Friday, June 22, 2007

नारी एक प्रेम-व्यंजना




नारी है एक प्रेम-व्यंजना
उढ़ेलती जाती प्रेम रस को…
चढ़ा देती है अपने प्यार के पुष्प वो
देवता और इन्सान के चरणो में
छू लेती है जब वो कलम को
बन के सुंदर गीत प्रेम के,
विरह के निकल आते हैं
कविता में ढल के उस के बोल
बस प्रेम मय हो जाते हैं

चुनती है वह घर का आँगन
जहाँ सिर्फ़ प्रेम के बाग लहराते हैं
उड़ने के लिए चुनती है सिर्फ़ वही आकाश
जहाँ सिर्फ़ उसके सपने सज जाते हैं

गीत लिखती है वो वही सिर्फ़
जिसके बोल उसके पिया मन भाते हैं
प्रेम में स्त्री के दोनो जहाँ सिमट आते हैं
प्रेम में डूब कर कब रहता है उस को भान समय का
उसके शब्दकोष में बस प्यार के रहस्य ही समाते हैं

22 comments:

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब!!

नारी के प्रेम पर एक बेहतरीन रचना!!

जहां तक मै समझता हूं एक नारी जब प्रेम में डूबती है तो सारे जहां से उपर उठ जाती है, आसपास, दीन-दुनिया का होश ही नह रहता फ़िर उसे।
शुभकामनाएं

Sajeev said...

उसके शब्कोश में बस प्यार के रहस्य ही समाते हैं .... बेहद सुन्दर

Udan Tashtari said...

बहुत सुंदर चित्रित किया है नारी के प्रेम भाव को, बधाई.

राकेश खंडेलवाल said...

सुन्दर भावपूर्ण रचना.
लिखते रहें

अनूप शुक्ल said...

अच्छा है!

Unknown said...

Ati sundar ranjana ji..!!Wah!!

Mystery-Dark Glamour said...

"women"....
a topic with more to feel!..
and inexpresssible! at times....
nice one as always!

Unknown said...

i become word less....

ख्वाब है अफसाने हक़ीक़त के said...

bahut khoob chitran hai naari prem ka. behatareen rachna. aap ki har rachna hi khoobsurat hoti hai. aap badhaai ki paatr hain. keep writing.

Anonymous said...

Different from your regular themes
Well written ….
Thank you for sharing it with us

Divine India said...

नारी स्वभावगत ही प्रेम-मय होती है वह तो प्रेम-प्रार्थना है…अद्भुत रुप में चित्रित यह कविता…नारी सौंदर्य की पराकाष्ठा को दर्शा रही है…।

Unknown said...

you are written a great theory of women thats nice,

Mohinder56 said...

बहुत सुन्दर लिखा है.. नारी के सच्चे रूप की कल्पना और व्याख्या की है आपने जिसे केवल एक स्त्री ही कर सकती है

Mukesh Garg said...

apki tarif karta raha to aap bhi kahogi gi kahi makhan to nahi laga rah hu. par kya karu aap likhta hi itna accha ho ki koi bhi bina tarif kye bina nahi reh sakta. or tarif karte karte mere pass kahi sbado ki kami na pad jaye. is liye bus itna hi ki wah wah bahut sunder

Unknown said...

Dear,
mam, aapne bahut sunder rachna likhi hai.bahut khoob chitran hai naari prem ka. behatareen rachna. aap ki har rachna hi khoobsurat hoti hai. aap badhaai ki paatr hain. god bless u

Sanju

विश्व दीपक said...

गीत लिखती है वो वही सिर्फ़
जिसके बोल उसके पिया मन भाते हैं
प्रेम में स्त्री के दोनो जहाँ सिमट आते हैं
प्रेम में डूब कर कब रहता है उस को भान समय का
उसके शब्दकोष में बस प्यार के रहस्य ही समाते हैं

लीजिये मैं हाजिर हो गया , आपके ब्लाग पर । अब तो आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं है।
बहुत खूब लिखा है आपने रंजना जी। स्त्री के प्रेम का बहुत अच्छा विश्लेशन किया है आपने ।बधाई स्वीकारें।

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया संजीत ....सही कहा आपने नारी का सुकोमल दिल सिर्फ़ प्यार देना जानता है

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया सजीव

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया समीर

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया राकेशजी ..अनूपजी.. आलोक जी..

रंजू भाटिया said...

bahut bahut shukriya ..shiny ,,deepak ...mistery..aditya..mohinder ji ..mukesh ...sanju ..dil se shukriya ...

रंजू भाटिया said...

shukriya tanha kavi ji ..aap aaye aur aapne dil se is racahna ko saraha ..thanks aapka