नेट की यह दुनिया भी अजीबो ग़रीब है। दो अजनबी यहाँ कब अपने से हो जाते हैं पता ही नही चलता। विज्ञान की यह तरक्की कभी-कभी दिल लगाने का सबब भी है और दिल टूटने का एक बढ़िया फ़साना भी।
यूँ ही एक पत्रिका में कहानी पढ़ते पढ़ते मैं सोच में डूब गयी, इस में लिखी एक कहानी ने मुझे सोच में डाल दिया ...कहानी कुछ यूँ थी की नेट के ज़रिए चेट पर एक लड़का और लड़की में रोज़ बात होती है दोनो घंटो ऑनलाईन चैट पर दुनिया जहाँ की बाते करते, बात पहले शौक, जॉब, पसंद नापसंद से होती हुई घर और ना जाने कहाँ-कहाँ पहुँच गयी। धीरे-धीरे दोनो को इस तरह बात करने में मज़ा आने लगा दोनो अलग-अलग शहर के रहेने वाले थे सो आसानी से मिलने का तो कोई सवाल ही नही था बस यूँ बात होती होती प्यार की कसमो-रस्मो तक जा पहुँची। लड़के की मँगनी पहले ही हो चुकी सो शादी होने में देर नही थी।
नेट वाली लड़की का जनुन इस क़दर उस पर सवार हुआ की वो अपनी मँगनी तोड़ने को तैयार हो गया। वो उस लड़की से उसके फोटो और मिलने की ज़िद करने लगा। लड़की हमेशा ख़ुद को उस से उमर में छोटा बताती थी। वेब-कैमरा था नही दोनो के पास कि एक दूसरे को देख पाते। एक दिन बहुत ज़िद करने पर वो लड़की अपनी फोटो भेजने को तैयार हो गयी और फ़िर जब उस लड़के को ई-मेल मिला तो उस में एक ओल्ड लेडी की पिक्चर थी और साथ में लिखा था " मैं इस दुनिया में बिल्कुल अकेली हूँ ...कोई बात करने वाला नही है सो नेट ही मेरा सबसे अच्छा टाइम पास है तुमसे बात शुरू हुई तो मुझे पहले लगा सच बता देना चाहिए पर दिल को अच्छा लगने लगा तो नही बताया अब और झूठ नही बोला का सकता सो बता रही हूँ"। यह पढ़ के वो लड़का स्तब्ध रह गया!!!
पत्रिका मे ही दी गई दूसरी कहानी कुछ ऐसी थी--
वो एक मासूम सी लड़की थी। हर चीज को जानने की जिज्ञासा उसके दिल में रहती। नई चीज़े आते ही उसको गहराई से जानना उसका शौक था। घर में कंप्यूटर आया फिर उस में नेट भी लग गया, घंटो उस में डूबे
रहना उसका टाइम पास। चैट की दुनिया भी उस से अनजानी ना रही और साथ में लगा वेब कैमरा उसको दुनिया दिखाने लगा पर जहाँ हर चीज़े की अच्छी है वहाँ बुराई भी है। सारा दिन नेट चालू रहता और उसका
वेब कॅमरा भी। वो आते जाते सबसे बात करती रहती। अब उस पार की दुनिया में सब अच्छे लोग तो नही होते, कुछ बुरे दिमाग़ के भी लोग हैं। एक दिन वो नेट पर ऑनलाईन थी कि किसी लड़के ने उसको कुछ वीडियो दिए डाउनलोड होने के बाद जब उसने वह वीडियो देखा तो वो उसके होश उड़ा देने के लिए काफ़ी थी। उस बंदे ने उस लड़की की वेब क्लिप की रेकॉर्डिंग कर रखी थी और फ़िर वो उस लड़की को ब्लॅकमेल कर रहा था।
***************************************************************
और एक किस्सा इस से जुड़ा यह है कि नेट पर एक लड़के-लड़की की दोस्ती हो गयी। कुछ दिन दोनो में ख़ूब बातें होती रहीं और फिर वही हुआ उन्हे लगा कि वो दोनो एक-दूजे के लिए बने हैं। दोनो एक ही शहर के थे सो मिलना जुलना भी शुरू हो गया।
