Saturday, July 26, 2008

बरस तू किसी सावन की बादल की तरह

महावीर ब्लॉग पर मुशायरे की एक झलक



बरस आज तू किसी सावन की बादल की तरह
मेरी प्यासे दिल को यूँ तरसता क्यूँ है

है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इतराता क्यूँ है

लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकाता क्यूँ है

दिल का धडकना भी जैसे हैं आज कोई जादूगिरी
हर धड़कन में तेरा ही नाम आता क्यूँ है

बसी है मेरे तन मन में सहरा की प्यास सी कोई
यह दिल्लगी करके मुझे तडफाता क्यूँ है
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10 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सरस रचना है।

लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकता क्यूँ है

बहुत सुन्दर!

डॉ .अनुराग said...

है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इठलाता क्यूँ है

लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकता क्यूँ है


आपके जज्बात जाहिर हो रहे है बहुत खूब....बस एक गुजारिश ......'बहकता" की जगह कुछ ओर इस्तेमाल करे ....'जो इठलाता 'से जुड़े .....

सुशील छौक्कर said...

बहुत प्यारी खूबसूरत रचना।
है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इतराता क्यूँ है

नीरज गोस्वामी said...

जितना मजा आप के साथ महावीर जी के ब्लॉग पर मुशायरा पढ़ कर आया उस से ज्यादा अब यहाँ आ रहा है क्यूँ की साथ में संगीत जो बज रहा है...... और ताल का ये गाना मेरा बहुत पसंदीदा है...कहाँ से लोड किया इसे आपने...ब्लॉग खोलते ही नाचने को मन करता है... रचना तो कमाल की है ही आप की.
नीरज

vipinkizindagi said...

बरस आज तू किसी सावन की बादल की तरह
मेरी प्यासे दिल को यूँ तरसता क्यूँ है........

बेहतरीन प्रस्तुति है

Abhishek Ojha said...

हर धड़कन में तेरा ही नाम आता क्यूँ है.
तालियाँ !

ललितमोहन त्रिवेदी said...

बरस आज तू किसी सावन के बादल की तरह .....भावभीनी रचना ,मधुर संगीत के साथ बौछारों में मन को भिगो भिगो देती है !

Mohinder56 said...

सुन्दर लिखा है...

MY EXPRIMENT said...

बहुत प्यारी खूबसूरत रचना। didi ji
www.expriment80.blogspot.com

MY EXPRIMENT said...

बहुत प्यारी खूबसूरत रचना।