बरस आज तू किसी सावन की बादल की तरह
मेरी प्यासे दिल को यूँ तरसता क्यूँ है
है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इतराता क्यूँ है
लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकाता क्यूँ है
दिल का धडकना भी जैसे हैं आज कोई जादूगिरी
हर धड़कन में तेरा ही नाम आता क्यूँ है
बसी है मेरे तन मन में सहरा की प्यास सी कोई
यह दिल्लगी करके मुझे तडफाता क्यूँ है
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मेरी प्यासे दिल को यूँ तरसता क्यूँ है
है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इतराता क्यूँ है
लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकाता क्यूँ है
दिल का धडकना भी जैसे हैं आज कोई जादूगिरी
हर धड़कन में तेरा ही नाम आता क्यूँ है
बसी है मेरे तन मन में सहरा की प्यास सी कोई
यह दिल्लगी करके मुझे तडफाता क्यूँ है
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10 comments:
बहुत सरस रचना है।
लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकता क्यूँ है
बहुत सुन्दर!
है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इठलाता क्यूँ है
लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकता क्यूँ है
आपके जज्बात जाहिर हो रहे है बहुत खूब....बस एक गुजारिश ......'बहकता" की जगह कुछ ओर इस्तेमाल करे ....'जो इठलाता 'से जुड़े .....
बहुत प्यारी खूबसूरत रचना।
है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इतराता क्यूँ है
जितना मजा आप के साथ महावीर जी के ब्लॉग पर मुशायरा पढ़ कर आया उस से ज्यादा अब यहाँ आ रहा है क्यूँ की साथ में संगीत जो बज रहा है...... और ताल का ये गाना मेरा बहुत पसंदीदा है...कहाँ से लोड किया इसे आपने...ब्लॉग खोलते ही नाचने को मन करता है... रचना तो कमाल की है ही आप की.
नीरज
बरस आज तू किसी सावन की बादल की तरह
मेरी प्यासे दिल को यूँ तरसता क्यूँ है........
बेहतरीन प्रस्तुति है
हर धड़कन में तेरा ही नाम आता क्यूँ है.
तालियाँ !
बरस आज तू किसी सावन के बादल की तरह .....भावभीनी रचना ,मधुर संगीत के साथ बौछारों में मन को भिगो भिगो देती है !
सुन्दर लिखा है...
बहुत प्यारी खूबसूरत रचना। didi ji
www.expriment80.blogspot.com
बहुत प्यारी खूबसूरत रचना।
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