Wednesday, June 11, 2008

कुछ यूं ही ....क्षणिकायें


1.गूंगी
मेरी आवाज़
अब ख़ुद मुझसे
पराई हो गयी है
इस भीड़ भरी दुनिया में
बेजान सी हो कर
ख़ुद को ही गूंगी कहती हूँ !!

2.ज़िंदगी

डगमग डगमग सी
बहकी है चाल मेरी
तू ही मुझे संभाल ले
तुझसे हो तो सीखा है
मैंने चलना और
आगे बढ़ाना !!

3 )सन्नाटा
तेज़ झोंको में चलना
तेरे बस की बात नही है
धीमी हवा का बहता सन्नाटा
यही कह के आगे बढ़ गया !!

4 )बारिश

बारिश की पहली बूँदे
तपते दिल पर यूँ गिरी हैं
कि सारा दर्द उबलकर
आँखो से टपकने लगा है !!

5:)इश्तहार
ज़िंदगी न जाने क्यों कभी कभी
इक इश्तेहार सी नज़र आती है
अन्दर दर्द के आंसू में लिपटी
पर बाहर से मुस्कराती है

6)वक्त

जो बीत गया
वह याद नही
आने वाले कल की
किसी को ख़बर नहीं
सच तो बस 'आज' है
और इस वक्त
तुम मेरे साथ हो!!

21 comments:

कुश said...

खूबसूरत क्षणिकाए... बहुत शुक्रिया रंजू जी पढ़वाने के लिए..

Abhishek Ojha said...

सारी खूबसूरत !

आलोक साहिल said...

ati sunder
alok singh "sahil"

mamta said...

सब एक से बढ़ कर एक ।
बहुत सुंदर।

Anita kumar said...

बहुत खूब

Anonymous said...

bahut sunder

Pramendra Pratap Singh said...

दीदी बहुत अच्‍छी क्षणिकाएँ है

Anonymous said...

खूबसूरत क्षणिकाए... सारी खूबसूरत बहुत खूब

डाॅ रामजी गिरि said...

बहुत ही खूबसूरत लफ्जों में ज़िन्दगी से रू-बी-रू किया है आपने...

dpkraj said...

कम शब्दों में बात कहने का यह भी एक बहुत अच्छा तरीका है। बहुत बढि़या।

दीपक भारतदीप

Udan Tashtari said...

वाह! एक से बढ़कर एक. आनन्द आ गया:

ज़िंदगी न जाने क्यों कभी कभी
इक इश्तेहार सी नज़र आती है
अन्दर दर्द के आंसू में लिपटी
पर बाहर से मुस्कराती है

क्या बात है, बहुत खूब.

Unknown said...

एक से बढ़ कर एक सारी बहुत अच्‍छी

बहुत खूब

आप जीवन की गहराईयों को छूती हे

सचमुच कमाल की सब की सब

Anonymous said...

रंजू जी प्रणाम,
आप का ज़वाब नहीं...

आप यूँ ही आगे बढती रहें...


मंगल कामनाएं...

राजसावा

Dr. Mahendra Bhatnagar said...

आपके सौन्दर्य-बोध पर मुग्ध हूँ।
क्षणिकाओं की अभिव्यक्ति-कला मनोहारी है।
— महेंद्रभटनागर
फ़ोन : ०७५१-४०९२९०८

Anonymous said...

डगमग डगमग सी
बहकी है चाल मेरी
तू ही मुझे संभाल ले
तुझसे हो तो सीखा है
मैंने चलना और
आगे बढ़ाना
sabhi kavita bahut hi sundar hai ranju ji ye zindagi aur ek baarish wali khas ekdam khas

Anonymous said...

जो बीत गया
वह याद नही
आने वाले कल की
किसी को ख़बर नहीं
सच तो बस 'आज' है
और इस वक्त
तुम मेरे साथ हो!! ye laine bhut hi aachi lagi hai.bhut badhiya.

Jugal Gaur said...

कुछ यूं ही क्षणिकायें...........
अच्छी लगी..
जो बीत गया,वह याद नही,आने वाले कल की,किसी को ख़बर नहीं,सच तो बस 'आज' है
और इस वक्त,तुम मेरे साथ हो!
सुन्दर अती सुन्दर! ये बहुत अच्छी लगी......
रंजू जी इसके लिए और पढ़वाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद !!
~~~~~~~~~~~~~~~~शुभरात्री~~~~~~~~~~~

मीनाक्षी said...

आने वाले कल की
किसी को ख़बर नहीं
सच तो बस 'आज' है ----
बस यही भाव मन को मोह गया.....

बालकिशन said...

एक से बढ़ कर एक.
आपका लेखन गजब है.

डॉ .अनुराग said...

बारिश की पहली बूँदे
तपते दिल पर यूँ गिरी हैं
कि सारा दर्द उबलकर
आँखो से टपकने लगा है !!

5:)इश्तहार
ज़िंदगी न जाने क्यों कभी कभी
इक इश्तेहार सी नज़र आती है
अन्दर दर्द के आंसू में लिपटी
पर बाहर से मुस्कराती है

6)वक्त
जो बीत गया
वह याद नही
आने वाले कल की
किसी को ख़बर नहीं
सच तो बस 'आज' है
और इस वक्त
तुम मेरे साथ हो!!

बारिश......इश्तेहार.....वक़्त....कितने रंग है न इस जीवन मे...आपने सब एक साथ दिखा दिये...कुछ पंक्तिया अटकी रहेगी....खास तौर से वक़्त वाली....

रश्मि प्रभा... said...

ज़िन्दगी के सच को क्षणों में परिभाषित करती
ये क्षणिकाएँ अद्भुत हैं,
जाने कितना कुछ कह गयीं.............