Monday, July 21, 2008

सावन की यह भीगी सी बदरिया


सावन की यह भीगी सी बदरिया
बरसो अब जा के पिया की नगरिया

यहाँ ना बरस कर हमको जलाओ
बरसते पानी से यूँ शोले ना भड़काओ

उनके बिना मुझे कुछ नही भाये
सावन के झूले अब कौन झुलाये

बिजली चमक के यूँ ना डराओ
बिन साजन के दिल कांप जाये

उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए

यह बिखरा सा काजल, सहमा सा आँचल
हम किसको अपनी आदओ से लुभायें

रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये

मत खनको बेरी कंगना,पायल
तुम्हारी खनक भी अब बिल्कुल ना सुहाये


सब कुछ है सूना सूना बिन सजन के
यह बरसती बदरिया बिन उनके न भाये !!



सावन की बरसती बदरिया और लफ्ज़ भी जैसे सावन की पींग से दिल में हिलोरे भरने लगते हैं ..जो दिल कहता है बस वही लिखता जाता है मन ..कुछ समय पहले भी एक अल्हड सी बरसात की कविता पोस्ट की थी ..आज यहाँ पढने के साथ साथ बरखा बहार का आनंद महावीर ब्लॉग के मुशायरे में भी ले ...वहां बरखा के रंग कई तरह से फुहार बिखेर रहे हैं ...

27 comments:

गरिमा said...

सुन्दर!!! :)

रंजन गोरखपुरी said...

सावन की अगन का सुंदर चित्रन!
कहीं कहीं बनारस की कजरी के रंग में रंगी है रचना...

Dr. Chandra Kumar Jain said...

उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए

अच्छी रचना...सुलझे ख़याल.
======================
बधाई रंजना जी
डा.चन्द्रकुमार जैन

Sajeev said...

अच्छा भिगोया आपने आज ....

डॉ .अनुराग said...

रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये

मत खनको बेरी कंगना,पायल
तुम्हारी खनक भी अब बिल्कुल ना सुहाये


सब कुछ है सूना सूना बिन सजन के
यह बरसती बदरिया बिन उनके न भाये !!



गीत सुंदर भी है ओर प्यारा भी....पूरे सावन चलेगा ......इस बार बरिशे ज्यादा है ना ?

Ila's world, in and out said...

सावन की फ़ुहार से तन मन भीग गया.रंजूजी,बहुत सुन्दर गीत रचने के लिये बधाई.

pallavi trivedi said...

bahut sundar geet...

Abhishek Ojha said...

सावन की फुहार से हम भी भीग गए... इधर से तो बारिश रूठ कर ही चली गई है :-)

Mukesh Garg said...

sawan ke itne acche darshan to ho hi nahi sakte kisi bhi yuva person ke.

Udan Tashtari said...

यह सही बरखा बहार रही...बहुत उम्दा!!

विश्व दीपक said...

कई दिनों के पश्चात आपकी रचना पढने को मिली। सावन का सुख और दर्द.... आह!!

दिल खुश हो गया।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

डाॅ रामजी गिरि said...

"उनके बिना मुझे कुछ नही भाये
सावन के झूले अब कौन झुलाये"
सावन की रूमानियत लिए सुन्दर रचना ....

पर आज के मेट्रो शहर वाले इसको भी सतयुग और गाँधी जैसी अनोखी कथा-कहानी की बात मानते है..

मीनाक्षी said...

डॉ गिरि की बात में वज़न है..लेकिन हम इसी रुमानियत के दीवाने हैं... यहाँ बदरिया बरसे न बरसे पर बरस कर बदरा इधर से भी गुज़रते तो होगें... यही सोचकर बरखा बहार की कविताएँ पढ कर मन को समझा लेते हैं..

Manvinder said...

Ranjana ji.....
bhai waah.....
saawan ka sukh b hai....
dukh b hai ....
lekin bade hi sunder tareeke se
keep it up

Doobe ji said...

doobeyji doob gaye apki is kavita mein BADHAI

Doobe ji said...

DOOBEYJI DOOB GAYE APKI IS KAVITA MEIN BADHAI

शोभा said...

रंजू जी
बहुत सुन्दर गीत लिखा है। सावन की फुहारों का आनन्द आरहा है।

रश्मि प्रभा... said...

ek geet ki yaad dila gai ....
nik saiyaa bin sawanwa naahi lage sakhiyaan,
rimjhim fuhaaron ko saja diya,bahut bheega-bheega sa saundarya

ilesh said...

Ahmedabad ki is garmaati raat me bhi is alhad si kavita ne barasti badariya sa vatavaran khada kar diya...

wah bahot hi sahi andaz-e-bayan raha...saajan ki germaujudgi me barasti is savan ki badariya pyar se bhari ek sajni ke dil me kya bhav khilati he uska behad sundar varnan raha....pyar-e-dard se bhari is kavita ke liye dhero badhai..........

vipinkizindagi said...

अच्छी रचना

आलोक साहिल said...

मस्त मस्त मस्त.....मदमस्त........
आलोक सिंह "साहिल"

आलोक साहिल said...

मस्त मस्त मस्त.....मदमस्त........
आलोक सिंह "साहिल"

महेन said...

मर गए… ऐसे क़ातिल मौसम में ऐसा लिख डाला? हम विरहीजनों का तो कुछ ख़याल किया होता जी…

कुश said...

उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए

ये पंक्तिया बहुत सुंदर लगी..

एक और बात 'कुछ मेरे बारे में' कॉलम में बहुत बढ़िया चित्र लगाया है आपने

Anonymous said...

यह बिखरा सा काजल, सहमा सा आँचल
हम किसको अपनी आदओ से लुभायें
रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये
bhut badhiya. sundar paktiya.

सरस्वती प्रसाद said...

saawan ki bunden kagzon par fail gayin hain,
jane kaun aa raha hai
sundar

Mukesh Garg said...

bahut hi sunder ranjna ji