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Sunday, August 26, 2007
एक धागा प्यार का
ज़िंदगी पल-पल करके ढलती रही......
बस अपने रंग रूप बदलती रही..........
और उन्ही बीतते पलों का हुआ कुछ ऐसा सिला........
कि मेरा मासूम दिल तुझसे जा मिला.........
इस दिल ने प्यार का ,भावनाओं का ,सपनो का एक जाल बुना.....
जिस का एक सिरा था मेरे पास दूसरा तेरे दिल से जा मिला.........
अब यदि तेरे दिल में भी प्यार सच्चा है......
तो पकड़ के खीच लो इस धागे को........
मैं ख़ुद ही खीची चली आऊंगी
यदि छोड़ दिया तूने इस धागे को......
तो मैं इस धागे में उलझ कर रह जाऊंगी .......
फिर तुम इस धागे को सुलझाना भी चाहोगे.......
तो भी सुलझा नही पाओगे.........
क्यों कि इस धागे की उलझन में
कई नये रिश्ते ,कई नयी गाँठे पाओगे........
करना चाहोगे तब प्यार मुझे पर कर नही पाओगे........
अभी मेरा प्यार सीधा, सच्चा, मासूम है........
नही निभेगा अगर तुमसे तो अपना सिरा भी मुझे लौटा दो......
मैं अपने प्यार के धागे को यूँ ही नही उलझने दूँगी......
तुमसे जुड़ी अपनी हसीं भावनाओं, जज़्बातों को यूँ ही नही खोने दूँगी...........
करती हू तुमसे वादा की.........
मेरे तरफ़ के सिरे में तेरे लिए यही लिपटा हुआ बस प्यार होगा........
तू चाहे वापस आए ना आए.........
इस धागे मैं मेरी अंतिम साँस तक बस तेरा नाम होगा..........
पर.........बस एक सवाल पूछती हूँ तुझसे....
तेरी तरफ़ जो सिरा है.......
क्या इस पर तब भी मेरा नाम होगा?
मेरे लिए यही हसीन जज़्बात,प्यार
और बाक़ी बची ज़िंदगी को , निभाने का साथ होगा.........?
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12 comments:
bahut hi pyar parak kavita hai...dil ko chhoo lene ka jazba rakhti hai apki ye rachna.
mera sadhuwaad sweekarein!
Too Good Ranjana ji..
क्या बात है रंजना जी!!
दिल के भावों को शब्दरुप में ढालने मे एक बार फ़िर सफ़ल हुईं हैं आप!!
बधाई!!
''अभी मेरा प्यार सीधा, सच्चा, मासूम है........
नही निभेगा अगर तुमसे तो अपना सिरा भी मुझे लौटा दो......
तेरी तरफ़ जो सिरा है.......
क्या इस पर तब भी मेरा नाम होगा?''
प्रेम-निवेदन का इससे बेबाक और मर्मस्पर्शी रेखांकन नही हो सकता.
बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती
नही निभेगा अगर तुमसे तो अपना सिरा भी मुझे लौटा दो......
तेरी तरफ़ जो सिरा है.......
क्या इस पर तब भी मेरा नाम होगा?''
प्रेम-निवेदन का इससे बेबाक और मर्मस्पर्शी रेखांकन नही हो सकता. 14:23
(3 minutes
बहुत खूबसूरती से प्यार के अहसास को उतारा है।
Ranju, is kalaam ko padhke detail tippani dene se nahi rok sakta hu itna umda work he ki bas......
ज़िंदगी पल-पल करके ढलती रही......
बस अपने रंग रूप बदलती रही..........
और उन्ही बीतते पलों का हुआ कुछ ऐसा सिला........
कि मेरा मासूम दिल तुझसे जा मिला.........
Dil ke milan ke pal ka ehsaas bahot hi umda raha,
इस दिल ने प्यार का ,भावनाओं का ,सपनो का एक जाल बुना.....
जिस का एक सिरा था मेरे पास दूसरा तेरे दिल से जा मिला.........
wah dil se mile huye sapno ka wo dhaga agar dusre dil se mil jaye to...
अब यदि तेरे दिल में भी प्यार सच्चा है......
तो पकड़ के खीच लो इस धागे को........
मैं ख़ुद ही खीची चली आऊंगी
sahi kaha he ranju agar pyar sacha he to dono ke pyar ka khinchav unhe kabtak dur rakh payega
यदि छोड़ दिया तूने इस धागे को......
तो मैं इस धागे में उलझ कर रह जाऊंगी .......
फिर तुम इस धागे को सुलझाना भी चाहोगे.......
तो भी सुलझा नही पाओगे.........
क्यों कि इस धागे की उलझन में
कई नये रिश्ते ,कई नयी गाँठे पाओगे........
करना चाहोगे तब प्यार मुझे पर कर नही पाओगे........
jisne pyar ko pehchan ne me galti kardi aur chhod diya us dhage ko to sach he fir milna mushkil he ,kadva sach bayan kiya he isme....
अभी मेरा प्यार सीधा, सच्चा, मासूम है........
नही निभेगा अगर तुमसे तो अपना सिरा भी मुझे लौटा दो......
मैं अपने प्यार के धागे को यूँ ही नही उलझने दूँगी......
तुमसे जुड़ी अपनी हसीं भावनाओं, जज़्बातों को यूँ ही नही खोने दूँगी...........
करती हू तुमसे वादा की.........
मेरे तरफ़ के सिरे में तेरे लिए यही लिपटा हुआ बस प्यार होगा........
तू चाहे वापस आए ना आए.........
इस धागे मैं मेरी अंतिम साँस तक बस तेरा नाम होगा..........
kya kahe in lines ke bare me , aasiq ne jo pyar ko na nibhaya us pyar ke liye bhi itni kurbani ? sacha aashiq hi kar sakta he apne sine me vo pyar ko ta umr panapta rakhega aakhri saans tak........
पर.........बस एक सवाल पूछती हूँ तुझसे....
तेरी तरफ़ जो सिरा है.......
क्या इस पर तब भी मेरा नाम होगा?
मेरे लिए यही हसीन जज़्बात,प्यार
और बाक़ी बची ज़िंदगी को , निभाने का साथ होगा.........?
agar aashiq sacha hoga kisi majboori me haath na thaam saka hoga to vo bhi apne sire ko apni mashooqa ko sopne ke baad bhi apne hisse me aaye sire par aakhri saans tak uski mehbooba ka naam likha rakhega............nibhaa rahega .........
umda likha he ranju , pyar ki vo sab gehrai bun li he is kalaam me ,salaam us kalaam ko aasiqi ke naam
ilesh shah
Gr8 Show...
once again u r successful to make emotion n love with full of detailed...
Thnx
really bahut accha likha nahi net ki duniya accha pakara hai net ki duniya ko really nice one
isi tarha or bhi bahut kuch likho is duniya ke bare main
really bahut accha likha nahi net ki duniya accha pakara hai net ki duniya ko really nice one
isi tarha or bhi bahut kuch likho is duniya ke bare main
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