सावन की यह भीगी सी बदरिया
बरसो अब जा के पिया की नगरिया
यहाँ ना बरस कर हमको जलाओ
बरसते पानी से यूँ शोले ना भड़काओ
उनके बिना मुझे कुछ नही भाये
सावन के झूले अब कौन झुलाये
बिजली चमक के यूँ ना डराओ
बिन साजन के दिल कांप जाये
उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए
यह बिखरा सा काजल, सहमा सा आँचल
हम किसको अपनी आदओ से लुभायें
रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये
मत खनको बेरी कंगना,पायल
तुम्हारी खनक भी अब बिल्कुल ना सुहाये
सब कुछ है सूना सूना बिन सजन के
यह बरसती बदरिया बिन उनके न भाये !!
सावन की बरसती बदरिया और लफ्ज़ भी जैसे सावन की पींग से दिल में हिलोरे भरने लगते हैं ..जो दिल कहता है बस वही लिखता जाता है मन ..कुछ समय पहले भी एक अल्हड सी बरसात की कविता पोस्ट की थी ..आज यहाँ पढने के साथ साथ बरखा बहार का आनंद महावीर ब्लॉग के मुशायरे में भी ले ...वहां बरखा के रंग कई तरह से फुहार बिखेर रहे हैं ...
बरसो अब जा के पिया की नगरिया
यहाँ ना बरस कर हमको जलाओ
बरसते पानी से यूँ शोले ना भड़काओ
उनके बिना मुझे कुछ नही भाये
सावन के झूले अब कौन झुलाये
बिजली चमक के यूँ ना डराओ
बिन साजन के दिल कांप जाये
उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए
यह बिखरा सा काजल, सहमा सा आँचल
हम किसको अपनी आदओ से लुभायें
रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये
मत खनको बेरी कंगना,पायल
तुम्हारी खनक भी अब बिल्कुल ना सुहाये
सब कुछ है सूना सूना बिन सजन के
यह बरसती बदरिया बिन उनके न भाये !!
सावन की बरसती बदरिया और लफ्ज़ भी जैसे सावन की पींग से दिल में हिलोरे भरने लगते हैं ..जो दिल कहता है बस वही लिखता जाता है मन ..कुछ समय पहले भी एक अल्हड सी बरसात की कविता पोस्ट की थी ..आज यहाँ पढने के साथ साथ बरखा बहार का आनंद महावीर ब्लॉग के मुशायरे में भी ले ...वहां बरखा के रंग कई तरह से फुहार बिखेर रहे हैं ...
27 comments:
सुन्दर!!! :)
सावन की अगन का सुंदर चित्रन!
कहीं कहीं बनारस की कजरी के रंग में रंगी है रचना...
उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए
अच्छी रचना...सुलझे ख़याल.
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बधाई रंजना जी
डा.चन्द्रकुमार जैन
अच्छा भिगोया आपने आज ....
रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये
मत खनको बेरी कंगना,पायल
तुम्हारी खनक भी अब बिल्कुल ना सुहाये
सब कुछ है सूना सूना बिन सजन के
यह बरसती बदरिया बिन उनके न भाये !!
गीत सुंदर भी है ओर प्यारा भी....पूरे सावन चलेगा ......इस बार बरिशे ज्यादा है ना ?
सावन की फ़ुहार से तन मन भीग गया.रंजूजी,बहुत सुन्दर गीत रचने के लिये बधाई.
bahut sundar geet...
सावन की फुहार से हम भी भीग गए... इधर से तो बारिश रूठ कर ही चली गई है :-)
sawan ke itne acche darshan to ho hi nahi sakte kisi bhi yuva person ke.
यह सही बरखा बहार रही...बहुत उम्दा!!
कई दिनों के पश्चात आपकी रचना पढने को मिली। सावन का सुख और दर्द.... आह!!
दिल खुश हो गया।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
"उनके बिना मुझे कुछ नही भाये
सावन के झूले अब कौन झुलाये"
सावन की रूमानियत लिए सुन्दर रचना ....
पर आज के मेट्रो शहर वाले इसको भी सतयुग और गाँधी जैसी अनोखी कथा-कहानी की बात मानते है..
डॉ गिरि की बात में वज़न है..लेकिन हम इसी रुमानियत के दीवाने हैं... यहाँ बदरिया बरसे न बरसे पर बरस कर बदरा इधर से भी गुज़रते तो होगें... यही सोचकर बरखा बहार की कविताएँ पढ कर मन को समझा लेते हैं..
Ranjana ji.....
bhai waah.....
saawan ka sukh b hai....
dukh b hai ....
lekin bade hi sunder tareeke se
keep it up
doobeyji doob gaye apki is kavita mein BADHAI
DOOBEYJI DOOB GAYE APKI IS KAVITA MEIN BADHAI
रंजू जी
बहुत सुन्दर गीत लिखा है। सावन की फुहारों का आनन्द आरहा है।
ek geet ki yaad dila gai ....
nik saiyaa bin sawanwa naahi lage sakhiyaan,
rimjhim fuhaaron ko saja diya,bahut bheega-bheega sa saundarya
Ahmedabad ki is garmaati raat me bhi is alhad si kavita ne barasti badariya sa vatavaran khada kar diya...
wah bahot hi sahi andaz-e-bayan raha...saajan ki germaujudgi me barasti is savan ki badariya pyar se bhari ek sajni ke dil me kya bhav khilati he uska behad sundar varnan raha....pyar-e-dard se bhari is kavita ke liye dhero badhai..........
अच्छी रचना
मस्त मस्त मस्त.....मदमस्त........
आलोक सिंह "साहिल"
मस्त मस्त मस्त.....मदमस्त........
आलोक सिंह "साहिल"
मर गए… ऐसे क़ातिल मौसम में ऐसा लिख डाला? हम विरहीजनों का तो कुछ ख़याल किया होता जी…
उलझा दिए हैं बरस के जो तुमने गेसू
अब कौन अपने हाथो से सुलझाए
ये पंक्तिया बहुत सुंदर लगी..
एक और बात 'कुछ मेरे बारे में' कॉलम में बहुत बढ़िया चित्र लगाया है आपने
यह बिखरा सा काजल, सहमा सा आँचल
हम किसको अपनी आदओ से लुभायें
रुक जाओ ओ बहती ठंडी हवाओं
तेरी चुभन से जिया और भी तड़प जाये
bhut badhiya. sundar paktiya.
saawan ki bunden kagzon par fail gayin hain,
jane kaun aa raha hai
sundar
bahut hi sunder ranjna ji
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