एक दिन दोनो घूमने का प्रोग्राम बनाया कि चलो कहीं घूम आते हैं। वो शहर से दूर हाइ-वे पर निकल गये। दो जवान दिल और महकता-बरसता मौसम, ऐसे मे होश वैसे ही गुम थे दोनो के। लड़के ने अपनी कार एक सुनसान नये बनते एरिया की तरफ़ मोड़ दी। अभी कुछ दूर ही गये थे की ना जाने कहाँ से मोटर साईकिल पर दो बदमाशो ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया और उनकी कार रोकने की कोशिश करने लगे। लड़की तो कुछ समझ नही पाई। पर लड़का उन बदमाशो की मंशा समझ गया, वो तेज़ी से कार को मु्ख्य सडक पर ले आने की कोशिश करने लगा। पर वो दोनो गुंडे भी तेज़ी से उनका पीछा करते-करते उन की कार पर पत्थर मारने लगे। कार का शीशा टूट गया, पर वो बच कर किसी तरह बाहर मु्ख्य सडक पर आ गये। सोचिए क्या होता यदि वो बदमाश उन्हे पकड़ लेते, दोनो भले घर के थे, क्या पता वो उनके साथ क्या करते। उनको शारीरिक नुक़सान पहुँचा सकते थे। उनकी कार लूट सकते थे या फ़िर उस लड़की का बुरा हाल कर सकते थे।
सोशल नेट वर्किंग यानी दुसरा नाम आरकुट जहाँ दोस्त बनाये जाते हैं और पुराने दोस्त भी अक्सर मिल जाते हैं यहाँ किसके पास वक्त नही है अब ज्यादा आने जाने का सो यही से बात करके काम चला लिया जाता हैं !चीजे फायदे के लिए ही बनायी जाती हैं यहाँ कई अच्छी कमनियुटी हैं जहाँ सब अपने अपने पसंद के विषय पढ़ सकते हैं लिख सकते हैं पर यही इसके नुकसान भी हैं इस को समझते हुए देश के शिक्षा सस्थानों ने इस को अपने यहाँ बंद कर दिया है कुछ दिन पहले अखबार में पढने में आया था पुणे में कुछ दिन पहले आरकुट के ज़रिए दोस्त बनी राँची की एक लड़की की हत्या कर दी . और अभी ताजा हुआ किस्सा यह भी अखबार में ही पढने को मिला था अदनान का ...जो १६ वर्ष का था कुछ दोस्त सोशल नेटवर्किंग से दोस्त बने उसका अपहरण किया और जब मामला मीडिया और पुलिस तक गया तो उन्होंने उसको मार डाला
सोशल नेटवर्किंग की ज़रूरत इतनी बढ़ गयी की यह बीमारी के रूप में तब्दील होने लगी है हमे जितनी सुविधा विज्ञानं ने दी है यदि हम उनका उपयोग सही ढंग से करे तो यह यह सुविधा हमारे लिए एक एक अच्छा मुकाम बन जायेगी और मंज़िल तक पहुँचा देगी . नही तो धीरे धीरे यह बिमारी एक ऐसा समाज पैदा करेगी जिस में कोई इंसानियत नही होगी भावना नही होगी !खैर!! इन सब कहानियों या सच्ची घटनाओं से यह सीखने को मिलता है कि ज़माने के साथ चलें ज़रुर पर अपने होश क़ायम रखें। क्या पता हमारी एक छोटी सी नादानी कितनी बड़ी मुसीबत को न्योता दे सकती है।
यूँ ही एक पत्रिका में कहानी पढ़ते पढ़ते मैं सोच में डूब गयी, इस में लिखी एक कहानी ने मुझे सोच में डाल दिया ...कहानी कुछ यूँ थी की नेट के ज़रिए चेट पर एक लड़का और लड़की में रोज़ बात होती है दोनो घंटो ऑनलाईन चैट पर दुनिया जहाँ की बाते करते, बात पहले शौक, जॉब, पसंद नापसंद से होती हुई घर और ना जाने कहाँ-कहाँ पहुँच गयी। धीरे-धीरे दोनो को इस तरह बात करने में मज़ा आने लगा दोनो अलग-अलग शहर के रहेने वाले थे सो आसानी से मिलने का तो कोई सवाल ही नही था बस यूँ बात होती होती प्यार की कसमो-रस्मो तक जा पहुँची। लड़के की मँगनी पहले ही हो चुकी सो शादी होने में देर नही थी।
नेट वाली लड़की का जनुन इस क़दर उस पर सवार हुआ की वो अपनी मँगनी तोड़ने को तैयार हो गया। वो उस लड़की से उसके फोटो और मिलने की ज़िद करने लगा। लड़की हमेशा ख़ुद को उस से उमर में छोटा बताती थी। वेब-कैमरा था नही दोनो के पास कि एक दूसरे को देख पाते। एक दिन बहुत ज़िद करने पर वो लड़की अपनी फोटो भेजने को तैयार हो गयी और फ़िर जब उस लड़के को ई-मेल मिला तो उस में एक ओल्ड लेडी की पिक्चर थी और साथ में लिखा था " मैं इस दुनिया में बिल्कुल अकेली हूँ ...कोई बात करने वाला नही है सो नेट ही मेरा सबसे अच्छा टाइम पास है तुमसे बात शुरू हुई तो मुझे पहले लगा सच बता देना चाहिए पर दिल को अच्छा लगने लगा तो नही बताया अब और झूठ नही बोला का सकता सो बता रही हूँ"। यह पढ़ के वो लड़का स्तब्ध रह गया!!!
