
मेरी प्यासे दिल को यूँ तरसता क्यूँ है
है आज सितारों में भी कोई बहकी हुई बात
वरना आज चाँद इतना इतराता क्यूँ है
लग रही है आज धरती भी सजी हुई सेज सी
तू मुझे अपनी नज़रो से पिला के बहकाता क्यूँ है
दिल का धडकना भी जैसे हैं आज कोई जादूगिरी
हर धड़कन में तेरा ही नाम आता क्यूँ है
बसी है मेरे तन मन में सहरा की प्यास सी कोई
यह दिल्लगी करके मुझे तडफाता क्यूँ है
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