुन्दर लिखा हैं। सुन्दर जज्बातों के साथ।
देखा तो हमारा भी हुआ है मगर बताने वाले का अन्दाजे बयाँ ऐसा न था!! बहुत खूब!
कलाकारों की सोच ही कुछ अलग होती है, नेकचंद नामक इस अनपढ़ कलाकार ने हमारे सामने एक मिसाल पेश की है ! नया सा लिखा है आपने इसबार , अच्छा लगा ! शुभकामनाएं !
आपने इतनी खूबसूरती से बताया की ये सब देखा हुआ लगने लगा. आपका बताने का अंदाज़ बड़ा ही सुंदर हैं मैं तो आपकी कायल हो चुकी हु. आपकी रचना मन को छु गयी.
आपने इतनी खूबसूरती से बताया की ये सब देखा हुआ लगने लगा. आपका बताने का अंदाज़ बड़ा ही सुंदर हैं मैं तो आपकी कायल हो चुकी हु. आपकी रचना मन को छु गयी.
आपने इतनी खूबसूरती से बताया की ये सब देखा हुआ लगने लगा. आपका बताने का अंदाज़ बड़ा ही सुंदर हैं मैं तो आपकी कायल हो चुकी हु. रचना मन को छु गयी.
आपकी नज़र का करिश्मा है जो आपने रॉक गार्डन पर कविता रच दी वो भी पूरे पूरे अहसास समेटे हुए.बहुत बहुत बधाई.
suna to dono hi jaghon ke baare mein tha lekin ab jane ko bhi utavli ho gayi hoon....kavita bhi bahut khoobsurat hai
बहुत अच्छी पोस्ट
उम्दा पोस्ट
अगर मंज़ूर हैं तुम्हे यह सब
तो दे दो मुझे ..
अपने उन टूटे हुए एहसासो को
मैं तुम्हारे इस रॉक हुए दिल को
फिर से महका दूँगी ,सज़ा दूँगी
खिल जाएगा मेरे प्यार के रंगो से
यह वीरान सा कोना तेरी दुनिया का
पूरी दुनिया को मैं यह दिखा दूँगी !!
bahut khoob ranjana ji...
एक दफ़े लिखा था:
"दिल में तमाम दर्द-ओ-गिला पाल तो लिए,
टुकड़ों से कोई ’ताज’ बनाओ तो बात है..."
आपके लेख और काव्य ने मानो इसे कुछ नए मायने दे दिये! बेशक आपने जिस शिद्दत से उस जगह को महसूस किया वो वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है!
दोनों में से कोई नहीं देखा.. पर आपने अच्छी सैर कराइ... कभी मौका मिला तो देखता हूँ. बहुत अच्छा जिवंत चित्रण रहा.
" i have visisted this rock garden twice, its really like heaven, again you have revived its beautiful memory's through your wondeful article'
Regards
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