पत्रिका मे ही दी गई दूसरी कहानी कुछ ऐसी थी--
वो एक मासूम सी लड़की थी। हर चीज को जानने की जिज्ञासा उसके दिल में रहती। नई चीज़े आते ही उसको गहराई से जानना उसका शौक था। घर में कंप्यूटर आया फिर उस में नेट भी लग गया, घंटो उस में डूबे
रहना उसका टाइम पास। चैट की दुनिया भी उस से अनजानी ना रही और साथ में लगा वेब कैमरा उसको दुनिया दिखाने लगा पर जहाँ हर चीज़े की अच्छी है वहाँ बुराई भी है। सारा दिन नेट चालू रहता और उसका
वेब कॅमरा भी। वो आते जाते सबसे बात करती रहती। अब उस पार की दुनिया में सब अच्छे लोग तो नही होते, कुछ बुरे दिमाग़ के भी लोग हैं। एक दिन वो नेट पर ऑनलाईन थी कि किसी लड़के ने उसको कुछ वीडियो दिए डाउनलोड होने के बाद जब उसने वह वीडियो देखा तो वो उसके होश उड़ा देने के लिए काफ़ी थी। उस बंदे ने उस लड़की की वेब क्लिप की रेकॉर्डिंग कर रखी थी और फ़िर वो उस लड़की को ब्लॅकमेल कर रहा था।
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और एक किस्सा इस से जुड़ा यह है कि नेट पर एक लड़के-लड़की की दोस्ती हो गयी। कुछ दिन दोनो में ख़ूब बातें होती रहीं और फिर वही हुआ उन्हे लगा कि वो दोनो एक-दूजे के लिए बने हैं। दोनो एक ही शहर के थे सो मिलना जुलना भी शुरू हो गया।
एक दिन दोनो घूमने का प्रोग्राम बनाया कि चलो कहीं घूम आते हैं। वो शहर से दूर हाइ-वे पर निकल गये। दो जवान दिल और महकता-बरसता मौसम, ऐसे मे होश वैसे ही गुम थे दोनो के। लड़के ने अपनी कार एक सुनसान नये बनते एरिया की तरफ़ मोड़ दी। अभी कुछ दूर ही गये थे की ना जाने कहाँ से मोटर साईकिल पर दो बदमाशो ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया और उनकी कार रोकने की कोशिश करने लगे। लड़की तो कुछ समझ नही पाई। पर लड़का उन बदमाशो की मंशा समझ गया, वो तेज़ी से कार को मु्ख्य सडक पर ले आने की कोशिश करने लगा। पर वो दोनो गुंडे भी तेज़ी से उनका पीछा करते-करते उन की कार पर पत्थर मारने लगे। कार का शीशा टूट गया, पर वो बच कर किसी तरह बाहर मु्ख्य सडक पर आ गये। सोचिए क्या होता यदि वो बदमाश उन्हे पकड़ लेते, दोनो भले घर के थे, क्या पता वो उनके साथ क्या करते। उनको शारीरिक नुक़सान पहुँचा सकते थे। उनकी कार लूट सकते थे या फ़िर उस लड़की का बुरा हाल कर सकते थे।
सोशल नेट वर्किंग यानी दुसरा नाम आरकुट जहाँ दोस्त बनाये जाते हैं और पुराने दोस्त भी अक्सर मिल जाते हैं यहाँ किसके पास वक्त नही है अब ज्यादा आने जाने का सो यही से बात करके काम चला लिया जाता हैं !चीजे फायदे के लिए ही बनायी जाती हैं यहाँ कई अच्छी कमनियुटी हैं जहाँ सब अपने अपने पसंद के विषय पढ़ सकते हैं लिख सकते हैं पर यही इसके नुकसान भी हैं इस को समझते हुए देश के शिक्षा सस्थानों ने इस को अपने यहाँ बंद कर दिया है कुछ दिन पहले अखबार में पढने में आया था पुणे में कुछ दिन पहले आरकुट के ज़रिए दोस्त बनी राँची की एक लड़की की हत्या कर दी . और अभी ताजा हुआ किस्सा यह भी अखबार में ही पढने को मिला था अदनान का ...जो १६ वर्ष का था कुछ दोस्त सोशल नेटवर्किंग से दोस्त बने उसका अपहरण किया और जब मामला मीडिया और पुलिस तक गया तो उन्होंने उसको मार डाला
सोशल नेटवर्किंग की ज़रूरत इतनी बढ़ गयी की यह बीमारी के रूप में तब्दील होने लगी है हमे जितनी सुविधा विज्ञानं ने दी है यदि हम उनका उपयोग सही ढंग से करे तो यह यह सुविधा हमारे लिए एक एक अच्छा मुकाम बन जायेगी और मंज़िल तक पहुँचा देगी . नही तो धीरे धीरे यह बिमारी एक ऐसा समाज पैदा करेगी जिस में कोई इंसानियत नही होगी भावना नही होगी !खैर!! इन सब कहानियों या सच्ची घटनाओं से यह सीखने को मिलता है कि ज़माने के साथ चलें ज़रुर पर अपने होश क़ायम रखें। क्या पता हमारी एक छोटी सी नादानी कितनी बड़ी मुसीबत को न्योता दे सकती है।
21 comments:
रंजनाजी,
आपका यह आलेख निश्चय ही विचार करने योग्य है। आज आपके और हमारे बीच ही न जाने कितने ऐसे लोग होंगे जो ज़रा सी नासमझी से या यूँ कहे कि मौज-मौज में अपना सम्पूर्ण जीवन बर्बाद कर रहे है।
आपका आलेख महत्वपूर्ण है मगर अंत में स्वयं की सोच ही काम आती है, उम्मीद करता हूँ आपका यह आलेख सभी पाठको को सतर्क करेगा।
रंजना जी,
आपका लेख अच्छा है। यह नेट की दुनिया का सकारात्मक व नकारात्मक पहलू को दर्शाता है।
Hello Ranjana ji :)
kaisi hai aap?????
aapka article "Net ki yeh Duniya" read kiya, wahi
par reply karne par error aa raha tha so yahi reply kar rahi hun,
sahi likha hai aapne, science ne bahut achi cheez banai hai internet basharte hum iska sahi tarike se upyog kare,
sab log internet time pass karne ke liye use karte hai, but yeh nahi sochte ke isase jaane anjaane wo samne wale ko kitna hurt hota hai,
adnan wala kissa sunke sach me mujhe orkut par login karne me dar lagne laga tha, social networking site ka use society ko acha aur majboot banane ke liye karna chahiye na ki society me aatank failane ke liye,
is article se sabko shiksha leni chahiye ke unhe internet ka use safely aur sahi tarike se karna bahut jaroori hai warna isase jindagi ko bhi khatra ho sakta hai, most importantly gals ko jo web cam use karte hain ya net cafe me jati hai,
me ghar pe login hoke yeh reply apke blog par bhi dungi,
Thnx n rgds
Mamta.
रंजना जी!
बहुत सही लिखा है आपने. हर चीज के फायदे और नुक्सान दोनों होते हैं. ये व्यक्ति-विशेष की समझ पर ही निर्भर करता है कि वह खुद को नुकसान से बचाकर इसका लाभ कैसे उठाता है.
सही आलेख!!
विचारणीय!!
और सबसे बड़ी बात यह है कि इसे रंजना जी ने लिखा है जिनके बारे में कहा जाता है कि वे प्रेम कविताओं के अलावा कुछ लिख ही नही सकती हैं।
रंजना जी, लगता है कि आपने प्रेमालोचकों का मुंह बंद करने की ठान ही ली है।
गुड है, ऐसी ही वैराइटियां लाते रहें।
एक अच्छा लेख । संसार में कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है जिसके केवल लाभ ही लाभ हों । सो सतर्क तो रहना ही होता है । जहाँ तक प्रेम की बात है तो दिल टूटने के लिए तैयार मनुष्य ही प्रेम कर सकता है ।
घुघूती बासूती
Ranju Ji,
aapne net ki duniya ka baht hi aacha lekh likha hai...har sikke ke do pehelu hote hain jahaan net faidemand hai wahaan nuksaan dayak bhi hai...aapka lekh kaafi kuch cover karta hai...mujhe aacha laga yahaan aakar.
aacha lekh likha hai har sikke ke do pehelu hote hain aapne kaafi kuch cover kar liya hai...aacha laga yahaan phir aa kar...likhti rahiye
दिल की कलम से
नाम आसमान पर लिख देंगे कसम से
गिराएंगे मिलकर बिजलियाँ
लिख लेख कविता कहानियाँ
हिन्दी छा जाए ऐसे
दुनियावाले दबालें दाँतो तले उगलियाँ ।
NishikantWorld
एक अति आवश्यक लेख. बहुत जरुरत है ऐसी जागरुकता की. आपका साधुवाद जो आपने ऐसा मुद्दा उठाया जिसे जानते तो सब हैं मगर अक्सर आँखें बंद किये रहते हैं. आभार.
बहुत ही सही मुद्दा उठाया है आपने, अगर नैट का प्रयोग करने वाले जागरुक हों और किसी गलत झांसे में न फंसें तो कोई गड़बड़ न होगी।
आपने इस तरह लिख कर लोंगों को सतर्क करने का प्रयास किया है वह प्रशंसनीय है।
दीपक भारतदीप्
आपने इस तरह लिख कर लोंगों को सतर्क करने का प्रयास किया है वह प्रशंसनीय है।
दीपक भारतदीप्
ranjna ji yahi wajha hai ki log kissi ki sachi batoo par bhi yakin nhi kar pate .
विज्ञान वरदान भी है अभिशाप भी…
और जब तक कुछ नकारात्मक नहीं होगा सकारात्मक पहलु की कल्पना भी नहीं की जा सकती…
ranjana ji........
Hi.. Your poetries are mind blowing....really i was very eager to read them as i was busy and could not be online for many days, i was missing your poetries....But today after reading them i feel in really beautiful state of mind....
You are Great..
I personally feel that you are better then MAJROOH SULTANPURI..
keep it up.....
take care..
May ALLAH always keep you happy and grant you lot of success....Ameen.
As Always tumne phir se ek baar Sacchaai likhi hai...aise hee likhti raho....God bless u...!!!
Gaurav Vashisht
रंजना जी,
आपका लेख अच्छा है। सचमुच यह नेट की दुनिया का सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलों को दर्शाता है।
आपके इस आलेख निश्चय ही विचार करने योग्य है।
ये व्यक्ति-विशेष की समझ पर ही निर्भर करता है कि वह खुद को नुकसान से बचाकर इसका लाभ कैसे उठाता है.
आपका आलेख महत्वपूर्ण है मगर अंत में स्वयं की सोच ही काम आती है, उम्मीद करता हूँ आपका यह आलेख सभी पाठको को सतर्क करेगा।
जगपाल सिंह रावत
Hi, ranjana I dont know whether u remember or not...par hum kabhi achche dost hua karte the....Aaj tak nahi samaz paya hu ki tumne muzase baat chit kyo band kardi....par ek baat jarur kahunga tumse....Mai ne agar koi galti ki hai to muze sudharane ka mauka dena chahiye....Baki tumhari marzi....God bless u and mera bhi blog hai agar waqt mile aur ichchha ho to check kar lena..
artistajit.blogspot.com
Bye take care.
आपके ब्लाग का ले-आउस बडा ही प्यारा है। बधाई।
very well written.
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